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ऑक्‍सफॉर्ड यूनिवर्सिटी के छात्र संघ की अध्‍यक्ष बनकर भारतीय महिला रश्मि ने रचा इतिहास

ऑक्‍सफॉर्ड यूनिवर्सिटी छात्र यूनियन में बतौर अध्‍यक्ष पहली बार एक भारतीय महिला ने अपना झंडा बुलंद किया है। ऐसा करने वाली छात्रा का नाम रश्मि सामंत है। रश्मि ने मनिपाल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्‍नॉलॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 16 Feb 2021 03:39 PM (IST)Updated: Wed, 17 Feb 2021 07:12 AM (IST)
ऑक्‍सफॉर्ड यूनिवर्सिटी के छात्र संघ की अध्‍यक्ष बनकर भारतीय महिला रश्मि ने रचा इतिहास
रश्मि ने जीता ऑक्‍सफॉर्ड यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्‍यक्ष का चुनाव

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। एक भारतीय महिला ने ब्रिटेन की विश्‍व विख्‍यात ऑक्‍सफॉर्ड यूनिवर्सिटी के छात्र संघ में अध्‍यक्ष पद का चुनाव जीत कर इतिहास रच दिया है। इस महिला का नाम रश्मि सामंत है। रश्मि इस पद पर काबिज होने वाली पहली भारतीय महिला हैं। रश्मि का संबंध भारत के कर्नाटक के मनिपाल से है। उन्‍हें यहां पर हुए चुनवा में अपने अन्‍य तीनों प्रतिद्वंदियों से अधिक वोट हासिल हुए। रश्मि को इस चुनाव में पड़े कुल 3708 वोट में से 1966 वोट हासिल हुए।

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ऑक्‍सफॉर्ड यूनिवर्सिटी का ये चुनाव केवल रश्मि की जीत के लिए ही याद नहीं रखा जाएगा बल्कि इसलिए भी याद रखा जाएगा क्‍योंकि इस बार यहां पर रिकॉर्ड वोटिंग हुई। इस दौरान 4881 छात्रों ने विभिन्‍न पदों के लिए 36405 वोट डाले थे। अपनी चुनावी कैंपेन में रश्मि ने अपनी चार प्राथमिकताओं को छात्रों के सामने रखा था। इसमें से तीनबेहद खास थीं जिसमें यूनिवर्सिटी में उपनिवेशवाद से मुक्ति करने तथा समावेशिता, वैश्विक महामारी कोविड-19 की रोकथाम, छात्रों की मेंटल हेल्‍थ पर ध्‍यान देना शामिल था।

रश्मि ऑक्‍सफॉर्ड यूनिवर्सिटी के लिनाक्रे कॉलेज में एमएससी एनर्जी सि‍स्‍टम की छात्र हैं। उन्‍होंने अपनी स्‍कूल की पढ़ाई मनिपाल और उडूपी से की है। उनके पिता दिनेश एक बिजनेसमैन हैं और मां वातसला ग्रहणी हैं। उनके पिता का व्‍यवसाय उडूपी से कुछ दूरी पर है। रश्मि ने मनिपाल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्‍नॉलॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के बाद ऑक्‍सफॉर्ड का रुख किया था। एमआईटी में भी वो छात्र यूनियन की टेक्निकल सैक्रेटरी थी।

रश्मि ने एमआईटी में मनिपाल हैकथॉन की शुरुआत की थी। बतौर यूनिवर्सिटी की अध्‍यक्ष वो चाहती हैं कि वहां पर छात्रों की मैंटल हैल्‍‍थ के लिए अधिक से अधिक फंडिंग हो सके। साथ ही वो यूनिवर्सिटी में जीवाश्‍म ईंधन को बढ़ावा देना चाहती हैं। रश्मि ने अपनी चुनाव कैंपेन में होमोफोबिया और ट्रांसफोबिया से लड़ने की बात कही थी। उन्‍होंने कहा कि लोगों के बीच LGBT समुदाय को लेकर जो मानसिकता है उसको बदलने की जरूरत है।

सामंत के साथ कुछ और भारतीय भी इस चुनाव में अपनी जीत दर्ज कर सकें हैं। उनमें 2021-22 के लिए देविका उपाध्‍यक्ष ग्रेजुएट्स इलेक्ट और धीति गोयल स्टूडेंट ट्रस्टीज के पद के लिए चुनी गई हैं। सामंत की ही बात करें तो वो क्‍लाइमेट चेंज को लेकर काफी गंभीर हैं। आपको बता दें कि रश्मि जून 2016 से मई 2017 तक मैसाच्यूसेट इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी के एडिटोरियल बोर्ड में बतौर लेखिका रह चुकी हैं। उन्‍होंने गोवा शिपयार्ड लिमिटेड से अपनी इंटर्नशिप पूरी और फिर 2018 में उन्होंने यूनीवर्सिटी ऑफ केमिस्ट्री एंड टेक्नॉलजी में बतौर रिसर्च असिस्टेंट काम किया। वे ऑक्सफर्ड एविएशन सोसाइटी की महासचिव भी रह चुकी हैं।


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