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राजीव को हटा अर्जुन को पीएम बनाना चाहते थे जैल

नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। कांग्रेस के बनाए राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के रिश्ते तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से तल्ख तो हुए थे, लेकिन अब पता चला है कि तल्खी इस हद तक जा पहुंची थी कि वह राजीव गांधी की सरकार को बर्खास्त करने के लिए तैयार हो गए थे। सन 1

By Edited By: Published: Mon, 02 Jul 2012 08:53 PM (IST)Updated: Tue, 03 Jul 2012 11:51 AM (IST)
राजीव को हटा अर्जुन को पीएम बनाना चाहते थे जैल

नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। कांग्रेस के बनाए राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के रिश्ते तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से तल्ख तो हुए थे, लेकिन अब पता चला है कि तल्खी इस हद तक जा पहुंची थी कि वह राजीव गांधी की सरकार को बर्खास्त करने के लिए तैयार हो गए थे। सन 1987 में उन्होंने राजीव गांधी को हटाकर अर्जुन सिंह के समक्ष प्रधानमंत्री बनने का प्रस्ताव रखा लेकिन अर्जुन ने उसे ठुकरा दिया था। इतना ही नहीं अर्जुन सिंह ने राजीव गांधी व इंटेलिजेंस ब्यूरो [आइबी] से मिलकर जैल सिंह के संदेशवाहक व विदेश मंत्रालय के अधिकारी केसी सिंह के साथ हुई बातचीत को टेप भी कर लिया था।

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अर्जुन सिंह द्वारा लिखी पुस्तक 'ए ग्रेन ऑफ सेंड इन द ऑवरग्लास ऑफ टाइम' में उक्त घटनाक्रम का उल्लेख किया गया है। एक अंग्रेजी साप्ताहिक पत्रिका में छपे पुस्तक के अंश के अनुसार केसी सिंह ने अर्जुन सिंह को यह जानकारी भी दी थी कि राजीव गांधी को बर्खास्त करने की साजिश में कांग्रेस पार्टी के कौन से नेता शामिल हैं।

नाम नहीं बताए : अर्जुन सिंह ने अपनी पुस्तक में इन कांग्रेस नेताओं के नामों का उल्लेख करना जरूरी नहीं समझा। सिंह ने लिखा कि मई, 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद मैंने, माखनलाल फोतेदार, सीताराम केसरी व विन्सेंट जार्ज ने मिलकर सोनिया गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव किया था, जिसका पीवी नरसिंह राव ने यह कहकर विरोध किया था कि कांग्रेस पार्टी ट्रेन के डिब्बों की तरह नहीं है जिसे गांधी परिवार के इंजन से नत्थी कर दिया जाए। अर्जुन सिंह के अनुसार 1992 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने उनसे कहा था कि मैं सोनिया गांधी से नहीं डरता हूं, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश मेरे साथ हैं। सिंह ने लिखा कि अयोध्या के सवाल पर नरसिंह राव राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख बाला साहेब देवरस से सीधे बात कर रहे थे, जिसका मैंने विरोध किया था। चार दिसंबर, 1992 की मुलाकात में नरसिंह राव को बता दिया गया था कि किसी भी दिन अयोध्या में विवादित ढांचा गिरा दिया जाएगा। छह दिसंबर को जब विवादित ढांचा गिराए जाने की तस्वीरें टीवी पर दिखाई जा रही थी, तब मैंने मुक्तसर [पंजाब] से नरसिंह राव को फोन किया तो वह उपलब्ध नहीं थे। तब प्रधानमंत्री के स्टाफ ने अर्जुन सिंह को बताया था कि राव साहब ने खुद को कमरे में बंद कर लिया है और वह किसी से बात नहीं कर रहे हैं। राव ने अपने स्टाफ को निर्देश दिया था कि उन्हें परेशान न किया जाए।

बड़ा धक्का लगा : अर्जुन सिंह ने लिखा कि 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल की सूची में अपना नाम न देखने पर गहरा धक्का लगा था। मैंने इंदिरा गांधी व राजीव गांधी के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई थीं। मैं यह समझ नहीं पाया कि मुझे मंत्रिमंडल में क्यों नहीं शामिल किया गया? बाद में एहसास हुआ कि नई पीढ़ी को आगे लाने के लिए पुरानी पीढ़ी को परदे के पीछे जाना होगा।

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