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खेलों में नाम कमाने की चाह रखने वाले बच्चों के लिए धौनी की तमाम खासियतें आगे बढ़ने की बड़ी सीख

आपके व्यक्तित्व की खूबियां समय पर सही फैसले लेने की काबिलियत और अंत तक जूझने की क्षमता आपकी सफलता सुनिश्चित करती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 29 Aug 2020 01:19 PM (IST)Updated: Sat, 29 Aug 2020 01:44 PM (IST)
खेलों में नाम कमाने की चाह रखने वाले बच्चों के लिए धौनी की तमाम खासियतें आगे बढ़ने की बड़ी सीख
खेलों में नाम कमाने की चाह रखने वाले बच्चों के लिए धौनी की तमाम खासियतें आगे बढ़ने की बड़ी सीख

नई दिल्ली, यशा माथुर। आपके खेल का करिश्मा स्पोर्ट्स में आगे बढ़ने का आधार बनता है। आपके व्यक्तित्व की खूबियां, समय पर सही फैसले लेने की काबिलियत और अंत तक जूझने की क्षमता आपकी सफलता सुनिश्चित करती है। भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तान रहे महेंद्र सिंह धौनी ने इसे साबित कर दिखाया। खेलों में नाम कमाने की चाह रखने वाले बच्चों-किशोरों के लिए धौनी की तमाम खासियतें आगे बढ़ने की बड़ी सीख हो सकती हैं..

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दोस्तो, धौनी महान हैं। आज उनकी कप्तानी में जीते मैचों, बैटिंग और विकेटकीपिंग के आंकड़े ही नहीं गिने जा रहे हैं, बल्कि प्रधानमंत्री भी उन्हें युवाओं के लिए प्रेरणा बता रहे हैं। पीएम की चिट्ठी कहती है कि एमएस धौनी का नाम सिर्फ आंकड़ों के लिए याद नहीं किया जाएगा, न ही किसी एक क्रिकेट मैच को जिताने के लिए., उनको सिर्फ एक खिलाड़ी के रूप में देखना गलत होगा। वह एक युग हैं।

हाई प्रेशर मैच में रिस्क: दोस्तो, धौनी ने जब 2007 के वर्ल्ड टी20 के फाइनल में हरभजन का विकल्प होने के बावजूद आखिरी ओवर में पाकिस्तान के सामने गेंद जोगिंदर शर्मा को पकड़ाई तो पूरा क्रिकेट जगत सन्न रह गया था। लेकिन टीम इंडिया ने नाटकीय ढंग से वह मैच जीता। कठिन समय में युवाओं को मौका देना, उन पर विश्वास करना धौनी को सबसे अलग श्रेणी में खड़ा करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी उनको कहा है कि, ‘मैदान पर आपके कई यादगार लम्हे आज की पीढ़ी के युवाओं के लिए उदाहरण हैं। यह पीढ़ी खतरा मोल लेने से नहीं डरती और मुश्किल हालात में एक-दूसरे का साथ देती है। आपने भी ऐसे रिस्क कई बार उठाए।

हाई प्रेशर मैचों में युवाओं को मौका दिया।’ टेबल टेनिस में हरियाणा का प्रतिनिधित्व करने वाले राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी मेहुल अरोड़ा कहते हैं, ‘मैं धौनी का प्रशंसक हूं। उनके जैसा ‘प्रजेंस ऑफ माइंड’ विश्व के किसी खिलाड़ी में नहीं है। उन्हें पता है कि मैच कैसे जिताना है। उन्होंने इसे अपने अनुभव से पाया है। उनमें मानसिक मजबूती खेलों से आई। ईशांत शर्मा ने एक ओवर में 24 रन दिए, फिर भी धौनी ने उन्हें अगला ओवर फेंकने को दिया और उन्होंने मैच जिताया। अगर आप किसी खिलाड़ी को दोबारा मौका ही नहीं देंगे, उस पर विश्वास नहीं करेंगे, तो वह प्लेयर खुद को कभी भी साबित नहीं कर पाएगा। मैं कैप्टन रहा हूं और मैंने भी अपने खिलाड़ियों को अच्छे मौके दिए हैं।’ 15 साल की उम्र से टेबल-टेनिस टूर्नामेंट्स खेलने वाले मेहुल के अनुसार, बेसिक्स क्लियर और फिटनेस अच्छी होने से हम मैच जीतते हैं।

छोटी-सी कुश्ती में संघर्ष अंत तक: ‘हमारे युवा मुश्किल परिस्थितियों में बिल्कुल नहीं घबराते, बल्कि बेखौफ हैं। जैसे आपने अपनी टीम की अगुवाई की।’ प्रधानमंत्री मोदी की यह तारीफ भी आज के खिलाड़ियों की खासियत है। टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कर चुके रेसलर रवि कुमार दहिया कहते हैं, ‘हमें किसी तरह से जीतना है, यही सोच कर हम मैच में जाते हैं। आखिरी सेकंड तक सोचते हैं कि हम जीत सकते हैं। मैंने अपने गांव में खेत के पास छोटे से अखाड़े में थोड़ी कुश्ती सीखी। दिल्ली आने पर महाबली सतपाल गुरु बने, तो एशिया चैंपियनशिप में फ्री स्टाइल में गोल्ड जीता। अब ओलंपिक में रेसलिंग में देश के लिए गोल्ड लाना चाहता हूं।’

