आने वाले वर्षों में केरल के तटीय इलाकों को तूफानों का खतरा, जानें क्या है इसकी वजह
आने वाले वर्षों में केरल के तटीय इलाकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान समुद्र का व्यवहार असंयत रह सकता है उसमें थोड़े-थोड़े समय के अंतर पर तूफान आ सकते हैं। जानें इसकी वजह...
कोच्चि, पीटीआइ। समुद्र के बढ़ रहे तापमान के परिणामस्वरूप आने वाले वर्षों में केरल के तटीय इलाकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान समुद्र का व्यवहार असंयत रह सकता है, उसमें थोड़े-थोड़े समय के अंतर पर तूफान आ सकते हैं और ऊंची लहरें उठ सकती हैं। यह बात समुद्री मामलों के विशेषज्ञों ने कही है। ये विशेषज्ञ सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित वेबिनार में बोल रहे थे।
इस कार्यक्रम का आयोजन विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर किया गया था। समुद्र से उठने वाली ऊंची लहरों और उससे होने वाले भू कटाव पर चर्चा करते हुए विशेषज्ञों ने कहा, इससे तटवर्ती इलाकों की आबादी को भारी खतरा है। इस खतरे को कम करने के लिए नमी वाले इलाकों में लगाए जाने वाले पौधों का सघन वनीकरण किया जाना चाहिए। कुछ वर्षो बाद ये वन तटवर्ती इलाकों में रहने वाली आबादी के लिए सुरक्षा दीवार का कार्य करेंगे।
विशेषज्ञों ने कहा, हाल में आए तूफानों-टाक्टे और यास से केरल का पूरा तटवर्ती इलाका प्रभावित हुआ। आने वालों वर्षो में इस तरह के तूफान जल्दी-जल्दी आ सकते हैं। तूफानी हवा समुद्री लहरों में भारी हलचल पैदा करेगी। इसके चलते समुद्र के किनारे के इलाकों में बड़े भू कटाव और बाढ़ की समस्या पैदा होगी।
इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. ए गोपालकृष्ण ने कहा, केरल के समूचे तटवर्ती इलाके की सुरक्षा के लिए यहां जैव विविधता कायम करनी होगी। यहां पर नम स्थानों पर लगने वाले मैनग्रोव जंगल विकसित करने होंगे। इससे मानव और प्रकृति, दोनों को लाभ होगा।
इस बीच मौसम विभाग ने कहा है कि नमी में बढ़ोतरी और हवा की बदलती दिशाओं की वजह से अगले तीन दिनों में पश्चिमोत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में तापमान में तीन से चार डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होने की संभावना है।
भारतीय मौसम विभाग ने कहा है कि सोमवार से बुधवार तक जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, गिलगिट बाल्टिस्तान व मुजफ्फराबाद, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली और पश्चिम राजस्थान में मौसम शुष्क रहेगा। हालांकि रविवार को बारिश हो सकती है। यही नहीं मंगलवार और बुधवार को पश्चिमोत्तर भारत के मैदानी इलाकों में 25 से 35 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं।