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कोरोना काल में भविष्य की शिक्षा के तौर-तरीके बदल गये, ऑनलाइन शिक्षा अग्निपरीक्षा!

कोविड-19 महामारी के बाद सबको शारीरिक दूरी बनाए रखने की बाध्यता आन पड़ी है। ऐसे में विद्यार्थियों का स्कूल जाना मुमकिन नहीं हो रहा है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 08:57 AM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 09:15 AM (IST)
कोरोना काल में भविष्य की शिक्षा के तौर-तरीके बदल गये, ऑनलाइन शिक्षा अग्निपरीक्षा!
कोरोना काल में भविष्य की शिक्षा के तौर-तरीके बदल गये, ऑनलाइन शिक्षा अग्निपरीक्षा!

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। गुरु गृह गए पढ़न रघुराई अल्पकाल विद्या सब आई। त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के गुरु वशिष्ठ के आश्रम में जाकर शिक्षा-दीक्षा ग्रहण करने की बात हो, या द्वापर में संदीपनि मुनि के आश्रम में कृष्ण के विद्यार्जन का दृष्टांत हो, सबमें विद्यार्थी गुरु के समक्ष उपस्थित होकर ज्ञानार्जन करते रहे हैं। भारतीय शिक्षा की तस्वीर जैसे जेहन में उभरती है तो सुबह-शाम ग्रामीण इलाकों की पगड़ंडियों पर बस्ता और तख्ती लटकाए छोटे बच्चों के झुंड का अक्स दिख जाता है। कालांतर में ये झुंड साइकिलों पर सवारी करते जाता दिखा। फिर आधुनिकता की दौड़ में अंग्रेजी स्कूल खुले और गांव में भी बसें बच्चों को स्कूल के लिए लेने और छोड़ने आने लगीं। तख्ती स्लेट में बदली और स्लेट कापी में। निक्कर और फटा बुशर्ट टाई शुदा ड्रेसकोड में तब्दील हो गया। नमस्ते गुरुजी की जगह गुडमार्निंग सर ने ले ली। देखते-देखते शिक्षा-प्रणाली की बुनियाद बदल गई, लेकिन जो नहीं बदला, वो है स्कूल जाकर शिक्षा ग्रहण करना।

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अब कोविड-19 महामारी के बाद सबको शारीरिक दूरी बनाए रखने की बाध्यता आन पड़ी है। ऐसे में विद्यार्थियों का स्कूल जाना मुमकिन नहीं हो रहा है। लिहाजा ऑनलाइन एजुकेशन या ई-लर्निंग का सहारा लिया जा रहा है। सही भी है, वर्तमान हालात में इससे अच्छा और कोई विकल्प भी तो नहीं है। सहसा इस बदलाव को हमारी सोच-समझ और संसाधन आत्मसात नहीं कर पा रहे हैं। सदियों से पठन-पाठन की जो संस्कृति हमारे दिलो-दिमाग में रची-बसी थी, उससे एक झटके में मुंह नहीं फेरा जा रहा है। खैर, इस बदलाव को अपनाना हमारी मजबूरी है। लिहाजा इस विधा को लोग तेजी से अपना तो रहे हैं, लेकिन चुनौतियां कम नहीं हैं। पाठ्यक्रम के स्तर पर, स्कूल और शिक्षकों के स्तर पर, विद्यार्थियों और अभिभावकों के स्तर पर भी। भले ही सब गांवों में बिजली पहुंच गई हो, लेकिन कटौती को रोकना बड़ी चुनौती है। सिर्फ 24 फीसद भारतीयों के पास स्मार्ट फोन हैं। 11 फीसद परिवारों के पास ही किसी प्रकार की कंप्यूटर डिवाइस है। 24 फीसद परिवारों के पास ही इंटरनेट है। ऐसे में इस नई शिक्षा प्रणाली के चलते सोच, समझ, संस्कृति और संसाधन के सामने उठ खड़ी हुई चुनौतियों की पड़ताल बड़ा मुद्दा है।सरकार का मिला साथ: रोना काल में भविष्य की शिक्षा के तौर-तरीके बदल गये हैं। ऑनलाइन शिक्षा अब एक हकीकत बन गयी है। डिजिटल लर्निंग के नए-नए नवाचार देखने को मिल रहे हैं। सरकार ने भी प्रभावी कदम उठाए हैं।

