Move to Jagran APP

व‍िशेषज्ञों ने PM मोदी को सौंपी रिपोर्ट, कहा- वायरस के स्वरूप में बदलाव का खतरा

केंद्र ने कहा कि वह इन सुझावों पर विचार-विमर्श करेगा। लोक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि जो लोग संक्रमित हो गए उन्हें टीका देने की जरूरत नहीं है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 11 Jun 2021 10:29 PM (IST)Updated: Fri, 11 Jun 2021 11:21 PM (IST)
व‍िशेषज्ञों ने PM मोदी को सौंपी रिपोर्ट, कहा- वायरस के स्वरूप में बदलाव का खतरा
अव्यवस्थित और अधूरे टीकाकरण से वायरस के स्वरूप में बदलाव का खतरा। फाइल फोटो।

नई दिल्ली, एजेंसी। लोक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि जो लोग संक्रमित हो गए, उन्हें टीका देने की जरूरत नहीं है। केंद्र ने कहा कि वह इन सुझावों पर विचार-विमर्श करेगा। इस विशेषज्ञ समूह में एम्स के डॉक्टर और कोरोना पर राष्ट्रीय कार्यबल के सदस्य भी हैं। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पाल ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि कई प्रतिष्ठित संस्थानों के अलग-अलग महामारी विशेषज्ञों और अन्य विशेषज्ञों ने ये सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा, 'हम उनके सुझावों का स्वागत करते हैं और उनके साथ चर्चा करेंगे।' कोरोना से उबर चुके लोगों को टीका नहीं देने के सुझाव पर पाल ने कहा कि भारत में टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी परामर्श समूह (एनटीएजीआइ) इस बारे में फैसला करता है और यह फैसला, प्राप्त सुझावों, समीक्षा और विचार-विमर्श पर आधारित होता है।फैसलों में बदलाव गतिशील प्रक्रिया उन्होंने कहा, 'संक्रमण से उबरने के तीन महीने के बाद टीका दिए जाने के संबंध में उपलब्ध आंकड़ों और अन्य तथ्यों पर गौर किया जाता है।

loksabha election banner

महामारी और संसाधन के संबंध में आंकड़ों के आधार पर निर्णय की जरूरत

अगर और आंकड़े उपलब्ध होते हैं तथा नए सुझाव आते हैं तो वे उस पर विचार-विमर्श करेंगे। यह एक गतिशील प्रक्रिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और दूसरे देशों में भी समय-समय पर कई फैसले बदले गए हैं। विज्ञान के तथ्यों के आधार पर निर्णय किए जाते हैं। 'संसाधनों के आधार पर हो फैसला इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (आइपीएचए), इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रीवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (आइएपीएसएम) और इंडियन एसोसिएशन ऑफ एपिडेमिऑलोजिस्ट (आइएई) के विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, 'देश में महामारी की मौजूदा स्थिति के मद्देनजर जरूरी है कि हमें इस चरण में सभी आयु वर्ग के लिए टीकाकरण शुरू करने के बजाए महामारी और संसाधन के संबंध में आंकड़ों के आधार पर इसका फैसला करना चाहिए।'

एक साथ सभी आयुवर्ग के टीकाकरण से होगी परेशानी

एक साथ सभी आयुवर्ग के टीकाकरण से होगी परेशानी विशेषज्ञों ने रिपोर्ट में कहा है, 'सभी मोर्चे को एक साथ खोलने से मानव और अन्य संसाधनों की किल्लत हो जाएगी और आबादी स्तर पर इसके कम प्रभाव होंगे।  देश के विभिन्न हिस्सों में तेजी से फैले संक्रमण के मद्देनजर ऐसी स्थिति बन सकती है कि टीकाकरण की तुलना में युवा आबादी के स्वाभाविक तरीके से संक्रमित होने की रफ्तार ज्यादा होगी।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.