स्कूली विद्यार्थियों के लिए बनी हेल्पलाइन पर भी दिख रहा कोरोना का खौफ, पूछे जा रहे ऐसे सवाल
स्कूली बच्चों की ओर से कोरोना वायरस को लेकर सवालों की बौछार हो रही है। किसी डाक्टर से ये सवाल होते तो बेहद सामान्य बात होती लेकिन ये प्रश्न स्कूल शिक्षा विभाग की उमंग किशोर हेल्पलाइन से पूछे जा रहे हैं।
भोपाल, जेएनएन। कोरोना की तीसरी लहर के बारे में सोचकर डर लग रहा है, नींद नहीं आती है। इससे बचने के लिए क्या करें? तीसरी लहर हमारे लिए खतरनाक है तो खान-पान में क्या शामिल करें? सवालों की यह बौछार स्कूली बच्चों की ओर से हो रही है। किसी डाक्टर से ये सवाल होते तो बेहद सामान्य बात होती, लेकिन ये प्रश्न स्कूल शिक्षा विभाग की उमंग किशोर हेल्पलाइन से पूछे जा रहे हैं। पढ़ाई से इतर कोरोना से जुड़े सवालों के जवाब काउंसलर दे भी रहे हैं। ऐसे सवालों की बढ़ती संख्या इस बात का संकेत है कि कोरोना की तीसरी लहर को लेकर बच्चों में डर और जागरूकता दोनों है।
अपनों को खोने का दर्द भी कर रहे साझा
यही नहीं, कोरोना से अपनों को खोने वाले बच्चे अपना दर्द भी इस हेल्पलाइन पर साझा कर रहे हैं। दसवीं कक्षा की एक छात्रा ने पूछा कि कोरोना की दूसरी लहर में वह अपनी मां को अस्पताल में भर्ती नहीं करवा सकी, जिससे उनकी मौत हो गई। इसका उसे जीवनभर दुख रहेगा। इसी तरह कुछ अवसादग्रस्त बच्चों के फोन भी आ रहे हैं, जिन्होंने कोरोना में किसी स्वजन को खोया है। प्रतिदिन करीब 200 फोन कोरोना की तीसरी लहर को लेकर किए जा रहे हैं।
काउंसलिंग के निर्देश
स्कूल शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी ने कोरोना की दूसरी लहर से आहत बच्चों को हताशा से उबारने के लिए काउंसलिंग करने के निर्देश दिए हैं। उनका मानना है कि दूसरी लहर में बच्चों ने अपनों को खोया है। काउंसलर उन्हें हताशा व परेशानी से उबारने में मदद करेंगे।
2020 में शुरू हुई थी हेल्पलाइन
उमंग किशोर हेल्पलाइन की शुरुआत 2020 में स्कूली विद्यार्थियों की समस्याओं को सुलझाने के लिए की गई थी। हेल्पलाइन के टोल फ्री नंबर 14425 पर प्रतिदिन करीब 200 काल कोरोना की तीसरी लहर से संबंधित आ रहे हैं। इस कोरोना काल में 10 से 18 साल के विद्यार्थियों के करीब 28 हजार कॉल आए हैं।
इस तरह के पूछे जा रहे सवाल
सवाल : मेरे पिताजी का कोरोना के कारण निधन हो गया, बहुत दुखी हूं।
जवाब: ऐसा महसूस होना स्वाभाविक है, लेकिन इससे उबरने का प्रयास करें। दिनचर्या में खुद को व्यस्त करें और सकारात्मकता प्रदान करने वाले कार्यो में खुद को लगाएं।
सवाल : दो साल के छोटे भाई को मैंने उसके जन्म के समय आइसीयू में देखा था। अब उसे अस्पताल में आक्सीजन और इंजेक्शन के साथ नहीं देखना चाहती, उसे कोरोना से कैसे बचाएं?
जवाब : अब भाई पूरी तरह स्वस्थ है। उसे लेकर आप सावधानी बरत सकती हैं, लेकिन इसके लिए भयभीत होना सही नहीं। जो स्थितियां अभी नहीं हैं, उन्हें लेकर डरें नहीं।
सवाल : तीसरी लहर के बारे में सोचकर नींद नहीं आती, डर बना हुआ है?
जवाब : प्राणायाम और योग करें। तनाव न लें। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है। अपना ध्यान रचनात्मक कार्यो में लगाएं।
तीसरी लहर को लेकर बच्चे चिंतित
उमंग किशोर हेल्पलाइन के निदेशक माया बोहरे कहते हैं कि कोरोना की तीसरी लहर को लेकर बच्चे बहुत चिंतित हैं। साथ ही कोरोना के कारण जिन बच्चों ने अपनों को खोया है, वे काउंसलर से सलाह ले रहे हैं। उनमें असुरक्षा और डर है। इससे निकालने का प्रयास किया जाता है।