सरकार का मिला साथ: कोरोना काल में भविष्य की शिक्षा के तौर-तरीके बदल गये हैं। ऑनलाइन शिक्षा अब एक हकीकत बन गयी है। डिजिटल लर्निंग के नए-नए नवाचार देखने को मिल रहे हैं। सरकार ने भी प्रभावी कदम उठाए हैं।

  • राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी https://ndl.iitkgp.ac.in/ पर स्कूल, यूजी इंजीनियरिंग/ साइंस/ मैनेजमेंट और लॉ पर उपयोगी डिजिटल स्टडी मैटीरियल हासिल कर सकते हैं। यहां 3 करोड़ से अधिक डिजिटल संसाधन उपलब्ध हैं।
  • दीक्षा डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर नॉलेज शेर्यंरग की https://diksha.gov.in/ वेबसाइट है। इसमें पहली से 12वीं कक्षा तक के लिए सीबीएसई, एनसीईआरटी, और स्टेट/ यूटी की ओर से बनाई गईं अलग-अलग भाषाओं में 80 हजार से ज्यादा ई-बुक्स हैं। इसका एप भी डाउनलोड किया जा सकता है।
  • सीबीएसई विद्यादान http://cbseacademic.nic.in/ diksha-vidyadaan.html  वेबसाइट पर 6 से 12 के विद्यार्थियों हेतु पाठ्यक्रम आधारित रोचक पॉडकास्ट, वीडियो ,पाठ्य सामग्री ,कांसेप्ट अर्थात अवधारणा आधारित नोट्स, प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित बहुविकल्पीय प्रश्न निशुल्क उपलब्ध है।
  • ई-पाठशाला http://epathshala.nic.in/ E एक से12वीं तक के लिए एनसीईआरटी ने 1886 ऑडियो, 2000 वीडियो, 696 ई-बुक्स और 504 फ्लिप बुक्स हैं।
  • स्वयं https://swayam.gov.in/ यह एकीकृत मंच है जो स्कूल (9वीं12वीं) से लेकर स्नातकोत्तर स्तर तक ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रदान करता है। इस मंच पर 2769 ऑनलाइन कोर्सेज के अंतर्गत एक करोड़ से ज्यादा ने विभिन्न पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया है।
  • एनसीईआरटी पाठ्यक्रम पुस्तकें http://ncert.nic.in/ebooks.html एक से बारह तक के विद्यार्थियों हेतु निशुल्क पुस्तकें ईबुक्स के रूप में उपलब्ध हैं।
  • नेशनल रिपोटिरी ऑफ ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेस https://nroer.gov.in/welcome अलग-अलग भाषाओं में ऑडियो, वीडियो, डॉक्यूमेंट, तस्वीरें, इंटरेक्टिव उपलब्ध हैं।
  • एनपीटीईएल https://swayam.gov.in/NPTEL आइआइटी के प्रोफेसर, एवं इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरू के प्रोफसरों ने इसके तहत कई ऑनलाइन कोर्स तैयार किए हैं।
  • स्वयंप्रभा दूर दराज के बच्चे सामुदायिक टीवी पर स्वयंप्रभा टीवी चैनल से विभिन्न विषयों पर पाठ्यक्रम आधारित रोचक पाठ्य सामग्री प्राप्त कर सकते हैं।
  • वर्चुअल लैब vlab.co.in पर प्राप्त ज्ञान की समझ का आकलन करने, आंकड़े एकत्र करने और सवालों के उत्तर देने के लिये इंटरेक्टिव सिमुलेशन एनवायरनमेंट विकसित करना है।

सुशील द्विवेदी स्टेट कोऑर्डिनेटर, विद्यार्थी विज्ञान मंथन विज्ञान भारती


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