माल्या पर पहला लुकआउट सर्कुलर कानून सम्मत नहीं था : सीबीआइ
62 वर्षीय माल्या पर 9000 करोड़ रुपये की मनी लांड्रिंग और धांधली के मामले दर्ज हैं। वह देश छोड़कर 2 मार्च, 2016 को विदेश भाग गया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) का कहना है कि उद्योगपति विजय माल्या के खिलाफ जारी पहला लुक आउट सर्कुलर कानून सम्मत नहीं था। हवाई अड्डे पर बंदी बनाने संबंधी उस सर्कुलर में संशोधन की आवश्यकता थी और उस समय तक उसके खिलाफ कोई वारंट भी नहीं था।
सीबीआइ के सूत्रों ने बताया है कि माल्या जब 24 नवंबर, 2015 को लंदन से लौटा तो उसे गिरफ्तार करने का कोई आधार मौजूद नहीं था। चूंकि उसके खिलाफ 16 अक्टूबर, 2015 को बंदी बनाने के इरादे से लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया गया था।
सूत्रों के अनुसार पहले सर्कुलर में संशोधन की आवश्यकता थी, चूंकि तब तक माल्या जांच एजेंसी से सहयोग कर रहा था। उसके खिलाफ सुबूत तब जुटाए ही जा रहे थे और वह उस समय राज्यसभा सदस्य था। उसके खिलाफ तब तक कोई वारंट भी नहीं था। नोटिस में सुधार की गुंजाइश का अहसास होते ही जांच एजेंसी ने आव्रजन अधिकारियों को इसमें बदलाव करने की हिदायत दी। इसमें कहा गया कि माल्या जब भी कभी विदेश जा रहा हो उसको बंदी बनाने के निर्देश के साथ उसके जाने की तैयारी की जानकारी तत्काल सीबीआइ को दी जाए। उन्होंने बताया कि नई एलओसी भी जारी होने के बाद वह पूछताछ के लिए बुलाए जाने पर तीन बार पेश हुआ और चार विदेश यात्राएं भी कीं।
उल्लेखनीय है कि 62 वर्षीय माल्या पर 9000 करोड़ रुपये की मनी लांड्रिंग और धांधली के मामले दर्ज हैं। वह देश छोड़कर 2 मार्च, 2016 को विदेश भाग गया। वह अब भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ ब्रिटेन की अदालत में केस लड़ रह है।