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डेढ़ साल तक कानून रोकने के लिए सरकार तैयार, किसान नेताओं ने प्रस्‍ताव ठुकराया, 22 को फिर होगी बैठक

नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच आज 10वें दौर की वार्ता हो रही है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल किसानों के साथ विज्ञान भवन में बातचीत कर रहे हैं।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 08:27 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 08:03 PM (IST)
डेढ़ साल तक कानून रोकने के लिए सरकार तैयार, किसान नेताओं ने प्रस्‍ताव ठुकराया,  22 को फिर होगी बैठक
नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच वार्ता जारी।

नई दिल्ली, एजेंसियां। नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच आज 10वें दौर की वार्ता जारी है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल किसानों के साथ विज्ञान भवन में बातचीत कर रहे हैं। पहले यह वार्ता मंगलवार को होनी थी, लेकिन इसे टाल दिया गया।  बता दें कि किसान 26 नवंबर से ही तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। वे तीनों कानूनों की वापसी के मांग पर अड़े हुए हैं। वहीं, दूसरी ओर केंद्र सरकार नए कानूनों को किसानों के लिए हितकारी बता रही है और गतिरोध को बातचीत के माध्यम से सुलझाना चाहती है। इसे लेकर दोनों पक्षों के बीच अब तक नौ दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अब तक कुछ हासिल नहीं हुआ है। 

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Farmers Protest 10th round of talks Updates

- बैठक के बाद बाद बाहर निकल कर किसान नेता ने कहा कि सरकार ने कहा है कि वह डेढ़ साल के लिए कानूनों को निलंबित करने के लिए तैयार है। जवाब में, किसानों ने कहा कि कानूनों को निलंबित करने का कोई मतलब नहीं है और यह स्पष्ट किया है कि हम कानूनों को निरस्त करना चाहते हैं।

- सूत्रों के अनुसार, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक कमेटी के गठन का प्रस्‍ताव दिया, जिसमें सरकार और किसान के सदस्य होंगे। समिति क्‍लाज वाइज कानूनों पर चर्चा करेगी, जबकि अदालत ने 2 महीने के लिए खेत कानूनों पर रोक लगा दी है। अगर जरूरत हुई और परामर्श जारी रहा, तो सरकार कानून के कार्यान्वयन पर एक साल तक रोक लगा सकती है।

- 10 वें दौर की बातचीत रही बेनतीजा, केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों पर अस्थाई रोक का प्रस्ताव दिया, जिस पर किसान नेता राजी नहीं हुए। सरकार ने आंदोलन खत्‍म करने की अपील की।    

- भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर एक कानून बनाना होगा और तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करना होगा। हमारा विरोध सरकार और कॉर्पोरेट सिस्टम के खिलाफ है। 

- कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 56वें दिन भी जारी है। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के अध्यक्ष ने बताया, 'आज की बैठक से भी उम्मीद नहीं है। इसका नतीजा पहली बैठक जैसा ही रहेगा क्योंकि सरकार का कानूनों को रद करने और एमएसपी पर कानून बनाने का मन नहीं है।

वार्ता के माध्यम से समाधान तक पहुंचने के लिए केंद्र सकारात्मक: नरेंद्र तोमर

15 जनवरी को केंद्र सरकार और किसान यूनियनों के बीच नौवें दौर की बातचीत हुई थी। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि यूनियनों को आपस में अनौपचारिक समूह बनाने और अपनी मांगों के बारे में सरकार को एक मसौदा प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। कृषि मंत्री ने कहा है कि सरकार 'खुले मन' से मसौदे पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ठंड की स्थिति में विरोध कर रहे किसानों को लेकर चिंतित है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वार्ता के माध्यम से समाधान तक पहुंचने के लिए केंद्र सकारात्मक है। 12 जनवरी को, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी और उसके द्वारा गठित समिति से दो महीने में अपनी रिपोर्ट देने को कहा।

समिति को दो महीने के भीतर रिपोर्ट देने के निर्देश

समिति को निर्देश दिया गया है कि वह किसानों के साथ बातचीत करे और अपनी पहली बैठक के दो महीने के भीतर कृषि कानूनों से संबंधित अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करे। हालांकि, किसान यूनियनों के नेताओं ने समिति को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि उनके सदस्य पहले से ही कृषि कानूनों के पक्षधारी हैं। भारतीय किसान यूनियन (मान) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने गुरुवार को नए कृषि कानूनों को लेकर शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त चार सदस्यीय समिति से खुद को अलग कर लिया।

समिति 21 जनवरी को किसानों के साथ अपनी पहली बैठक करेगी

समिति 21 जनवरी को किसानों के साथ अपनी पहली बैठक करेगी। मंगलवार को पैनल के सदस्य अनिल घणावत ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि समिति के सामने सबसे बड़ी चुनौती आंदोलनकारी किसानों को इस मामले पर चर्चा करने के लिए मनाने की है।

यह भी पढ़ें: विशेषज्ञ समिति की पहली बैठक: नए कृषि कानूनों को वापस लेना किसानों के हित में नहीं


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