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पत्रकारिता विवि को बनाएंगे भाषाई पत्रकारिता के प्रशिक्षण का केंद्र: प्रो संजय द्विवेदी

हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति प्रो. संजय द्विवेदी से विशेष चर्चा ।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 11:37 AM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 11:37 AM (IST)
पत्रकारिता विवि को बनाएंगे भाषाई पत्रकारिता के प्रशिक्षण का केंद्र: प्रो संजय द्विवेदी
पत्रकारिता विवि को बनाएंगे भाषाई पत्रकारिता के प्रशिक्षण का केंद्र: प्रो संजय द्विवेदी

भोपाल, जेएनएन। हम प्रयास करेंगे कि हमारे कार्यकाल में पत्रकारिता विश्वविद्यालय भारतीय भाषाई पत्रकारिता के प्रशिक्षण के सबसे महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में विकसित हो सके। इसके लिए हर संभव प्रयास करेंगे। यह बात हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर विशेष चर्चा में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति प्रो. संजय द्विवेदी ने कही। द्विवेदी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बस्ती के रहने वाले हैं। उनसे बातचीत के प्रमुख अंश।

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सवाल- कुलपति के नाते आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं?

कुलपति- पहली प्राथमिकता है बिशनखेड़ी में 50 एकड़ में निर्माणाधीन परिसर में नए सत्र का शुभारंभ। यह एक ऐसा स्वप्न है, जिसे हम अरसे से देख रहे हैं। यहां सही मायने में विश्वविद्यालय आकार लेगा और अपने सपनों में रंग भर सकेगा। दूसरी प्राथमिकता है कोविड-19 की चुनौतियों के बीच सफलतापूर्वक परीक्षाओं और नए विद्यार्थियों के प्रवेश की प्रक्रिया को पूरा करना। तीसरी प्राथमिकता है-विश्वविद्यालय को भारतीय भाषाई पत्रकारिता के प्रशिक्षण के सबसे महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में विकसित करना।

सवाल-लंबे समय से विवादों में रहे विश्वविद्यालय की कमान आपको मिली है, कितनी मुश्किल है?

कुलपति - यह पत्रकारिता का विश्वविद्यालय है, देशभर के विद्यार्थी यहां आते हैं। उनके विविध विचार होते हैं। वे सवाल भी करते हैं। सवाल करना तो पत्रकारिता का मूल है, सो इसे विवाद कहना ठीक नहीं है। अन्य विद्यार्थियों की तरह वे सिर्फ पाठ्यक्रम नहीं पढ़ते। देश, समाज, राज्य और राजनीति के अलावा देश के विविध संकटों पर बात करते हैं। मुझे लगता है कि विचारों की विविधता लोकतांत्रिकता का प्रतीक है। इसका स्वागत कीजिए।

सवाल- शिक्षकों, विद्यार्थियों पर एफआइआर और अन्य विवादों पर आप कुछ कहेंगे?

कुलपति- मुझे लगता है कि अब कोरोना संकट के बाद पूरी मानवता के सामने नए तरह के प्रश्न हैं। हमें भी पुरानी बातों को भूलकर आगे बढ़ना होगा। जो हो गया, वह बीत गया। सुंदर आज और बेहतर कल के लिए हमें काम करना है। अपनी संस्था और विद्यार्थियों का भविष्य गढ़ना है। मैं, यही कह सकता हूं कि विश्वविद्यालय से जुड़े किसी भी व्यक्ति को भयभीत होने की जरूरत नहीं है।

सवाल- मीडिया शिक्षा के सामने कैसी चुनौतियां हैं?

कुलपति - शिक्षा क्षेत्र के सामने जो चुनौतियां हैं, कमोबेश वही मीडिया शिक्षा के सामने भी हैं। इस समय जब हर व्यक्ति कम्युनिकेटर है। मोबाइल क्रांति पूरे समाज में मीडिया के इस्तेमाल करने की आदतें, पठनीयता में बहुत बदलाव लाई है। तब हमें अपने पारंपरिक मीडिया माध्यमों की उपयोगिता बनाए रखने के लिए नए रास्ते तलाशने होंगे। खबर से आगे और उसके आगे हम क्या दे सकते हैं, उस पर सोचना होगा। संचार के व्यापक परिदृश्य में सार्थक हस्तक्षेप के लिए हमें ज्यादा जीवंत और ज्यादा चैतन्य लोग गढ़ने पड़ेंगे जो आज की भाषा में आज के साधनों से संवाद कर सकें।

सवाल- लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन कक्षाएं चलीं, उनके अनुभव क्या हैं?

कुलपति - लॉकडाउन के दौरान हमारे अध्यापकों ने बहुत शानदार काम किया है। सभी कक्षाएं चलीं और यह पीढ़ी तकनीकदक्ष है, इसलिए उसने रचि लेकर इन कक्षाओं में अध्ययन भी किया है। हमारी प्रोडक्शन टीम और प्रोड्यूसर्स के मार्गदर्शन में 250 से अधिक सुंदर और विविध विषयों पर केंद्रित वीडियो तैयार किए गए हैं, जो उपलब्धि है। देश के बेहद सामान्य परिवारों से बहुत प्रतिभावान विद्यार्थी यहां आते हैं। यह साधारण नहीं हैं कि विश्वविद्यालय की इन तीन दशकों की यात्रा में देश के हर मीडिया संस्थान में शिखर पदों पर हमारे पूर्व विद्यार्थी नेतृत्वकारी भूमिका में हैं।


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