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देश में बनी पहली तीन परमाणु पनडुब्बियों में 95 फीसद सामग्री भी मेड इन इंडिया होगी

स्‍वदेशी पनडुब्बी निर्माण क्षमता में भारी इजाफा होने जा रहा है। स्वदेशी पहली तीन परमाणु पनडुब्बियों (Nuclear Attack Submarines) में 95 फीसद मेड इन इंडिया सामग्री होगी जो अगली तीन परमाणु पनडुब्बियों में और बढ़ जाएगी। पढ़ेंं यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 13 Jun 2021 03:47 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jun 2021 04:09 PM (IST)
देश में बनी पहली तीन परमाणु पनडुब्बियों में 95 फीसद सामग्री भी मेड इन इंडिया होगी
स्‍वदेशी पनडुब्बी निर्माण क्षमता में भारी इजाफा होने जा रहा है।

नई दिल्‍ली, एएनआइ। स्‍वदेशी पनडुब्बी निर्माण क्षमता में भारी इजाफा होने जा रहा है। स्वदेशी पहली तीन परमाणु पनडुब्बियों (Nuclear Attack Submarines) में 95 फीसद मेड इन इंडिया सामग्री होगी जो अगली तीन परमाणु पनडुब्बियों में और बढ़ जाएगी। सुरक्षा पर कैबिनेट समिति तीन परमाणु पनडुब्बियों के स्वदेशी निर्माण के लिए लगभग 50 हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। इन पनडुब्बियों को विशाखापत्तनम में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा बनाया जाएगा। 

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यह परियोजना अरिहंत श्रेणी की परियोजना से अलग है। इस परियोजना के तहत बैलिस्टिक मिसाइलों को लॉन्च करने की क्षमता के साथ छह परमाणु संचालित पनडुब्बियां बनाई जा रही हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि परमाणु हमला पनडुब्बी परियोजना स्वदेशी पनडुब्बी क्षमता में बड़ा इजाफा करेगी क्योंकि इसका 95 फीसद भारत में बनाया जाएगा। यह परियोजना निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों समेत घरेलू रक्षा क्षेत्र को एक बड़ा बढ़ावा देगी।

सूत्रों ने कहा कि योजनाकारों को भरोसा है कि वे बिना किसी बाहरी मदद के छह परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण की परियोजना को पूरा कर लेंगे। यदि जरूरी हो तो वे रणनीतिक साझेदार देशों में से किसी एक की मदद ले सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि यह परियोजना अर्थव्यवस्था के लिए भी बहुत मददगार होगी क्योंकि इससे रक्षा क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होने की उम्मीद है।

नौसेना और डीआरडीओ को इनमें से पहली तीन पनडुब्बियों के निर्माण को मंजूरी मिलेगी। इनके पास इस परियोजना के पूरा होने के बाद तीन और नावों के निर्माण का विकल्प होगा। भारतीय नौसेना का छह स्वदेशी परमाणु हमले वाली पनडुब्बियां रखने का प्रस्ताव कुछ प्रमुख रक्षा आधुनिकीकरण प्रस्तावों में से एक था। इस प्रस्‍ताव को साल 2014 में सत्ता में आने के तुरंत बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने मंजूरी दे दी थी। भले ही कुछ देरी हुई हो फि‍र भी भारत स्वदेशी पनडुब्बी निर्माण क्षमता के क्षेत्र में बड़ी प्रगति कर रहा है।


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