विवाद के बाद भारत हुआ सतर्क, लद्दाख में इसी साल शुरू होगी पहली मौसम नियंत्रित करने वाली सीमा चौकी
आइटीबीपी की बहुप्रतीक्षित मौसम को नियंत्रित करने वाली पहली सीमा चौकी इस साल लद्दाख में एलएसी के पास पैंगोंग त्सो झील पर संचालित हो जाएगी।
नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) की बहुप्रतीक्षित मौसम को नियंत्रित करने वाली पहली सीमा चौकी इस साल लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास बेहद बर्फीली और सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण पैंगोंग त्सो झील पर संचालित हो जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल भारत की अंतिम सीमा चौकी लुकुंग में स्थित है। यह स्थान लद्दख की पैंगोंग त्सो झील के पास स्थित है। इसी भारतीय क्षेत्र में आजकल भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने खड़ी हैं।
47 नई अग्रिम सीमा चौकियां बनाई जाएंगी
लद्दाख के काराकोरम दर्रे से लेकर अरुणाचल प्रदेश के जैकप लॉ तक ऐसी ही 47 नई अग्रिम सीमा चौकियां बनाई जाएंगी। अगले पांच सालों में इन स्थानों पर 25 नई चौकियां बन जाएंगी। यह सीमा चौकी बेहद महत्वाकांक्षी सामरिक परियोजना है। चूंकि इस चौकी में सशस्त्र आइटीबीपी को लंबे समय के लिए अग्रिम क्षेत्रों में तैनात किया जा सकेगा। इन क्षेत्रों में तापमान हमेशा माइनस जीरो डिग्री होता है और भीषण सर्दी पड़ती है। यहां के विकराल मौसम में जीवित रहना बड़ी चुनौती होती है।
एनपीसीसी की ओर से परियोजना को दिया जाएगा अंजाम
अधिकारियों का कहना है कि कांक्रीट की समग्र सीमा चौकी का निर्माण होने तक, यहां तापमान को नियंत्रित करने और उससे जुड़े और कई कार्यो का परीक्षण करना और उन्हें पूरा किया जाना है। इस परियोजना को नेशनल प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (एनपीसीसी) की ओर से अंजाम दिया जाना है। इस सरकारी उपक्रम की सेवाएं जल शक्ति मंत्रालय के अधीन आती हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि समग्र सीमा चौकी का काम पूरा होने तक तापमान नियंत्रित करने और उसे स्थिर करने का काम पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस चौकी में आंतरिक तापमान 22-23 डिग्री सेल्सियस रखने का लक्ष्य है, लेकिन अभी तक इसे केवल 11-12 डिग्री तक ही किया जा सका है।
डीजल या केरोसिन का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा
सूत्रों का कहना है कि इस आधुनिक चौकी में ऊर्जा के लिए स्वच्छ ईंधन या सौर ऊर्जा का उपयोग होगा। इसके लिए डीजल या केरोसिन का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इस चौकी की तर्ज पर भारत-चीन सीमा पर और चौकियां भी स्थापित की जाएंगी। इस सीमावर्ती सुरक्षा बल को इस संबंध में गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि लद्दाख के काराकोरम दर्रे से लेकर अरुणाचल प्रदेश के जैकप लॉ तक ऐसी ही 47 नई अग्रिम सीमा चौकियां बनाई जाएंगी। भारत-चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबे एलएसी में पहाड़, नदियां, मैदान और अन्य बर्फीले इलाके पड़ते हैं जिनकी निगरानी के लिए ऐसी चौकियों की सख्त आवश्यकता है।
दुर्गम पहाड़ों पर युद्ध कला में सिद्धहस्त
आइटीबीपी एलएसी की सुरक्षा के साथ ही 9 हजार फीट से 18,700 फीट ऊंचे पश्चिमी, मध्य और अग्रिम मोर्चो को संभालती है। मौजूदा समय में यहां 180 सीमा चौकियां हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि अगले पांच सालों में इस इलाके में ऐसी 25 चौकियां मौजूद होंगी। इन ऊंचे अक्षांशों वाली सीमा चौकियों में तरल रूप में पानी का संग्रह करने की भी सुविधा होगी। जहां पैंगोंग त्सो झील के आसपास तापमान सामन्यत: माइनस 40 डिग्री सेल्सियस रहता है, चौकी के अंदर तापमान को 22-28 डिग्री सेल्सियस रखने की सुविधा होगी।
प्रोजेक्ट को पहले ही फास्ट ट्रैक किया जा चुका है
एनपीसीसी में हाल में हुए बदलाव और वैश्विक महामारी कोरोना के चलते इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में पहले ही काफी देर हो चुकी है। लेकिन अब यह स्पष्ट है कि इस परियोजना का संचालन इस साल के अंत में शुरू किया जा सकेगा। यह पूछे जाने पर कि क्या अग्रिम मोर्चे पर भारतीय सेना, आइटीबीपी और चीन के पीएलए सैनिकों के बीच तनातनी के चलते इस कार्य की गति तेज की गई है, जवाब में दोनों अधिकारियों ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को पहले ही फास्ट ट्रैक किया जा चुका है। आइटीबीपी के महानिदेशक एसएस देसवाल ने पिछले साल ही कहा था कि मौसम को नियंत्रित करने वाली सीमा चौकी प्रोजेक्ट में देर होगी।