Move to Jagran APP

महज एक मिनट में पढ़ें कारगिल की कहानी

पाकिस्तान ने हर बार भारत के अमन चैन का कत्लेआम किया है। 1

By Edited By: Published: Sat, 02 Feb 2013 12:12 PM (IST)Updated: Sat, 02 Feb 2013 12:19 PM (IST)
महज एक मिनट में पढ़ें कारगिल की कहानी

नई दिल्ली। पाकिस्तान ने हर बार भारत के अमन चैन का कत्लेआम किया है। 1947 से 1999 तक पाकिस्तान ने भारत के साथ चार बार युद्ध किया। हर बार मुंह की खानी के बावजूद पाकिस्तान घुसपैठ करने से बाज नहीं आता है। कारगिल युद्ध के मामले में ताजा खुलासा एक पूर्व फौजी कर्नल (रिटायर्ड) अशफाक हुसैन ने किया है। उन्होंने अपनी किताब में परवेज मुशर्रफ के युद्ध से पहले एलओसी सीमा में लगभग ग्यारह किमी तक अंदर आने की बात कही गई है। चलिए हम आपको कारगिल युद्ध की याद दिला रहे हैं।

loksabha election banner

इन्हीं परिस्थितियों में 1999 में मई और जुलाई महीने के दौरान कारगिल युद्ध हुआ। अब तो पाकिस्तानी सेना के पूर्व अधिकारी भी कहने लगे हैं कि भारत में घुसपैठ पाकिस्तानी सैनिकों ने की थी। इतना ही नहीं यह बात भी साबित हो चुकी है कि पाकिस्तान की सेना घुसपैठिए आतंकियों की भारत की सीमा में घुसने में मदद कर रही थी। जब पाकिस्तानी घुसपैठिए बड़े पैमाने पर नियंत्रण रेखा पार कर भारत की ओर आकर जमने लगे, तो उन्हें निकाल बाहर करने के लिए भारतीय सेना को मोर्चा संभालना पड़ा। भारत के लिए मुश्किल की बात यह थी कि पाकिस्तान की सेना घुसपैठियों की मदद के लिए खुलकर सामने आने लगी।

इस युद्ध के पीछे पाकिस्तानी सेना का मकसद नियंत्रण रेखा पार कर भारत की महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा जमाना था। ऐसा करने से लेह-लद्दाख को भारत से जोड़ने वाली सड़क पर पाकिस्तान का नियंत्रण कायम हो जाता और इससे सियाचिन ग्लेशियर पर भारत की स्थिति कमजोर हो जाती। इस युद्ध की खास बात यह थी कि भारत की थल सेना और वायुसेना ने नियंत्रण रेखा को पार किए बिना ही फतह हासिल की थी। यह युद्ध दो माह से भी ज्यादा समय तक चला था।

जानकारी के मुताबिक युद्ध में भारत के करीब 527 जवान शहीद हुए थे और 1300 से ज्यादा जवान घायल हो गए थे। कारगिल युद्ध के दौरान घुसपैठियों को देश की सीमा से बाहर खदेड़ने के लिए जो अभियान चलाया गया था, उसे ऑपरेशन विजय नाम दिया गया था। चूंकि 26 जुलाई, 1999 को भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध में पूरी तरह से फतह हासिल की थी, इसलिए भारतवासी हर 26 जुलाई को विजय दिवस के रूप में मनाते हैं। अनेकता में एकता व सेना के मजबूत मनोबल ने भारत की जीत को सुनिश्चित किया। दुनिया का दूसरा सबसे ठंडा स्थान होने के बावजूद शौर्य और पराक्त्रम की गरमाहट में देश की सबसे जटिल सीमा की मुश्तैदी से सैनिक सुरक्षा कर रहे हैं।

भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा लगभग 740 किलोमीटर लंबी है, जो पहाड़ों और दुर्गम इलाकों के बीच से गुजरती है। दोनों देशों के बीच मौजूदा नियंत्रण रेखा लगभग वैसी ही है, जैसी 1947 के युद्ध के समय थी। 1947 के बाद दोनों देशों के बीच 1965 में फिर युद्ध छिड़ा, जिसमें पाकिस्तान की बुरी तरह हार हुई। इसके बाद 1971 में एक बार फिर युद्ध हुआ। इसी युद्ध में पूर्वी पाकिस्तान टूटकर बांग्लादेश बन गया। उस समय भी कश्मीर में कई जगहों पर लड़ाई हुई और नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों ने एक-दूसरे की चौकियों पर नियंत्रण किया। लेकिन बीते दशकों के दौरान नियंत्रण रेखा पर तनाव ज्यादा बढ़ा और सीमा पर घुसपैठ में भी इजाफा हुआ है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.