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विशेषज्ञों का खुलासा, घनी आबादी वाले इलाकों में हो चुका है कोरोना का कम्‍यूनिटी ट्रांसमिशन

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक समूह का कहना है कि देश की घनी और मध्यम जजसंख्‍या वाले इलाकों में कोरोना का कम्‍यूनिटी ट्रांसमिशन हो चुका है। पढ़ें यह सनसनीखेज रिपोर्ट....

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 05:49 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 08:04 PM (IST)
विशेषज्ञों का खुलासा, घनी आबादी वाले इलाकों में हो चुका है कोरोना का कम्‍यूनिटी ट्रांसमिशन
विशेषज्ञों का खुलासा, घनी आबादी वाले इलाकों में हो चुका है कोरोना का कम्‍यूनिटी ट्रांसमिशन

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। एम्स (AIIMS) के डॉक्टरों और आईसीएमआर (ICMR) रिसर्च ग्रुप के दो सदस्यों समेत स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक समूह का कहना है कि देश की घनी और मध्यम जजसंख्‍या वाले इलाकों में कोरोना का कम्‍यूनिटी ट्रांसमिशन हो चुका है। हालांकि सरकार का अभी भी यही कहना है कि भारत में अभी कोरोना का कम्‍यूनिटी ट्रांसमिशन नहीं हुआ है। वहीं एक दूसरी तस्‍वीर बताती है कि सोमवार तक देश में कोरोना के मामले बढ़कर 1,90,535 हो गए हैं जबकि 5,394 लोगों की संक्रमण से मौत हो चुकी है।

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प्रधानमंत्री को सौंपी गई रिपोर्ट 

समाचार एजेंसी पीटीआइ की मानें तो भारतीय लोक स्वास्थ्य संघ (Indian Public Health Association, IPHA), इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (Indian Association of Preventive and Social Medicine, IAPSM) और भारतीय महामारीविद संघ (Indian Public Health Association, IPHA) के विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी गई है। यह रिपोर्ट कहती है कि देश की घनी और मध्यम आबादी के इलाकों में कोरोना संक्रमण के कम्‍यूनिटी ट्रांसमिशन की पुष्टि हो चुकी है...।

चौथे चरण की छूट ने बिगाड़ा खेल

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए प्रभावी योजना बनाने के उद्देश्य से देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया गया था। इसमें सफलता भी मिली, लेकिन लोगों की असुविधा व अर्थव्यवस्था में सुधार के मद्देनजर लॉकडाउन के चौथे चरण में दी गई छूट के कारण संक्रमण का प्रसार बढ़ा।

किए जा सकते थे बेहतर उपाय

विशेषज्ञों का कहना है कि महामारी पर अंकुश लगाने के लिए किए जाने वाले उपायों के संबंध में महामारीविदों (एपिडेमियोलॉजिस्ट) से सलाह नहीं ली गई। रिपोर्ट के अनुसार, 'महामारीविदों को अन्य की तुलना में बेहतर समझ होती है। भारत सरकार ने अगर उनसे सलाह ली होती तो शायद बेहतर उपाय किए जा सकते थे।

नौकरशाहों पर जताया भरोसा

रिपोर्ट में कहा गया है कि नीति निर्माताओं ने स्पष्ट रूप से सामान्य प्रशासनिक नौकरशाहों पर भरोसा किया। इसके विपरीत पूरी प्रक्रिया में महामारी विज्ञान, सार्वजनिक स्वास्थ्य, निवारक चिकित्सा और सामाजिक वैज्ञानिकी क्षेत्र के विशेषज्ञों की भूमिका काफी सीमित रही।

ये हैं कोविड कार्यबल के सदस्य

कोविड कार्यबल के 16 सदस्यीय संयुक्त समूह में आइएपीएसएम के पूर्व अध्यक्ष और एम्स दिल्ली में सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के प्रमुख डॉ शशि कांत, आइपीएचए के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सीसीएम एम्स के प्रोफेसर डॉ संजय के राय, सामुदायिक चिकित्सा आइएमएस बीएचयू वाराणसी के पूर्व प्रोफेसर व प्रमुख डॉ डीसीएस रेड्डी, डीसीएम व एसपीएच पीजीआइएमईआर चंडीगढ़ के पूर्व प्रोफेसर व प्रमुख डॉ राजेश कुमार शामिल हैं। डॉ रेड्डी और डॉ कांत आइसीएमआर की तरफ से कोविड-19 पर बनाए गए शोध समूह के भी सदस्य हैं। 


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