Move to Jagran APP

किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कृषि कानून लागू करना क्‍यों है जरूरी, नीति आयोग के सदस्‍य ने बताया

नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा है कि यदि तीनों नए कृषि कानूनों का कार्यान्वयन जल्द नहीं होता है तो 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल नहीं हो पाएगा। ठंडे दिमाग और संतुलित तरीके से विचार के लिए काफी समय है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 28 Mar 2021 09:50 PM (IST)Updated: Mon, 29 Mar 2021 12:22 AM (IST)
किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कृषि कानून लागू करना क्‍यों है जरूरी, नीति आयोग के सदस्‍य ने बताया
दिल्ली की सीमा पर किसान यूनियनें पिछले चार महीने से इन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रही हैं।

 नई दिल्ली, प्रेट्र। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा है कि यदि तीनों नए कृषि कानूनों का कार्यान्वयन जल्द नहीं होता है तो 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल नहीं हो पाएगा। उन्होंने कहा कि किसान संघों को सरकार की इन कानूनों पर धारा-दर-धारा के आधार पर विचार-विमर्श की पेशकश को स्वीकार कर लेना चाहिए। नीति आयोग के सदस्य (कृषि) चंद ने विशेष साक्षात्कार में कहा कि जीन संवíधत फसलों पर पूर्ण प्रतिबंध सही रवैया नहीं होगा। 

loksabha election banner

नीति आयोग के सदस्य ने कहा, जीन संवर्धित फसलों पर पूर्ण प्रतिबंध सही नहीं होगा

दिल्ली की सीमा पर किसान यूनियनें पिछले चार महीने से इन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रही हैं। सरकार और यूनियनों के बीच इन कानूनों को लेकर 11 दौर की बातचीत हो चुकी है। आखिरी दौर की वार्ता 22 जनवरी को हुई थी। 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के बाद बातचीत का सिलसिला टूट गया था।

किसानों का कहना है कि इन कानूनों से राज्यों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद व्यवस्था समाप्त हो जाएगी। चंद ने कहा, इसका रास्ता कुछ देने और कुछ लेने से ही निकल सकता है। यदि आप अपनी मांग पर टिके रहते हैं, तो आगे कोई वांछित रास्ता निकलना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसान नेताओं को एक मजबूत विकल्प दिया है। यह इन कानूनों को डेढ़ साल तक रोकने का विकल्प है।

किसान संघ पिछले चार महीने से नए कृषि कानूनों का कर रहे हैं विरोध

उन्होंने कहा, ठंडे दिमाग और संतुलित तरीके से विचार के लिए काफी समय है। शुरुआती प्रक्रिया भावनात्मक या किसी दबाव में हो सकती है। लेकिन मुझे लगता है कि अब सभी ठंडे दिमाग से इस पर विचार करेंगे। किसान नेताओं को अपनी प्रतिक्रिया देनी चाहिए। उन्हें वहां बदलाव की मांग करनी चाहिए जहां उन्हें लगता है कि यह उनके हित के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि आंदोलन कर रहे किसानों को अपनी बात खुले दिल से रखनी चाहिए। अन्यथा उनकी चुप्पी उनके खिलाफ जाएगी। समाज में यह छवि बन रही है कि यह आंदोलन राजनीतिक हो गया है। ऐसे में किसानों को विस्तार से अध्ययन करना चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि अमुक प्रावधान हमारे खिलाफ है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.