छात्रों के लिए आसान हो जाएंगी परीक्षाएं, 2022 तक बदलेगी मूल्यांकन प्रणाली
एनसीईआरटी ने कहा कि स्कूली शिक्षा में मौजूदा मूल्यांकन प्रणाली के हानिकारक प्रभाव हैं और वह 2022 तक मूल्यांकन प्रणाली में बदलाव के लिए जल्द दिशानिर्देश तैयार करने वाला है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने कहा है कि स्कूली शिक्षा में मौजूदा मूल्यांकन प्रणाली के 'हानिकारक प्रभाव' हैं और वह 2022 तक मूल्यांकन प्रणाली में बदलाव के लिए जल्द दिशानिर्देश तैयार करने वाला है। मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने यह जानकारी दी।
बता दें कि एचआरडी मंत्रालय अपनी नई शिक्षा नीति (एनईपी) को अंतिम स्वरूप देने की प्रक्रिया में है। उसने इसका अंतिम मसौदा भी प्रस्तावित किया है जिसमें बोर्ड परीक्षाओं की गड़बड़ियों को हटाने की बात कही गई है। साथ ही सभी छात्रों को किसी भी दिए गए स्कूली वर्ष के दौरान दो अवसरों पर बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति होगी। बोर्ड परीक्षाओं को 'आसान' बनाया जाएगा।
एनसीईआरटी करीब 14 साल बाद राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा (एनसीएफ) की समीक्षा कर रहा है। वह यह नई रूपरेखा के साथ तालमेल में मूल्यांकन दिशानिर्देश तैयार करेगा। मसौदे 'मौजूदा मूल्यांकन प्रणाली के हानिकारक प्रभावों को हटाए जाने की बात कही गई है। मसौदे के मुताबिक, बोर्ड परीक्षाएं समग्र विकास को प्रोत्साहित करने वाली होंगी तथा छात्र खुद की रुचि के आधार पर कई विषयों में से पसंदीदा विषय का चयन कर पाएंगे और उसी में वे बोर्ड परीक्षा भी दे पाएंगे।'
कैबिनेट में पेश किया जाएगा नई शिक्षा नीति का मसौदा
बोर्ड परीक्षा साल में दो बार लेने के विचार पर मंत्रालय ने कहा कि '2020 तक एनसीएफ के साथ-साथ 2022 तक मूल्यांकन प्रणाली में परिवर्तन के लिए एनसीईआरटी इस संदर्भ में दिशानिर्देश तैयार करेगा।' नई नीति में भारत के सभी मान्यताप्राप्त स्कूल बोर्ड के लिए एक नई नियामक संस्था बनाने की सिफारिश की गई है। इस मसौदे को एचआरडी मंत्रालय ने अंतिम स्वरूप दिया है और अब मंजूरी के लिए इसे केंद्रीय कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा।
सरकार को पहले ही रिपोर्ट सौंप चुका है विशेषज्ञ पैनल
इसरो के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में एक पैनल ने नए एनईपी का मसौदा केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' को सौंप दिया है। इसके बाद विभिन्न पक्षकारों एवं आम लोगों की राय जानने के लिए मसौदे को सार्वजनिक किया गया। इस पर एचआरडी मंत्रालय को दो लाख से अधिक सुझाव मिले।
1986 में बनी थी शिक्षा नीति
बता दें कि शिक्षा नीति को 1986 में बनाया गया था और 1992 में इसमें संशोधन किया गया। नई शिक्षा नीति बनाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के अपने चुनावी घोषणापत्र में भी संकल्प व्यक्त किया है। स्मृति ईरानी जब मानव संसाधन विकास मंत्री थीं तब भी पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी।
जानिए इसकी खास बातें
-सभी छात्रों को स्कूली वर्ष में दो अवसरों पर बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति होगी
- बोर्ड परीक्षाएं समग्र विकास को प्रोत्साहित करने वाली होंगी
- छात्र खुद की रुचि के आधार पर पसंदीदा विषय चुन सकेंगे और बोर्ड परीक्षा दे पाएंगे