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Coronavirus Safety TIPS : कोरोना से बचानी है जान तो रखें इन बातों का ख्‍याल, नीति आयोग की बैठक में विशेषज्ञों ने दिए ये सुझाव

सोमवार को नीति आयोग ने चिकित्‍सा जगत के मशहूर विशेषज्ञों को एक मंच पर लाया। वीडियो कांफ्रेस के जरिए हुई चर्चा में विशेषज्ञों ने महामारी से निपटने को लेकर अपने अपने विचार साझा किए। जाने उन्‍होंने क्‍या दिए सुझाव....

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 04:24 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 12:22 AM (IST)
Coronavirus Safety TIPS : कोरोना से बचानी है जान तो रखें इन बातों का ख्‍याल, नीति आयोग की बैठक में विशेषज्ञों ने दिए ये सुझाव
सोमवार को नीति आयोग ने चिकित्‍सा जगत के मशहूर विशेषज्ञों को एक मंच पर लाया।

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। सरकार के साथ साथ चिकित्‍सा जगत के दिग्‍गज नए संकट पर लगातार मंथन कर रहे हैं। सोमवार को नीति आयोग ने चिकित्‍सा जगत के मशहूर विशेषज्ञों को एक मंच पर लाया। वीडियो कांफ्रेस के जरिए हुई चर्चा में विशेषज्ञों ने महामारी से निपटने को लेकर अपने अपने विचार साझा किए। विशेषज्ञों ने कहा कि बीमारी के लक्षण नजर आने पर संक्रमण की मुकम्‍मल पहचान के लिए आरटी-पीसीआर जांच के अलावा सीटी स्कैन या छाती का एक्सरे भी कराया जाना चाहिए ताकि समय रहते इलाज शुरू हो सके।

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सीटी स्कैन या एक्सरे भी जरूरी 

विशेषज्ञों ने कहा कि करीब 80 फीसद मामलों में आरटी-पीसीआर जांच से कोरोना संक्रमण का पता चल जा रहा है लेकिन जिन लक्षण वाले रोगियों की रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि नहीं हो रही है उनका सीटी स्कैन या छाती का एक्सरे भी कराना चाहिए। यही नहीं पहली जांच रिपोर्ट के निगेटिव आने के 24 घंटे बाद दोबारा जांच कराई जानी चाहिए ताकि समय रहते इलाज शुरू किया जा सके।

दवा का समय पर सटीक उपयोग जरूरी 

एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने रखीं। उन्‍होंने कहा कि कोरोना प्रबंधन के एक साल के दौरान हमने देखा है कि दो चीजें सबसे महत्वपूर्ण हैं- दवाएं और उनका समय रहते इस्‍तेमाल... यदि आप तुरंत जांच कराते हैं और संक्रमण की पुष्टि होते ही समय रहते इलाज शुरू कर देते हैं तो इससे जोखिम कम हो जाता है। उन्‍होंने यह भी कहा कि एक ही दिन दवाओं का कॉकटेल दे देना (ज्‍यादा दवाएं) मरीज को मार सकता है।

रेमेडिसवीर जादू की गोली नहीं

डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि यह समझना होगा कि रेमेडिसवीर जादू की गोली नहीं है... ना ही यह मृत्यु दर घटने वाली दवा है। हम इसका इस्‍तेमाल कर सकते हैं क्योंकि हमारे पास एक भी एंटी-वायरल दवा नहीं है। हल्के लक्षणों वाले लोगों को समय से पहले दिए जाने पर इसका कोई फायदा नहीं है। हमे यह भी ध्‍यान रखना होगा कि यदि इसे बहुत देर से दिया जाता है तो भी इसका फायदा नहीं है। 

किन मरीजों को दें Remdesivir

डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि Remdesivir केवल उन रोगियों को दी जानी चाहिए जो अस्पताल में भर्ती हैं और जिनमें ऑक्‍सीजन का स्‍तर कम हो गया है जिनमें वायरस फेफड़े तक पहुंच गया है और जिसकी पहचान एक्स-रे या सीटी-स्कैन में हो गई है। डॉ. गुलेरिया ने यह भी कहा कि स्टेरॉयड पहले दिन जरूरी नहीं है। यह केवल गंभीर बीमारी से पीड़ि‍त मरीजों के लिए उपयोगी है जब उनका ऑक्सीजन स्‍तर गिर रहा हो।

स्टेरॉयड का गलत उपयोग पैदा करेगा जोखिम 

डॉ. गुलेरिया ने कहा कि रिकवरी ट्रायल से पता चला कि स्टेरॉयड से लाभ होगा लेकिन तब जब इसे सटीक समय पर दिया गया हो। यदि यह ऑक्‍सीजन का स्‍तर गिरने से पहले जल्द दे दिया जाता है तो इसका हानिकारक प्रभाव पड़ता है। कोरोना रोगियों जिन्‍हें जल्द स्टेरॉयड दिए गए उनमें मृत्यु दर ज्‍यादा देखी गई। 

इसलिए दोबारा कराएं जांच 

डॉ. रणदीप गुलेरिया ने यह भी कहा कि यदि नमूना ठीक से नहीं लिया गया है या फिर जांच समय पहले ही कर ली गई है जब तक संक्रमण अधिक नहीं फैला हो तो रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि नहीं होगी। इसलिए यसंक्रमण के लक्षण हैं तो कोरोना जांच के लिए प्रयोगशाला की रिपोर्ट के साथ साथ सीटी/चेस्ट एक्स-रे भी किया जाना चाहिए। यदि पहली रिपोर्ट में संक्रमण नहीं निकलता है तो 24 घंटे बाद फिर से जांच करानी चाहिए।

ऑक्सीजन का इस्‍तेमाल ज्‍यादा 

वहीं ICMR के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि कोरोना संक्रमण के मामलों में अचानक बढ़ोतरी से लोगों में घबराहट है। लोग अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं, ऑक्सीजन की कमी हो गई है। दूसरी लहर में ऑक्सीजन का इस्‍तेमाल 54.5 फीसद है जबकि पहली लहर में यह 41.1 फीसद था। वहीं यांत्रिक वेंटिलेशन की जरूरत 27 फीसद है जो पहले 37 फीसद थी। इससे साफ पता चलता है कि दूसरी लहर में वेंटीलेटर की जरूरत कम है और ऑक्सीजन की आवश्यकता ज्‍यादा... 

एयर-बॉर्न ट्रांसमिशन ज्‍यादा खतरनाक 

वहीं नीति आयोग के सदस्‍य (स्‍वास्‍थ्‍य) डॉ. वीके पॉल ने कहा कि एयर-बॉर्न ट्रांसमिशन यानी हवा से फैलने वाला संक्रमण फि‍जिकल ट्रांसमिशन की तुलना में ज्‍यादा खतरनाक है। जहां तक सवाल Remdesivir की कमी का है तो इसका उत्‍पादन कम हो गया था जिसे अब बढ़ा दिया गया है। पिछले लहर में 30 साल से कम उम्र के महज 31 फीसद लोग पॉजिटिव हुए। इस साल यह आंकड़ा 32 फीसद हो गया है। 30 से 45 साल की उम्र के लोगों में 21 फीसद पॉजिटिव केस है जो पिछले वर्ष की तरह हैं। युवाओं में संक्रमण की रेट ज्‍यादा नहीं है। 


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