एमपी में क्राइम ब्रांच ने फर्जी कॉल सेंटर का किया पर्दाफाश, अमेरिकी नागरिकों से करोड़ों ठगे, 21 गिरफ्तार
मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में क्राइम ब्रांच ने ऐसे कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया है जहां से अमेरिकी नागरिकों को ड्रग्स ट्रैफिक उल्लंघन बैंक फ्रॉड आदि आपराधिक प्रकरणों में फंसाने की धमकी देकर करोड़ों रुपये ऐंठे जा रहे थे। गिरोह का सरगना गुजरात निवासी करण भट्ट है।
इंदौर, स्टेट ब्यूरो। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में क्राइम ब्रांच ने ऐसे कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया है, जहां से अमेरिकी नागरिकों को ड्रग्स, ट्रैफिक उल्लंघन, बैंक फ्रॉड आदि आपराधिक प्रकरणों में फंसाने की धमकी देकर करोड़ों रुपये ऐंठे जा रहे थे। गिरोह का सरगना गुजरात निवासी करण भट्ट है। पुलिस ने मैनेजर जोशी फ्रांसिस, आइटी हेड जयराज पटेल के साथ 16 लड़कों और तीन लड़कियों को गिरफ्तार किया है। इंदौर के डीआइजी हरिनारायणाचारी मिश्र का दावा है कि आरोपित हर महीने खातों में डेढ़ करोड़ रुपये तक जमा करवा रहे थे।
पॉश इलाके में डेढ़ वर्ष से फर्जी कॉल सेंटर चल रहा था
पॉश इलाके निपानिया स्थित एक इमारत में करीब डेढ़ वर्ष से फर्जी कॉल सेंटर चल रहा था। सरगना भट्ट ने अमेरिकी एप से नागरिकों के मोबाइल नंबर और अन्य निजी डेटा जुटाया था। यहां काम करने वाले स्पूफ (इंटरनेट) कॉलिंग के माध्यम से अमेरिकी नागरिकों से अमेरिकी लहजे में ही बात करते थे। कॉल रिसीव नहीं करने पर सॉफ्टवेयर के माध्यम से वॉइस मैसेज भेजा जाता था। मैसेज सुनते ही नागरिकों के होश उड़ जाते क्योंकि उन्हें आपराधिक मामले में गिरफ्तार करने की धमकी दी जाती थी। आरोपित खुद को जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर केस कोर्ट व थाने के बाहर निपटाने के बहाने लाखों रुपये जमा करवा लेते थे।
नौकरी पर रखने के पहले ठगने का प्रशिक्षण दिया जाता था
सरगना द्वारा युवक-युवतियों को नौकरी पर रखने के पहले दो महीने का प्रशिक्षण दिया जाता था। उन्हें अमेरिकी नागरिकों से बात करने का लहजा और बातों के दौरान किस तरह नागरिकों में कानूनी कार्रवाई का भय पैदा करना है, यह भी सिखाया जाता था। डराने पर नागरिकों द्वारा क्या सवाल किए जा सकते हैं और उनके संभावित उत्तर क्या हो सकते हैं, इस संबंध में भी प्रशिक्षण दिया जाता था।
गिरोह द्वारा एफबीआइ, नारकोटिक्स अफसर बनकर की गई धोखाधड़ी
आरोपित स्वयं को एफबीआइ, पुलिस, नारकोटिक्स और सोशल सिक्योरिटी अफसर बताकर कॉल करते थे। अमेरिकी नागरिकों से कहा जाता कि आपके नाम से कार खरीदी गई है, उसमें ब्लड स्टेंस (खून के धब्बे) मिले हैं। कई बार कार में ड्रग्स मिलने, यातायात नियम तोड़ने, बैंक फ्रॉड करने के आरोप लगाकर भी धमकी दी जाती। घबराहट में संबंधित नागरिक केस में उलझने के बजाय आरोपितों के खातों में डॉलर जमा करवा देते। सरगना इस काम के लिए युवक-युवतियों को 20 से 50 हजार प्रतिमाह तक वेतन देता था।
पुलिस ने 20 कंप्यूटर, सीपीयू, सर्वर और मोबाइल जब्त किए
पुलिस ने मौके से 20 कंप्यूटर, सीपीयू, सर्वर और मोबाइल जब्त किए हैं। मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय के माध्यम से अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआइ को भी फर्जीवाड़े की जानकारी और रिपोर्ट भेजी जाएगी-हरिनारायणाचारी मिश्र, डीआइजी, इंदौर, मध्य प्रदेश।