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EXCLUSIVE: यहां रोज अंधेरे में आंख खोलती है नई जिंदगी, ये है कुरुक्षेत्र की नई महाभारत

कुरुक्षेत्र के नामी अस्प‍ताल में अंधेरे में जन्म लेते हैं बच्चे। मंगलवार को भी लाइट न होने पर 22 ऑपरेशन स्थगित किए गए थे। यहां इनवर्टर तक नहीं है, जिससे मरीजों की जान खतरे में है।

By Amit SinghEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 04:47 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 04:52 PM (IST)
EXCLUSIVE: यहां रोज अंधेरे में आंख खोलती है नई जिंदगी, ये है कुरुक्षेत्र की नई महाभारत
EXCLUSIVE: यहां रोज अंधेरे में आंख खोलती है नई जिंदगी, ये है कुरुक्षेत्र की नई महाभारत

कुरुक्षेत्र [विनीश गौड़]। यहां अंधेरे में बच्चे आंख खोलते हैं। जन्म लेते ही दुनिया में वे सबसे पहले अंधकार से ही रूबरू होते हैं। अव्यवस्था की रात की सुबह कहीं नजर नहीं आती। बात हो रही है कुरुक्षेत्र की। जी हां, जहां महाभारत हुई। उसी जिले के लोकनायक जयप्रकाश नागरिक अस्पताल (एलएनजेपी) में सप्ताह में दो से तीन दिन तक टॉर्च या मोमबत्ती की रोशनी में डिलीवरी होती है। रविवार को छह प्रसूताओं की डिलीवरी इसी तरह हुई। यह हाल तो तब है, जब यहां सालाना चार हजार बच्चों की किलकारी गूंजती है। वैसे तो ये अस्पताल हॉट लाइन से जुड़ा है पर ये सिर्फ कागजी ही है। यहां दो बड़े जेनरेटर भी हैं, जो सही समय पर चलते नहीं। यहां इनवर्टर का इंतजाम नहीं है।

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बिजली लाइन की मरम्मत के कारण एलएनजेपी अस्पताल की बिजली सप्लाई को बंद किया गया था। एक दिन पहले ही इसकी सूचना भी अस्पताल प्रशासन के पास थी। साथ ही, करंट सप्लाई होने से कोई हादसा न हो जाए, इसलिए जेनरेटर भी नहीं चलाए गए। ऑपरेशन थियेटर और प्रसूति विभाग दूसरे विकल्प के तौर पर इन्वर्टर की व्यवस्था करना ही भूल गया। ऐसे में अंधेरा होने पर प्रसूति विभाग के लेबर रूम में स्टाफ नर्सों को टॉर्च से डिलीवरी करनी पड़ी। ऑपरेशन थियेटर में बिजली नहीं होने से सिजेरियन के दो मामले रेफर करने पड़े।

हर महीने 350 बच्चे लेते जन्म
पिछले वर्ष जनवरी में 389, फरवरी में 268, मार्च में 327, अप्रैल में 264, मई में 259, जून में 272,जुलाई में 317, अगस्त में 378, सितंबर में 359, अक्टूबर में 352, नवंबर में 238, दिसंबर में 292 बच्चों का जन्म एलएनजेपी में हुआ।

पहले भी हो चुकी घटना
एलएनजेपी अस्पताल में पूर्व में भी मोमबत्ती की रोशनी में डिलीवरी हो चुकी है। हालांकि उस दौरान मीडिया में खबरें आने के बाद अस्पताल को जेनरेटर मिला था।

हो चुकी लापरवाही
एलएनजेपी अस्पताल में लापरवाही का दौर पहले भी सामने आ चुका है, जब नवजात शिशु देखरेख इकाई में बिजली के तारों से चिंगारी गिरने से वार्मर में रखी बच्ची का चेहरा झुलस गया था। इस मामले पर भी जिला अस्पताल का खूब किरकिरी हुई थी और जिला सिविल सर्जन द्वारा गठित कमेटी ने एक चिकित्सक सहित स्टाफ के छह लोगों को लापरवाह माना था।

