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भारत-चीन समझौते के आलोचकों पर जमकर बरसे पूर्व सेना प्रमुख वीपी मलिक, जानें क्‍या कहा

रिटायर्ड जनरल मलिक ने कहा कि पैंगोंग झील से सेना के पीछे हटने के 48 घंटों के भीतर देपसांग गोगरा और हाट स्पि्रंग से सैनिकों को पीछे करने पर बात शुरू होगी। दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटने में काफी लंबा समय लगेगा।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Mon, 15 Feb 2021 11:07 PM (IST)Updated: Mon, 15 Feb 2021 11:11 PM (IST)
भारत-चीन समझौते के आलोचकों पर जमकर बरसे पूर्व सेना प्रमुख वीपी मलिक, जानें क्‍या कहा
भारत-चीन के बीच बनी सहमति को लेकर आलोचना करने वालों पर पूर्व सेना प्रमुख वेद प्रकाश मलिक जमकर बरसे

नई दिल्ली, आइएएनएस। लद्दाख से सेना की वापसी पर भारत-चीन के बीच बनी सहमति को लेकर आलोचना करने वालों पर पूर्व सेना प्रमुख जनरल (रि.) वेद प्रकाश मलिक जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि मैं इस मामले में हतप्रभ हूं। आलोचना करने वाले ज्यादातर लोग तथ्यों से अवगत नहीं हैं। या तो उन्हें राजनीतिक और सैन्य कारणों की समझ नहीं है या वे राजनीतिक पूर्वाग्रहों से ग्रस्त है। पूर्व सेना प्रमुख ने लगातार कई ट्वीट करते हुए कहा कि पैंगोंग झील में चल रही सेनाओं को पीछे हटाने की प्रक्रिया की आलोचना करने वालों का यह दावा कि भारत ने अपनी जमीन चीन को दे दी है सरासर गलत है। 

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चीन पर यथास्थिति बहाल करने का भारी दबाव

उन्होंने कहा कि फिंगर फोर से लेकर फिंगर ऐट तक गश्त पर अस्थायी रोक लगाने का फैसला टकराव को टालने के लिए जरूरी है। अभी दोनों देशों की सेनाएं अप्रैल 2020 की स्थिति में लौट रही हैं। रिटायर्ड जनरल मलिक ने कहा कि पैंगोंग झील से सेना के पीछे हटने के 48 घंटों के भीतर देपसांग, गोगरा और हाट स्पि्रंग से सैनिकों को पीछे करने पर बात शुरू होगी। दोनों देशों की सेनाएं पूरी तरह पीछे हटने में काफी लंबा समय लगेगा। चीन पर यथास्थिति बहाल करने का भारी दबाव था। इस घुसपैठ का सभी संबंधों पर असर पड़ने की बात कहकर भारत दबाव बनाने में सफल रहा। 

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चीन को अपनी सेना पीछे करने के लिए मजबूर करके भारत ने अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली है। पैंगोंग झील से सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया से सिक्किम के नाकुला में पिछले दिनों दोनों देशों के जवानों के बीच हुई झड़प के बाद पैदा हुए तनाव को भी कम करने में मदद मिली है। नाकुला में चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में घुसने की कोशिश की थी जिसका भारत की ओर से करारा जवाब दिया गया था। सेना ने इसे मामूली झड़प बताकर कमांडर स्तर पर ही वार्ता से निपटा लिए जाने की बात कही थी। इस घटना में केंद्र सरकार ने चुप्पी साध ली थी लेकिन मीडिया के एक हिस्से के अनुसार बीजिंग से उच्चस्तरीय हस्तक्षेप के बाद नाकुला में मामला ठंडा हुआ था। 


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