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आबूधाबी में भारत व पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री, लेकिन संयुक्‍त वार्ता से दोनो देशों का इन्कार

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर रविवार को संयुक्‍त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबु धाबी पहुंच रहे हैं। भारतीय विदेश मंत्री की यह यात्रा इसलिए खास है क्‍योंकि इस दौरान पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी तीन दिन के यूएई के दौरे पर हैं।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sun, 18 Apr 2021 06:43 PM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 12:29 AM (IST)
आबूधाबी में भारत व पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री, लेकिन संयुक्‍त वार्ता से दोनो देशों का इन्कार
संयुक्‍त अरब अमीरात पहुंचे भारत और पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री। फाइल फोटो।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी एक ही शहर यानी आबूधाबी में हैं,  लेकिन दोनो तरफ की सरकारों की तरफ से यह सफाई आई है कि इनके बीच मुलाकात की कोई योजना नहीं है। जयशंकर रविवार दोपहर यूएई के इस शहर में पहुंचे, जबकि कुरैशी एक दिन पहले वहां पहुंचे हैं। दोनो के एक ही समय में आबूधाबी पहुंचने पर यह कयास लगाया जा रहा था कि भारत व पाकिस्तान की सरकारों के बीच अंदर ही अंदर कोई बैकडोर डिप्लोमेसी चल रही है। लेकिन दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के अधिकारियों ने पत्रकारों को अपने-अपने तरीके से सूचना दी है कि इन दोनो मंत्रियों के बीच मुलाकात की कोई योजना नहीं है।

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जयशंकर की यात्रा पूरी तरह से द्विपक्षीय मुद्दों पर केंद्रित

विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि जयशंकर की यात्रा पूरी तरह से द्विपक्षीय मुद्दों को लेकर है। वह यूएई में सिर्फ आíथक व कोविड-19 से जुड़े सामुदायिक कल्याण से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करेंगे। उनकी सिर्फ यूएई के अधिकारियों से मुलाकात की योजना है।

पाक ने कहा जयशंकर के साथ कोई बैठक तय नहीं

इसी तरह से पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद हफीज चौधरी ने कहा है कि विदेश मंत्री कुरैशी की जयशंकर के साथ कोई भी बैठक तय नहीं हुई है। कुरैशी ने भी एक स्थानीय समाचार पत्र को बताया है कि उनकी यात्रा का मकसद सिर्फ द्विपक्षीय है। उन्होंने भारत व पाकिस्तान के रिश्ते को सुधारने में किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का स्वागत किया है। सनद रहे कि यूएई की तरफ से हाल ही में यह दावा किया गया है कि उसने भारत व पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता कर रहा है। यूएई की तरफ से यहां तक कहा गया है कि हाल ही में कश्मीर सीमा पर दोनों देशों के बीच जो सीजफायर हुआ है, उसमें भी उसने मदद की है।

यूएई के राजनयिक के बयान से संभावना जगी थी

हालांकि, यह कयास लगाया जा रहे थे कि दोनों देशों के विदेश मंत्री बड़े मुद्दों को लेकर मुलाकात कर सकते हैं। यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है, क्‍यों कि कुछ दिनों पूर्व यूएई के वरिष्‍ठ राजनयिक ने भारत और पाकिस्‍तान के बीच रिश्‍तों को सुधारने में अपनी भूमिका का जिक्र किया था। ऐसे में यह अटकले लगाई जा रही थी कि जयशंकर और कुरैशी इस दौरान मुलाकात कर सकते हैं। दूसरे, इस यात्रा के चार दिन पूर्व यूएई के राजदूत यूसेफ अल-ओतैबा ने कहा कि उनके देश ने भारत और पाकिस्तान के बीच के तनाव को कम करने तथा और उनके द्विपक्षीय संबंधों को स्वस्थ कामकाजी स्तर पर वापस लाने में एक अहम भूमिका निभाई है। अल-ओतैबा ने एक डिजिटल चर्चा में कहा था कि वे शायद बहुत अच्छे दोस्त नहीं बन सकते, लेकिन हम इसे कम से कम ऐसे स्तर पर पहुंचाना चाहते हैं, जहां वे एक-दूसरे से बात करते हों। बता दें कि भारत और पाकिस्तान ने 25 फरवरी को एक अचानक की गयी घोषणा में कहा था कि वे जम्मू-कश्मीर और अन्य क्षेत्रों में नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम के सभी समझौतों का सख्ती से पालन करने पर सहमत हुए हैं।


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