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एफडीआइ से किसान व उपभोक्ता को फायदा: मनमोहन

लुधियाना [कैलाश नाथ]। संसद में एफडीआइ पर मिली जीत की खुशी प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के शब्दों में साफ झलकी। शनिवार को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय [पीएयू] के गोल्डन जुबली समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे प्रधानमंत्री ने उचित रखरखाव न होने के कारण अनाज की हो रही बर्बादी, किसान और उपभोक्ता के बीच की दूरी और उससे इन दोनों को हो रहे नुकसान पर न सिर्फ चिंता जताई, बल्कि आशा व्यक्त की एफडीआइ से अब इन समस्याओं का अंत होगा।

By Edited By: Published: Sat, 08 Dec 2012 02:27 PM (IST)Updated: Sat, 08 Dec 2012 06:58 PM (IST)
एफडीआइ से किसान व उपभोक्ता को फायदा: मनमोहन

लुधियाना [कैलाश नाथ]। संसद में एफडीआइ पर मिली जीत की खुशी प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के शब्दों में साफ झलकी। शनिवार को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय [पीएयू] के गोल्डन जुबली समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे प्रधानमंत्री ने उचित रखरखाव न होने के कारण अनाज की हो रही बर्बादी, किसान और उपभोक्ता के बीच की दूरी और उससे इन दोनों को हो रहे नुकसान पर न सिर्फ चिंता जताई, बल्कि आशा व्यक्त की एफडीआइ से अब इन समस्याओं का अंत होगा।

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खुदरा बाजार में विदेशी पूंजीनिवेश पर लोकसभा व राज्यसभा में मिली जीत के बाद पहली बार संसद के बाहर प्रधानमंत्री ने कहा कि किसान संगठनों ने एफडीआइ का पूरा समर्थन किया है। एफडीआइ के आने से कृषि क्षेत्र में निवेश के साथ-साथ नई तकनीक का भी मेल होगा। अभी किसान और उपभोक्ता के बीच एक लंबी चेन है जिस वजह से दोनों को ही नुकसान हो रहा है। एफडीआइ से अब बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी, जिससे न केवल किसान को उचित मूल्य मिलेगा, बल्कि उपभोक्ता को भी फायदा होगा।

प्रधानमंत्री ने बताया कि 12 वीं योजना में देश के जीडीपी [सकल घरेलू उत्पाद] का एक फीसदी हिस्सा कृषि शोध पर खर्च किया जाएगा, जो कि 11 वीं योजना में 0.65 फीसदी है। कृषि विविधता और कृषि शोध पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि धान और गेहूं के फसल चक्र को तोड़ना होगा। इसके विकल्प के रूप में मक्का, कपास, गन्ना, दलहन, तिलहन, फल और सब्जियों पर ध्यान देना होगा। इसमें कृषि विश्वविद्यालय सबसे अहम भूमिका निभा सकते हैं, ताकि किसान अन्य फायदेमंद उत्पादों में अपनी रुचि दिखाएं।

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