Move to Jagran APP

पीएम मोदी की अपील के बाद किसान नेता बोले- हम भी बातचीत के लिए तैयार, सरकार तय करे वार्ता की तारीख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंदोलन खत्‍म करने की अपील और बातचीत के लिए निमंत्रण देने के बाद किसान संगठनों ने कहा है कि सरकार बातचीत के अगले दौर की तारीख तय करे। जानें किसान संगठनों ने क्‍या कहा है...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 08 Feb 2021 06:47 PM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2021 01:25 AM (IST)
पीएम मोदी की अपील के बाद किसान नेता बोले- हम भी बातचीत के लिए तैयार, सरकार तय करे वार्ता की तारीख
किसान संगठनों ने कहा है कि सरकार बातचीत के अगले दौर की तारीख तय करे।

नई दिल्ली, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंदोलन खत्‍म करने की अपील और बातचीत के लिए निमंत्रण देने के बाद किसान संगठनों ने कहा है कि सरकार बातचीत के अगले दौर की तारीख तय करे। हालांकि नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान नेताओं ने राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी की उस टिप्पणी पर आपत्ति जताई है जिसमें उन्‍होंने देश में आंदोलनजीवियों की एक नई जमात पैदा होने की बात कही है। किसान नेताओं का कहना है कि लोकतंत्र में आंदोलन की महत्वपूर्ण भूमिका है। 

loksabha election banner

केंद्र सरकार बैठक तय करे 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों से वार्ता के प्रस्ताव पर संयुक्त किसान मोर्चा की समन्वय समिति के सदस्य शिव कुमार शर्मा उर्फ कक्काजी ने कहा कि केंद्र सरकार वार्ता का स्थान और तारीख तय करे, किसान सरकार से वार्ता को फिर तैयार हैं। उन्‍होंने कहा कि हमने बातचीत से कभी भी इनकार नहीं किया है। सरकार ने हमको जब भी बातचीत के लिए बुलाया है हमने बात की है। हम आगे भी सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं।

मौखिक आश्‍वासन नहीं चाहिए 

कक्काजी ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में कहा कि किसान वार्ता से कभी पीछे नहीं हटे हैं लेकिन प्रधानमंत्री से लेकर उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की बात सिर्फ मौखिक रूप कर रहे हैं। यह एक तरह से जबानी जमा खर्च है, जिसकी लिखित कानूनों के सामने कोई अहमियत नहीं है। इसलिए किसान संगठन भी मौखिक रूप में ही प्रधानमंत्री से लेकर उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों के बयानों का स्वागत कर रहे हैं। 

विपक्ष बहुत ही कमजोर 

आंदोलनकारियों पर प्रधानमंत्री की टिप्पणी को लेकर कक्काजी ने कहा कि राममनोहर लोहिया ने कहा था कि जिस दिन सड़कें सुनसान हो जाएंगी उस दिन संसद खामोश हो जाएगी। लोकतंत्र में सत्याग्रह, आंदोलन जिंदा कौम करती है और इन्होंने ही देश की समय-समय पर दिशा और दशा बदलने का काम किया है। उन्हें अपनी पहचान की जरूरत नहीं है। शायराना अंदाज में कक्काजी बोले- मुझे बंद करो या मेरी जुबां करो, मेरे ख्यालों को बेडि़यां पहना नहीं सकते। कक्काजी के अनुसार पिछले सात साल में विपक्ष बहुत ही कमजोर रहा, इस कारण आंदोलन कम हुए। 

दर्शनपाल ने वार्ता पर जताई सहमति 

उधर, संयुक्त किसान मोर्चे के एक अन्य प्रभावी नेता दर्शनपाल ने भी राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वक्तव्य के बाद सोनीपत में कहा कि किसान संगठनों के नेता बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार की ओर से इसके लिए अधिकारिक तौर पर न्योता आना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह अपनी मांग सरकार के पास पहले ही रख चुके हैं। उनकी ओर से बातचीत का प्रस्ताव तैयार है। सरकार को बातचीत के लिए बुलाना चाहिए।

टिकैत भी सहमत

इस मुद्दे पर बातचीत के लिए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी सहमति जताई है।वहीं, भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि उनके पास कोई फोन नहीं आया। 

चढूनी बोले, कानून वापसी तक नहीं मानेंगे

हरियाणा में सिरसा के गांव चौटाला में भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि जब तक कृषि कानून वापस नहीं होते तब तक हम नहीं मानेंगे। प्रधानमंत्री ने एक काल की दूरी की बात कही, लेकिन किसी को समझ नहीं आया कि इसका मतलब क्या है। हम दिल्ली में बैठे हैं, अभी तक तो किसी का फोन नहीं आया है। सरकार के साथ 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई हल नहीं निकाला। उन्होंने कहा कि पूंजीपतियों से लड़ाई आसान नहीं है।

एमएसपी पर कानून बनने से होगा फायदा : टिकैत

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर उलझा रही है। एमएसपी पर कानून बनने से ही देश के किसानों को फायदा होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्यसभा में संबोधन के बाद सोमवार को दिल्ली की सीमा पर यूपी गेट पर राकेश टिकैत ने उक्त टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जिस तरह फ्लाइट के टिकट की कीमत बढ़ती-घटती है, उसी तरह अनाज का दाम भूख के आधार पर तय नहीं होने दिया जाएगा। हम सरकार से बातचीत करने से मना नहीं कर रहे हैं। मंच भी वही है, पंच भी वही हैं। सरकार बात करना चाहती है तो हमारी कमेटी बात करेगी।

पीएम मोदी ने की यह अपील  

दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसानों से अपना आंदोलन खत्‍म कर कृषि सुधारों को एक मौका देने की गुजारिश की। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम आंदोलन से जुड़े लोगों से प्रार्थना करते हैं कि आंदोलन करना आपका हक है लेकिन बुजुर्ग भी वहां बैठे हैं... उन्‍हें घर ले जाइए, आंदोलन खत्म करिए। मौजूदा वक्‍त खेती को खुशहाल बनाने के लिए फैसले लेने का है। हमें इसको गंवाना नहीं चाहिए। हमें देश को पीछे नहीं ले जाना चाहिए।

सरकार कह चुकी है हम वार्ता को तैयार  

गौर करने वाली बात है कि रविवार को रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि सरकार किसान संगठनों के साथ बातचीत के लिए तैयार है। हालांकि उन्‍होंने यह भी कहा था कि किसान संगठन यदि कोई नया प्रस्ताव लेकर आते हैं तो सरकार फिर से बातचीत करेगी। वहीं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि कृषि कानूनों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन का समाधान जल्द ही निकल आएगा। सरकार किसानों संगठनों से लगातार बातचीत कर रही है... आगे भी चर्चा जारी रहेगी। 

हो चुकी है 11 दौर की बातचीत

उल्‍लेखनीय है कि विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन इसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है। नतीजतन गतिरोध भी बरकरार है। किसान संगठन नए कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की कानूनी गारंटी देने पर अड़े हुए हैं। सनद रहे पिछली बातचीत में सरकार ने कानूनों को 12 से 18 महीने तक निलंबित रखने की पेशकश की थी जिसे किसान संगठनों ने खारिज कर दिया था।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.