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कानून वापसी से कम पर मानने को तैयार नहीं किसान, संगठनों ने कहा- वार्ता को तैयार लेकिन ठोस प्रस्ताव लेकर आए सरकार

किसान नए कृषि कानूनों से वापसी से कम पर तैयार नहीं हैं। किसान संगठनों ने कहा कि वे बातचीत को तैयार है लेकिन सरकार ठोस प्रस्ताव लेकर आए। किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव पर कोई जवाब नहीं दिया। जानें क्‍या कह रही है सरकार...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 23 Dec 2020 09:35 PM (IST)Updated: Thu, 24 Dec 2020 07:17 AM (IST)
कानून वापसी से कम पर मानने को तैयार नहीं किसान, संगठनों ने कहा- वार्ता को तैयार लेकिन ठोस प्रस्ताव लेकर आए सरकार
किसान नए कृषि कानूनों से वापसी से कम पर तैयार नहीं हैं।

नई दिल्ली, जेएनएन। नए कृषि कानूनों पर किसान संगठनों और सरकार के बीच गतिरोध टूटता नहीं दिख रहा है। अपनी जिद पर अड़े किसान संगठन कानून वापसी से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं। वे सरकार के साथ वार्ता तक को तैयार नहीं हो रहे हैं। उनके अडि़यल रुख का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बुधवार को भी किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव पर कोई जवाब नहीं दिया।

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एमएसपी की गारंटी से कम कुछ भी मंजूर नहीं

संयुक्त किसान मोर्चा की बुधवार की बैठक के नतीजे ढाक के तीन पाल जैसे ही रहे। किसान संगठन कृषि कानूनों को रद करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने की मांग से नीचे आने को तैयार नहीं हैं। सरकार के प्रस्तावों को उन्होंने पहले ही गुमराह करने की चाल बताकर खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा, 'हम वार्ता को तैयार हैं, लेकिन इसके लिए सरकार की ओर से कुछ ठोस प्रस्ताव तो आए।' उनके इस अडि़यल रवैये से वार्ता में गतिरोध बने रहने की आशंका और बढ़ गई है।

वार्ता के लिए शर्त नहीं होनी चाहिए : तोमर

इस बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने फिर जोर दिया कि किसी भी आंदोलन का समाधान तो वार्ता की मेज से ही निकल सकता है। वार्ता में आने के लिए किसी शर्त का कोई औचित्य नहीं है। तोमर ने कहा, 'कृषि क्षेत्र में जरूरी सुधार लंबे समय से लंबित थे। अब इस दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।' आंदोलन के लंबा ¨खचने के बारे में उन्होंने कहा कि किसान नेता जल्दी ही चर्चा के लिए आएंगे।

प्रस्‍तावों पर दें जवाब

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आग्रह किया, 'सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्तावों पर वे अपनी टिप्पणी करें। उसमें कुछ जोड़ें और कुछ घटाकर बताएं कि इसका क्या प्रभाव होगा। वार्ता के लिए उन्हें जब सुविधा हो, बताएं। सरकार वार्ता के लिए तैयार है।' कृषि कानून के समर्थक नेताओं से कृषि मंत्री तोमर की लगातार मुलाकात को किसान संगठन आंदोलन को तोड़ने की साजिश के रूप में देख रहे हैं।

सरकार की चिट्ठी पर चर्चा बेनतीजा

दिल्ली बार्डर पर पिछले 28 दिनों से मोर्चा जमाए किसान संगठनों की बैठक में सरकार की चिट्ठी पर लंबी चर्चा हुई। लेकिन वार्ता में आने से पहले की किसान संगठनों की शर्तें फिर बाधा बनकर खड़ी हो गई। सरकार के भेजे प्रस्तावों को अर्थहीन और कृषि मंत्रालय की चिट्ठी को गुमराह करने की चाल बताकर उन्होंने खारिज कर दिया। बैठक की जानकारी देते हुए किसान नेताओं ने कहा कि कृषि कानूनों में प्रस्तावित संशोधनों को तो उन्होंने पहले ही खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार कुछ ठोस और नया प्रस्ताव लिखित तौर पर लेकर आए, तो हम अगले दौर की वार्ता के लिए तैयार हैं।

संशोधनों को नहीं मानेंगे

किसान नेता शिवकुमार कक्का ने कहा, 'हमने तो गृह मंत्री अमित शाह को पहले ही बता दिया था कि हम संशोधनों को स्वीकार नहीं करेंगे।' स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने कहा, 'हम किसान यूनियन के लोग वार्ता की मेज पर सरकार के खुले मन से आने का इंतजार कर रहे हैं।' ऑल इंडिया किसान सभा के नेता हन्नान मुल्ला का आरोप है कि सरकार चाहती है कि किसान थककर आंदोलन समाप्त कर दें। 


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