दून एक्सप्रेसवे के लिए वन मंजूरी का मामला फिर एनजीटी के पास, सुप्रीम कोर्ट ने 11,000 पेड़ों की कटाई पर भी 26 तक लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने एनजीओ को अपने सभी दावों के साथ एक सप्ताह के भीतर एनजीटी का रुख करने की स्वतंत्रता दी और कहा कि मामले में उसकी टिप्पणियां गुण-दोष के आधार पर इस मुद्दे का फैसला करने के रास्ते में आड़े नहीं आएंगी।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारा एक्सप्रेसवे को दी गई वन संबधी मंजूरी को चुनौती देने वाली याचिका को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के पास भेज दिया। इस एक्सप्रेसवे के बनने से दोनों शहरों के बीच यात्रा का समय चार घंटे कम हो जाएगा। शीर्ष अदालत ने दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारे का हिस्सा गणेशपुर-देहरादून रोड (राष्ट्रीय राजमार्ग-72ए) खंड पर लगभग 11,000 पेड़ों की कटाई पर भी 26 नवंबर तक रोक लगा दी। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) की योजना के अनुसार छह-लेन का नया राजमार्ग यात्रा के समय को 6.5 घंटे से घटाकर केवल 2.5 घंटे कर देगा और इसमें वन्यजीवों और जंगलों की सुरक्षा के लिए 12 किलोमीटर की एलिवेटेड सड़क होगी।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने एनजीटी के पूर्व के एक आदेश को खारिज कर दिया और उसे गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 'सिटीजन फार ग्रीन दून' की एक याचिका पर नए सिरे से विचार करने के लिए कहा, जिसने पहले चरण और दूसरे चरण को मंजूरी और पेड़ काटने की अनुमति को चुनौती दी है।
पीठ ने एनजीटी को एनजीओ द्वारा उठाए गए मुद्दे पर एक तर्कपूर्ण आदेश पारित करने और याचिका दायर करने के 24 घंटे के भीतर मामले को सूचीबद्ध करने को कहा। पीठ ने एनजीओ को अपने सभी दावों के साथ एक सप्ताह के भीतर एनजीटी का रुख करने की स्वतंत्रता दी और कहा कि मामले में उसकी टिप्पणियां गुण-दोष के आधार पर इस मुद्दे का फैसला करने के रास्ते में आड़े नहीं आएंगी।
परियोजना को जनहित में नहीं रोका जाना चाहिए: अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल
शीर्ष अदालत ने कहा कि एनजीटी का छह अक्टूबर का एनजीओ की याचिका खारिज करने का आदेश त्रुटिपूर्ण है क्योंकि उसने इस मुद्दे पर पहले के फैसलों पर विचार नहीं किया। सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि इस परियोजना को जनहित में नहीं रोका जाना चाहिए क्योंकि एनएचएआइ ने सभी आवश्यक मंजूरी ले ली थी। वेणुगोपाल ने कहा कि हाथियों के मार्ग या किसी अन्य जंगली जानवरों के रास्ते को अवरुद्ध किए बिना इस सड़क से वाहनों की यात्रा सुगम होगी और दोनों शहरों के बीच यात्रा के समय को कम करेगी।
एनजीओ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अनीता शेनाय ने कहा कि उन्होंने सहारनपुर के संभागीय वन अधिकारी के समक्ष एक आरटीआइ (सूचना का अधिकार) के तहत आवेदन दायर कर यह जानना चाहा है कि क्या पेड़ काटने का आदेश पारित किया गया है, जिसे स्पष्ट रूप से अस्वीकार कर दिया गया था।
पीठ ने कहा कि सभी दलीलें एनजीटी के समक्ष प्रस्तुत की जा सकती हैं और यह उचित होगा यदि अदालत को अधिकरण के फैसले का लाभ मिलता है, जो विशेष रूप से पर्यावरणीय मामलों से संबंधित है।
दिल्ली -देहरादून एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के लोनी, बागपत, शामली, सहारनपुर और गणेशपुर जैसे क्षेत्रों से गुजरते हुए दोनों शहरों को सीधे जोड़ेगा। इसमें गणेशपुर से देहरादून के बीच 19.78 किलोमीटर के रोड के लिए पहले चरण की वन मंजूरी पिछले साल सितंबर में और वन्यजीव मंजूरी इस साल पांच जनवरी को दी गई थी। इसका 3.6 किलोमीटर लंबा हिस्सा उत्तराखंड में और करीब 16 किलोमीटर हिस्सा उत्तर प्रदेश में होगा।