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कोरोना के चलते विदेशों में बढ़ा आयुर्वेदिक दवाओं का निर्यात, गिलोय तुलसी की डिमांड ज्‍यादा

चीन से डिगते यकीन और कोरोना संकट के चलते विदेशों में आयुर्वेदिक औषधियों की मांग बढ़ गई है। बताया जाता है कि विदेशों में गिलोय और तुलसी की मांग सबसे ज्यादा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 12:08 AM (IST)Updated: Sun, 17 May 2020 02:08 AM (IST)
कोरोना के चलते विदेशों में बढ़ा आयुर्वेदिक दवाओं का निर्यात, गिलोय तुलसी की डिमांड ज्‍यादा
कोरोना के चलते विदेशों में बढ़ा आयुर्वेदिक दवाओं का निर्यात, गिलोय तुलसी की डिमांड ज्‍यादा

इंदौर, जेएनएन। कोरोना संकट के चलते विदेशों में आयुर्वेदिक औषधियों की मांग बढ़ गई है। अमेरिका और यूरोप के साथ एशिया के तमाम देशों में भारत की जड़ी-बूटियों के निर्यात में तेजी आई है। मध्य प्रदेश के इंदौर और आसपास के शहरों से सालाना 300 करोड़ से ज्यादा की जड़ी-बूटियां निर्यात हो रहा है। कोरोना महामारी के चलते सालाना निर्यात दोगुना तक पहुंचने का अनुमान है। यही नहीं दुनिया का चीन से डगमगाते यकीन ने भी इसमें बड़ी भूमिका निभाई है और एक बड़ा बाजार भारत की ओर शिफ्ट होने की उम्मीद नजर आने लगी है।

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पहले चीन की औषधियों की भी विदेशों में मांग थी लेकिन अब उसके बड़े हिस्से के भारत की ओर आने के आसार हैं। इंदौर-उज्जैन क्षेत्र में तकरीबन 150 आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाइयां काम कर रही हैं। इनमें से 60 से ज्यादा इकाइयां ऐसी हैं जो बड़े पैमाने पर औषधियों का निर्यात कर रही हैं। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का निर्यात कर रही कंपनी जीआर हर्बल्स के डायरेक्टर राहुल मारवाल ने बताया कि इंदौर और आसपास के शहरों से हर महीने 30 करोड़ रुपये की जड़ी-बूटियां निर्यात होती रही हैं। अब कोरोना संकट के चलते इसमें उछाला आता दिखाई दे रहा है।

ऐसे में जब दुनिया के विशेषज्ञ इम्युनिटी बढ़ाने की बात कर रहे हैं तो जड़ी-बूटियों का बाजार बढ़ रहा है। लॉकडाउन के बाद हर माह 50-60 करोड़ रुपये तक का निर्यात होने का अनुमान है। यूरोप के स्टोर मार्केट एंड रिसर्च ने भारत के जड़ी-बूटी निर्यातकों को चिह्नित किया है। ऐसे में उम्‍मीद है कि लॉकडाउन खुलने के बाद निर्यात का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ेगा। जड़ी-बूटी को प्रसंस्करित करने वाले उद्योगों के अनुसार 10 औषधियां सबसे ज्यादा निर्यात हो रही हैं। इनमें गिलोय और तुलसी की मांग सबसे ज्यादा है।

इसके अलावा अश्वगंधा, आंवला, गोखरू, कालमेघ या चिरायता, हल्दी, पपीते के बीज, नोनी और सौंठ की भी डिमांड में तेजी आई है। चिरायता या कालमेघ को पहले से ही इन्फ्लुएंजा बुखार आदि पर प्रभावशाली माना जाता रहा है। चीन में भी इसका इस्‍तेमाल हुआ है। इसलिए इनकी मांग तेजी से बढ़ रही है। उल्‍लेखनीय है कि भारत में भी आयुर्वेदिक औषधियों को बड़े पैमाने पर अजमाने की तैयारी है। ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने कोरोना के इलाज में अश्वगंधा समेत चार आयुर्वेदिक औषधियों और आयुष-64 नाम की एक अन्‍य दवा के इस्तेमाल को मंजूरी दी है। इन पर क्लीनिकल ट्रायल भी शुरू हो गया है।  


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