Exclusive Interview : निर्भया के माता-पिता की PM मोदी से अपील, कहा- अब आया बेटी बचाने का वक्त
इंटरव्यू में उन्होंने संघर्ष के इन वर्षों में किस तरह देश की कानून-व्यवस्था ने करवट ली है और क्या इस संभावित फांसी को वे न्याय की तरह देखते हैं जैसे तमाम सवालों के जवाब दिए हैं।
नई दिल्ली, {अभिनव गुप्ता}। दिल्ली की तिहाड़ जेल में इन दिनों निर्भया मामले के चार अभियुक्तों को फांसी देने की तैयारी जोरों पर होने की ख़बर है। पूरा देश रेप और मर्डर की शायद इस सबसे बर्बर घटना की आखिरी परिणति का इंतजार कर रहा है। ऐसे में दैनिक जागरण के वरिष्ठ जर्नलिस्ट अभिनव गुप्ता ने पिछले सात साल से इस मामले में न्याय का इंतज़ार कर रहे निर्भया के माता-पिता से विस्तार से बातचीत की। इस इंटरव्यू में उन्होंने संघर्ष के इन वर्षों में किस तरह देश की कानून-व्यवस्था ने करवट ली है और क्या इस संभावित फांसी को वे न्याय की तरह देखते हैं, जैसे तमाम सवालों के जवाब दिए हैं। उन्होंने इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बेटी की सुरक्षा से जुड़ी एक अपील भी की।
सात साल हो गए, अनुमान लगाया जा रहा है कि आरोपियों को कभी-भी फांसी दी जा सकती है। इस पर आपका क्या कहना है?
निर्भया की मां - सात साल हो गए। हम पीड़िता की मां हैं, हमें वास्तव में इसका इंतजार है। ढ़ाई साल हो गए सुप्रीम कोर्ट से फैसला आए। 18 महीने हो गए रिव्यू पेटिशन ख़ारिज़ हुए। इसके बाद अभियुक्त ऐसी दलील लेकर आता है जिसने पूरे सिस्टम और सरकार का मजाक बना कर रख दिया है। अभियुक्तों ने पूरे सिस्टम को चैलेंज किया है, फिर भी उनकी याचिका मंजूर हो गई है। हम उम्मीद करेंगे कि जल्द ही दोषियों को फांसी हो।
अगर दया याचिका और पुनर्विचार याचिका खारिज़ हो जाती हैं और दोषियों को फांसी की सज़ा होती है, तो क्या आप इसे न्याय समझेंगे?
निर्भया की मां- देर से ही सही, लेकिन इसे हम न्याय ही समझेंगे। हालांकि, इसके अलावा हमारे पास कोई और चारा नहीं है। लेकिन कहते हैं कि 'देर से मिला हुआ न्याय' कोई न्याय नहीं होता। हमें लगता है कि दोषियों के आगे सिस्टम लाचार है। कोई घटना होने के बाद सिस्टम ठीक होने की बात होती है। आखिर यह सिस्टम कब ठीक होगा?
घटना के बाद आप लोगों ने क्या-क्या झेला?
निर्भया के पिता- आपको हमें देखकर ही पता चल जाएगा कि हमने क्या झेला है। घटना के बाद से घर पर पूरी सैलरी नहीं आई है। जब किसी का कुछ खो जाता है, तो वह वापस नहीं आता है। हालांकि, दोषियों को फांसी के बाद शांति मिलेगी।
इस लड़ाई को लड़ने के लिए कैसे हिम्मत जुटाई?
निर्भया की मां - जब पहली बार घटना की जानकारी हुई, तब पता ही नहीं था कि क्या हुआ। सीनियर डॉक्टर ने हमसे कहा कि 20 साल के करियर में मैंने ऐसा केस नहीं देखा।... (भावुक होते हुए) सबसे बड़ी तकलीफ़ यह थी कि जितने दिन वह ज़िंदा रही, हम उसे एक बूंद पानी तक नहीं पिला पाए। यह हम कभी भी भूल नहीं पाएंगे। उस समय उसने जो ज़िंदा रहने के लिए संघर्ष किया, उसे देखकर हमें लड़ने की ताकत मिली। हमारी ताकत हमारी बेटी है। हम पीछे नहीं हटेंगे। एक ना एक दिन ये (आरोपी) फांसी पर चढ़ेंगे।
इस घटना के बाद पूरा देश सामने आया, सरकार ने नए कानून बनाए। POCSO Act में फांसी का प्रावधान जोड़ा गया। आपके हिसाब से सरकार को और क्या करना चाहिए?
निर्भया के पिता- सरकार ने अभी जो कानून बनाया, बहुत बढ़िया है। ताकतवर कानून है, लेकिन इसके साथ समयसीमा नहीं जोड़ा गया। जब सबकुछ बना रहे हो, तो समयसीमा क्यों नहीं दे रहे हो? इसका मतलब आप न्याय नहीं देना चाहते। हमें जनता का समर्थन मिला, हम यहां तक पहुंच गए। क्या आम आदमी पहुंच सकता है? सुप्रीम कोर्ट को छोड़ दीजिए, क्या लोग हाईकोर्ट की फ़ीस दे सकते हैं? सरकारी वकील हमसे बात नहीं करते। हमारे जैसे आदमी लड़ गए, लेकिन दूसरे क्या लड़ेंगे?
घटना के बाद से अब तक कानून में क्या बदलाव देखे हैं आपने?
निर्भया के पिता- मुझे नहीं लगता कि सिस्टम बदला है। सिस्टम में बैठे लोग भी दुखी हैं।
हैदराबाद की घटना और बाद हुए एनकाउंटर के बारे में क्या सोचना है आपका?
निर्भया की मां- पुलिस ने जो किया, वह बहुत अच्छा किया। उन्हें पुलिस के हथियार छीनने की सजा मिली है। मैं कहती हूं, और भी दोषियों को यह सज़ा मिलनी चाहिए। बाहर हो रहे क्राइम और लंबे चलने वाले केस के लिए सिस्टम जिम्मेदार है।
आप इस समाज से क्या बदलाव चाहते हैं?
निर्भया का पिता- समाज जगा हुआ है। लोग अपनी बेटी को बचाने के लिए कुछ भी कर रहे हैं। आज हर व्यक्ति बेटियों को पढ़ाने लगा है। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी से एक अपील है। उनका नारा है, 'बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ'। अब बेटियों को बचाने का वक्त आ गया है। इस पर घ्यान दें।
आपको क्या लगता है, आज दिल्ली में देर रात में घर से बाहर लड़कियां सुरक्षित हैं?
निर्भया की मां- नहीं, घटना के सात साल के बाद भी वही हाल है। अगर लड़की आम घर से है, तो ज्यादा दिक्कत है। आज भी ऑटो वाले देर रात को आने-जाने में आनाकानी कर रहे हैं। वकीलों से अपील है कि पीड़िता के परिजन को गाली ना दें।
निर्भया के पिता- मीडिया चैनल्स से अपील है कि दोनों पक्षों को बिठाकर विवाद ना कराएं। एक-दूसरे को गाली देने का क्या मतलब है?
निर्भया की मां- मैं कहूंगी कि मीडिया ने मेरा काफी समर्थन किया। मेरी अपील है कि वह सही को सही और गलत को गलत दिखाए।