टीम के साथ, जीत का विश्वास: वेस्टइंडीज के दिग्गज तेज गेंदबाज रहे माइकल होल्डिंग ने भी धौनी के लिए ट्वीट किया कि अगर चीजें नियंत्रण से बाहर जा रही हों, तो वह अपने खिलाड़ियों से शांतचित होकर बात करते थे और फिर चीजें खुद ही बदल जाती थीं। दोस्तो, हाल में धौनी के साथ सुरेश रैना ने भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया। पीएम ने रैना के लिए भी लिखा कि आप हमेशा टीम भावना के लिए याद किए जाएंगे। फुटबॉल की वरिष्ठ खिलाड़ी बेमबेम देवी कहती हैं, ‘हर खेल के लिए अनुशासन में रहने के साथ कड़ी मेहनत जरूरी होती है। टीम भावना आपको एक अच्छा खिलाड़ी बनाती है।’

मैं नहीं बन पाया धौनी जैसा: ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग ने बताया कि जब धौनी कप्तान थे, तो लगता था कि टीम हमेशा ऊपर उठ रही है। वह खिलाड़ियों से बेहतर करवाना जानते थे। यही वजह है कि उनके टीममेट उन्हें प्यार करते हैं। वह अपनी भावनाओं को कभी प्रकट नहीं होने देते। यह अच्छे कप्तान की निशानी है। जब मैं कप्तान था तो मैंने भी ऐसा करने की बहुत कोशिश की, लेकिन नहीं कर पाया।

माही हैं मेरे हीरो: क्रिकेटर, सलामी बल्लेबाज लोकेश राहुल ने बताया कि धौनी के अंदर जो शांति है और वह जिस तरह से अपने खिलाड़ियों से सर्वश्रेष्ठ निकालना जानते हैं, हर कोई उनसे कुछ न कुछ सीखना चाहता है। हर दिन उनसे काफी कुछ सीखने को मिला है। धौनी यानी माही मेरे जैसे छोटे शहरों से आने वाले खिलाड़ियों के हीरो हैं। हम सब एमएस धौनी जैसा बनना चाहते थे।

सपोर्ट से आगे बढ़े दीपक: रेसलर दीपक पूनिया ने बताया कि हरियाणा के झज्जर जिले से हूं। मेरे गांव में कोई सुविधा नहीं थी। छोटे-छोटे अखाड़ों में खेला। जब सुशील जी का नाम सुना तो उनसे मिलने दिल्ली आ गया और उन्हें बताया कि मेरी ट्रेनिंग अच्छी नहीं हो रही। तब उन्होंने मुङो काफी सपोर्ट किया। छोटे से गांव से आकर मैंने सब जूनियर एशियन चैंपियनशिप जीती। पिछले साल मेरा जूनियर वर्ल्ड रेसलिंग चैपियनशिप में गोल्ड आया।

टीम जोड़ना आता है: नेशनल फुटबॉल खिलाड़ी अनुष्का सैमुअल ने बताया कि मुझे टीम को साथ लेकर चलना आता है। जब मैं किसी टूर्नामेंट में नेतृत्व कर रही होती हूं तो टीम को साथ लेकर चलती हूं। मुझे टीम को जोड़ना आता है। सबको साथ लेकर चलती हूं कोई भेदभाव नहीं करती। टीम में झगड़ा नहीं होने देती। सबको मोटिवेट करती हूं। उनके साथ आगे बढ़ती हूं। जिस टीम में खिलाड़ी खुश और एक-दूसरे से जुड़ाव रखते हैं वही टीम अच्छी कहलाती है और कैप्टन ही यह कर सकता है। जैसे धौनी करते थे।

मैं सीनियर टीम के लिए भी खेलती हूं तो खुशमिजाज रहती हूं। अगर कोई टफ गेम है और चेहरे पर तनाव आ जाए तो टीम का मनोबल भी गिर जाता है। बेशक अंदर से डर लगे तो भी मैं सोचती हूं कि मैं कर सकती हूं। यही दिखाती भी हूं। धौनी भी मुश्किल मैच में भी कूल दिखते थे। मैंने भारतीय टीम के लिए भी खेला है। जब 11 साल की थी तभी मैंने नेशनल खेल लिया था।

कूल रहना आता है काम: मोटर स्पोर्ट्स अर्जुन राव ने बताया कि मैंने ऑटोक्त्रॉस रेस से 15 साल की उम्र में ही मोटर स्पो‌र्ट्स की शुरुआत कर दी थी। अपना फोकस कभी कम नहीं किया। हमेशा और बेहतर करने की कोशिश करता हूं। टीम इंडिया के लिए एशिया ऑटो चलाता हूं, जो कार स्टंट होते हैं। मैं धौनी भाई की तरह धैर्य और निरंतरता के कारण आगे बढ़ रहा हूं।

ट्रैक पर अच्छा प्रदर्शन करने के लिए इनकी बहुत जरूरत है। एक बार जब मेरी आइएनआरसी चिकमंगलूर रैली चल रही थी, मैं अपनी कैटेगरी का नेतृत्व कर रहा था। मेरे पीछे वाला ड्राइवर एक मिनट पीछे था। मुझे विश्वास था कि वह अपनी गाड़ी को तेजी से आगे बढ़ाएगा ताकि मुझसे आगे निकल जाए और गलती करेगा। अगर मैं थोड़ा आराम से चलूंगा तो भी जीत जाऊंगा। ऐसा करते हुए वास्तव में उसने गलती की और दुर्घटना का शिकार हो गया। कूल रहने के कारण मैं आसानी से जीत गया।


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