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एस जयशंकर बोले, अफगानों के साथ पहले की तरह ही अब भी है भारत, लोगों की मदद के लिए आगे आए दुनिया

जयशंकर ने अपील कहते हुए कहा अफगानिस्तान की बिगड़ती हुई स्थिति में मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि भारत वहां की जनता के साथ वैसे ही खड़ा है जैसे पूर्व में था। हमें लगता है कि वहां एक बेहतर माहौल बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होना चाहिए।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Mon, 13 Sep 2021 10:00 PM (IST)Updated: Tue, 14 Sep 2021 03:11 AM (IST)
एस जयशंकर बोले, अफगानों के साथ पहले की तरह ही अब भी है भारत, लोगों की मदद के लिए आगे आए दुनिया
भारत ने युद्धग्रस्त देश में वैश्विक सहायता में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका पर भी दिया बल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अफगानिस्तान में सत्ता बदलने के साथ ही वहां के हालात भी पूरी तरह से बदल गए हैं, लेकिन भारत ने साफ कहा है जिस तरह से वह पहले अफगानों के हितों के लिए काम करता था वैसा ही अब भी उनकी मदद के लिए तत्पर है। भारत ने दुनिया के दूसरे देशों से भी अपील की है कि वे भी इस मुसीबत की घड़ी में अफगानिस्तान के नागरिकों की मदद के लिए आगे आएं।

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अफगानिस्तान की मानवीय स्थिति पर सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में उच्चस्तरीय बैठक को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उक्त बातें कहीं। उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में मानवीय आधार पर मदद पहुंचाने में संयुक्त राष्ट्र को ही केंद्रीय भूमिका निभानी चाहिए क्योंकि एक बहुदेशीय प्लेटफार्म के जरिए मदद देने की स्थिति में सहमति बनाना ज्यादा आसान होता है।

अफगानिस्तान की मदद को लेकर भारत का यह रुख इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन, पाकिस्तान और तुर्की आपस में एक समूह बनाकर काबुल की मदद करने की व्यवस्था में जुटने की खबरें आ रही हैं। खास तौर पर पाकिस्तान नहीं चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र के तहत अफगानिस्तान को वित्तीय मदद पहुंचाई जाए, क्योंकि ऐसा होने से उसे अपना महत्व कम होने का डर है।

जयशंकर ने भावनात्मक अपील कहते हुए कहा, 'अफगानिस्तान की बिगड़ती हुई स्थिति में मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि भारत वहां की जनता के साथ वैसे ही खड़ा है जैसे पूर्व में था। हमें लगता है कि वहां एक बेहतर माहौल बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होना चाहिए। वहां अभी लाजिस्टिक्स की काफी दिक्कतें हैं। ऐसे में यह सुनिश्चित होना चाहिए कि जो भी विदेशी मदद है वह बगैर किसी बाधा के सीधे अफगानों तक पहुंचे और उसका वितरण बिना किसी भेदभाव के हो।'

अफगानिस्तान को मुहैया कराई गई मदद का किया उल्लेख

विदेश मंत्री ने पूर्व में भारत की तरफ से अफगानिस्तान को मुहैया कराई गई मदद का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत ने वहां के सभी 34 प्रांतों में विकास से जुड़ी परियोजनाओं को स्थापित किया है। बिजली, जलापूíत, सड़क, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा से जुड़ी 500 परियोजनाओं को पूरा किया गया है। भारत वहां तीन अरब डालर की परियोजनाएं लगा चुका है जो सीधे तौर पर अफगानिस्तान की जनता के जीवनस्तर को बेहतर बनाने से जुड़ी हुई हैं। पिछले दस वर्षो में भारत ने वहां 10 लाख टन गेहूं भेजा है। पिछले साल भी 75 हजार टन गेहूं भेजा गया था।

गरीबों की संख्या बढ़ने की आशंका

जयशंकर ने यूनिवर्सल एक्सेस डेवलपमेंट फंड (यूएडीएफ) के इस आकलन का भी जिक्र किया कि अफगानिस्तान में गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की संख्या 72 फीसद से बढ़ कर 97 फीसद हो सकती है। इसका सिर्फ गरीबी उन्मूलन के अभियान पर ही बड़ा असर नहीं होगा बल्कि क्षेत्रीय स्थायित्व पर भी प्रभाव पड़ेगा।

आवाजाही पर रोक हटे

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत अफगानिस्तान के हालात से काफी चिंतित है और उस पर करीबी नजर रखे हुए है। उन्होंने मांग रखी है कि अफगानिस्तान में आने जाने पर लगी पाबंदी हटनी चाहिए और जो लोग वहां जाना चाहते हैं उन पर कोई रोकटोक नहीं होनी चाहिए। इसके लिए काबुल एयरपोर्ट पर जल्द से जल्द व्यावसायिक उड़ानें शुरू होनी चाहिएं। इससे मदद पहुंचाना भी आसान हो सकेगा।


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