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फास्ट ट्रैक कोर्ट का पहला इंसाफ, दुष्कर्मी को दी फांसी

नई दिल्ली [जासं]। राजधानी में दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं को जल्द न्याय दिलाने के लिए गठित की गई फास्ट ट्रैक अदालतों ने परिणाम देना शुरू कर दिया है। द्वारका की फास्ट ट्रैक अदालत ने दो साल पहले तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म और फिर हत्या के एक मामले का निपटारा करते हुए आरोपी 60 वर्षीय सुरक्षा गार्ड को फांसी की सजा सुनाई है।

By Edited By: Published: Tue, 15 Jan 2013 08:54 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2013 10:05 PM (IST)
फास्ट ट्रैक कोर्ट का पहला इंसाफ, दुष्कर्मी को दी फांसी

नई दिल्ली [जासं]। राजधानी में दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं को जल्द न्याय दिलाने के लिए गठित की गई फास्ट ट्रैक अदालतों ने परिणाम देना शुरू कर दिया है। द्वारका की फास्ट ट्रैक अदालत ने दो साल पहले तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म और फिर हत्या के एक मामले का निपटारा करते हुए आरोपी 60 वर्षीय सुरक्षा गार्ड को फांसी की सजा सुनाई है।

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जज विरेंद्र भट्ट ने अपने फैसले में कहा कि एक अबोध बच्ची, जो अपने घर का रास्ता भूल गई थी, को घर पहुंचाने की जगह आरोपी ने हवस का शिकार बनाया, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई। ऐसा अपराधी किसी भी दृष्टि में रहम के लायक नहीं है। यह अपराध कानून की नजर में दुर्लभ से भी दुर्लभ श्रेणी में आता है।

कापसहेड़ा में 10 अप्रैल, 2011 को बच्ची अपने घर के बाहर खेल रही थी। खेलते हुए वह कुछ दूर एक फार्म हाउस के पास चली गई और घर का रास्ता भूलकर रोने लगी। उस वक्त सुरक्षा गार्ड भरत सिंह ने बहला-फुसला कर बच्ची को फार्म हाउस में बुलाया और दुष्कर्म किया। दुष्कर्म के दौरान ही बच्ची की मौत हो गई। पकड़े जाने के डर से भरत ने बच्ची की लाश को बाहर फेंकने की बजाय फार्म हाउस में ही छिपा दिया।

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