Move to Jagran APP

बोर्ड परीक्षा को लेकर छात्रों में डर, सुसाइड नोट लिख चुका था छात्र, डॉक्टर ने की काउंसलिंग

एक बच्चे को डर था कि उसका पेपर बिगड़ जाएगा। लिहाजा उसने सुसाइड नोट लिखकर रखा था।

By Arti YadavEdited By: Published: Mon, 19 Mar 2018 10:45 AM (IST)Updated: Mon, 19 Mar 2018 11:15 AM (IST)
बोर्ड परीक्षा को लेकर छात्रों में डर, सुसाइड नोट लिख चुका था छात्र, डॉक्टर ने की काउंसलिंग

भोपाल, (नईदुनिया)। राजधानी के बड़े स्कूलों में शामिल एक सीबीएसई स्कूल के 10वीं के छात्र को परीक्षा के पहले से नींद नहीं आ रही थी। सोते समय डरावने सपने आ रहे थे। एक बच्चे को डर था कि उसका पेपर बिगड़ जाएगा। लिहाजा उसने सुसाइड नोट लिखकर रखा था कि पेपर बिगड़ा तो आत्महत्या कर लेगा। माता-पिता नींद न आने की समस्या लेकर मनोचिकित्सक डॉ. प्रीतेश गौतम के पास पहुंचे। यहां, काउंसलिंग के दौरान बच्चे ने बताया कि वह सुसाइड करने तक की सोच चुका था।

loksabha election banner

डॉ. गौतम ने बताया कि काउंसलिंग के बाद बच्चे का डिप्रेशन कम हुआ। अब वह खुद बोलता है कि मैं पागल था जो ऐसा सोच रहा था। इसी तरह दूसरा मामला हमीदिया अस्पताल के क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट राहुल शर्मा के पास पहुंचा। 10वीं की छात्रा को कई दिनों से नींद नहीं आ रही थी। वह किताब खोलकर बैठी रहती थी। माता-पिता को लगता था कि वह बहुत पढ़ाई कर रही है। लेकिन उसे घबराहट और बेचैनी होती थी। काउंसलिंग के बाद उसे रिलैक्सेशन थैरेपी दी गई। माता-पिता की काउंसलिंग की गई। तब बच्ची का डर खत्म हुआ।

इस समय बोर्ड परीक्षाओं के चलते 104 कॉल सेंटर में हर दिन करीब ढाई सौ कॉल परीक्षाओं से जुड़े पहुंच रहे हैं। मनोचिकित्सकों और काउंसलर्स के पास माता-पिता बच्चों को लेकर पहुंच रहे हैं। 'जीवन में हर पल परीक्षा है' मनोचिकित्सकों और क्लीनिकल साइकोलॉजिस्टों का कहना है कि जीवन में हर पल परीक्षा है, इसलिए परीक्षा से डरने की जरूरत नहीं। इसके बाद भी परीक्षाओं से छात्र डरे हुए हैं। वे बेहतर कर सकते हैं। लेकिन, डर व डिप्रेशन के चलते अपना नुकसान कर रहे हैं। उनका कहना है ऐसे समय में माता-पिता को दोस्त की तरह बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाना चाहिए। उसकी परेशानी पूछनी चाहिए। अगर बच्चे को नींद और भूख नहीं है या बहुत ज्यादा है तो काउंसलर के पास ले जाना जरूरी है।

केस-1: पेपर बिगड़ने के डर से हुआ डिप्रेशन

सीबीएसई कोर्स 12 वीं में पढ़ने वाले एक छात्र को 9 वीं क्लास से पोर्न देखने की आदत है। 12 वीं की परीक्षा आई तो वह पढ़ ही नहीं पा रहा है। पढ़ाई के बीच में उसे बार-बार पोर्न देखने की इच्छा पड़ने लगी। वह पढ़ाई से कटने लगा। पेपर बिगड़ने के डर से डिप्रेशन में आ गया। इसके बाद माता-पिता उसे मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी के पास ले गए। अकेले में की गई काउंसलिंग में बच्चे ने राज खोले।

केस-2 : पढ़ाई में मन नहीं लग रहा

शहर के नामी स्कूल में पढ़ने वाले 10वीं क्लास के छात्र का पढ़ाई में मन नहीं लग रहा। उसने 104 कॉल सेंटर पर फोन कर अपनी समस्या बताई। उसका कहना था कि पढ़ाई में मन नहीं लग रहा बार-बार पोर्न देखने का मन करता है। पेपर बिगड़ने का डर है। यहां काउंसलर्स ने उसे समझाया। इसके बाद समस्या दूर हुई। 

यह करें माता-पिता और छात्र

बच्चा परीक्षा में खुद को संकट में मानता है। ऐसे में उसकी मदद करनी चाहिए। हतोत्साहित नहीं करना चाहिए।बच्चे के विश्वास को बढ़ाना चाहिए। उसे जितना आता है, उसमें ही बेहतर कर सकता है। उसे दिलासा देना चाहिए व अच्छा कर सकेगा।  बच्चे के अंदर परीक्षा को लेकर डर रहता है। इसे परफॉरमेंस एंग्जायटी कहा जाता है। वह बहुत अच्छा कर सकता है फिर डरा रहता है। यहां उसका आत्मविश्वास बढ़ाने की जरूरत है।

बच्चे से माता-पिता सामंजस्यपूर्ण व्यहवार बनाएं, जिससे बच्चा माता-पिता के साथ अपना डर साझा कर सके।  कठिन सवाल देखकर बच्चा घबराता है। उसके अंदर हीन भावना आती है। सब कुछ भूलने लगता है। इसे ब्लैकआऊट कहते हैं। ऐसे में पूरे सवाल पढ़ें और जो सरल सवाल हैं पहले उसे करें। पेपर पढ़ने, समझने और हल करने का तरीका होता है, उसे अपनाना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.