मोबाइल की रोशनी में हुई थी इनकी डिलीवरी
कुरुक्षेत्र के गांव त्योड़ा की जच्चा मोनिका की मासी सत्यदेवी ने बताया कि पूरा परिवार डरा हुआ था। बिजली गुल थी और लेबर रूम में अंधेरा छाया हुआ था। मोनिका को जब अंदर लेकर गए तब एक तरफ की खिड़की से पर्दे हटाए गए ताकि कुछ रोशनी हो। मगर उससे भी बस कुछ दिखाई देने जितनी रोशनी हुई। जब डिलीवरी के लिए लेटा कर मोबाइल की टॉर्च जलाई गई तो एक बार मुझे भी घबराहट हुई। हालांकि स्टाफ नर्सों ने मोबाइल की टॉर्च में ही डिलीवरी कराई और सब ठीक हो गया, लेकिन उस समय बहुत टेंशन हो रही थी कि न जाने आगे क्या होगा।

एलएनजेपी अस्पताल में बत्ती गुल होने से 21 ऑपरेशन स्थगित
बारिश के कारण एलएनजेपी अस्पताल में सोमवार देर रात को ही बत्ती गुल हो गई थी। इसकी वजह से मंगलवार को 21 ऑपरेशन स्थगित करने पड़े। वहीं ऑपरेशन कराने के लिए आने वाले हड्डी व आंखों के मरीजों को मायूस वापस लौटना पड़ा। इनमें से कई मरीज दूसरे जिलों से भी आए थे। मंगलवार को हड्डी रोग व नेत्र रोग विभाग के चिकित्सकों का ओटी होता है।

पूरे सप्ताह इन दोनों विभागों में आने वाले मरीजों को मंगलवार को ऑपरेशन के लिए बुलाया जाता है। मंगलवार को नेत्र रोग विभाग के चिकित्सकों द्वारा 18 मरीजों का ऑपरेशन किया जाना था, जबकि हड्डी रोग विभाग के तीन मरीजों का आपरेशन होना था। मरीज सुबह ही अपनी पूरी तैयारी के साथ परिजनों को लेकर एलएनजेपी अस्पताल पहुंच गए। मगर मरीजों को एलएनजेपी अस्पताल आकर पता लगा कि आज ऑपरेशन नहीं होंगे। इसका पता लगते ही मरीज चिकित्सकों की मिन्नतें करने लगे, जिसके बाद चिकित्सकों को मरीजों व उनके परिजनों को समझाना मुश्किल हो गया। मरीजों को चिकित्सकों ने बताया कि ऑपरेशन करने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जो इक्युपमेंट्स डिसइंफेक्ट करने थे, बिजली नहीं होने की वजह से वो डिसइंफेक्टिड नहीं हो सके और उसके बिना वे ऑपरेशन नहीं कर सकते।

आटो क्लेव मशीन व बॉयलर नहीं चला
दरअसल अस्पताल में देर रात को ही बारिश होने के बाद बिजली गुल हो गई थी। इसके बाद जनरेटर तो चल गए, लेकिन आटो क्लेव मशीन और बॉयलर नहीं चल पाए। आटो क्लेव मशीन इक्युपमेंट्स को स्टेरलाइज करती है। ऑपरेशन के दौरान ब्वॉयलर भी चलना चाहिए, ताकि मौके पर तुरंत जरूरत पडऩे पर इक्युपमेंट को बॉयलर में बॉयल करके मरीजों को दिया जा सके। मगर यह मशीन भी जनरेटर पर नहीं चल पाई।

तुरंत चल गया था जनरेटर : डॉ. मनजीत सिंह
एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनजीत सिंह ने कहा कि रात को बिजली चली गई थी। जनरेटर तुरंत चल गया था, लेकिन इक्युपमेंट्स को स्टीयरलाइज करने वाली मशीन जनरेटर पर नहीं है। इसलिए इक्युपमेंट्स तैयार नहीं हो पाए और ऑपरेशन को स्थगित करना पड़ा।

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