Move to Jagran APP

भारत में हुए हिंदू विवाह पर तलाक का फैसला नहीं दे सकती विदेशी कोर्ट : बॉम्बे हाई कोर्ट

बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि भारत में पंजीकृत हिंदू विवाह के मामले में विदेशी अदालत तलाक की प्रक्रिया नहीं चला सकती और न ही कोई आदेश दे सकती है। ऐसा कोई फैसला मान्य नहीं होगा।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 09:33 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 09:33 PM (IST)
भारत में हुए हिंदू विवाह पर तलाक का फैसला नहीं दे सकती विदेशी कोर्ट : बॉम्बे हाई कोर्ट
भारत में हुए हिंदू विवाह पर तलाक का फैसला नहीं दे सकती विदेशी कोर्ट : बॉम्बे हाई कोर्ट

मुंबई, प्रेट्र। भारत में पंजीकृत हिंदू विवाह के मामले में विदेशी अदालत तलाक की प्रक्रिया नहीं चला सकती और न ही कोई आदेश दे सकती है। ऐसा कोई फैसला मान्य नहीं होगा। बुधवार को यह बात बॉम्बे हाई कोर्ट ने कही।

loksabha election banner

जस्टिस आरडी धानुका की पीठ ने इस प्रकार के मामले में महिला की तलाक संबंधी प्रक्रिया रोके जाने की याचिका पर स्थगनादेश दे दिया। महिला के ब्रिटेन में स्थायी निवास करने वाले भारतीय पति ने मैनचेस्टर की अदालत में पत्नी को तलाक देने का मुकदमा दायर किया है। जबकि उसकी शादी दिसंबर 2012 में मुंबई में हिंदू रीति-रिवाज से हुई थी और मीरा-भायंदर नगर निगम में शादी का पंजीकरण हुआ था। शादी के बाद पति वापस ब्रिटेन चला गया जबकि पत्नी जुलाई 2013 में वहां गई।

ब्रिटेन पहुंचने पर पत्नी के साथ पति और उसके परिवारीजनों के बदसलूकी की और उत्पीड़न के बाद उसे वापस भारत जाने के लिए कहा। परिणामस्वरूप नवंबर 2013 में पत्नी वापस भारत आ गई। इसके बाद जून 2014 तक महिला और उसके परिवार वाले मामले विवाद को बातचीत से हल करने की कोशिश करते रहे। जून 2014 में महिला को ब्रिटिश कोर्ट का समन प्राप्त हुआ जिससे उसे पता चला कि पति ने उसके खिलाफ तलाक का मुकदमा दायर कर दिया है।

इसके बाद महिला ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर ब्रिटिश कोर्ट में तलाक मामले की सुनवाई पर आपत्ति जताई। कहा, जब विवाह हिंदू रीति-रिवाज से भारत में हुआ और इसका पंजीकरण भी यहीं पर हुआ तो तलाक का फैसला भी हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत भारतीय न्यायालय में ही होना चाहिए। हाई कोर्ट ने महिला की याचिका को उचित मानते हुए ब्रिटिश कोर्ट में सुनवाई पर स्थगनादेश दिया है। पति की ओर से उसके अधिवक्ता ने महिला की याचिका का विरोध किया लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी आपत्ति को नहीं सुना।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.