संयुक्त राष्ट्र की 75वीं आम महासभा में ईरान को लेकर साफ दिखाई दी कई देशों की चिंता
मिडिल ईस्ट में जो कुछ राजनीतिक घटनाएं घट रही हैं उनके पीछे इजरायल और ईरान हैं। इजरायल ने यूएई और बहरीन से समझौते किए हैं। यूएनजीए में भी कई देशों ने खासतौर पर अरब जगत के देशों ने ईरान को लेकर चिंता जाहिर की है।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। संयुक्त राष्ट्र आम महासभा में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामेन नेतन्याहू ने संयुक्त अरब अमिरात और बहरीन के साथ हुए समझौतों को इस क्षेत्र में शांति की तरफ उठता बड़ा कदम बताया है। उन्होंने इस बात की भी उम्मीद जताई है कि आने वाले समय में इस तरह के समझौतों के दायरे में अरब जगत के दूसरे देश भी खुशी-खुशी आएंगे। उनका ये बयान काफी मायने रखता है। आपको बता दें कि इजरायल ने जब यूएई के साथ एतिहासिक समझौता किया था उस वक्त जवाहरलाल नेहरू विश्व विद्यालय के प्रोफेसर एके पाशा ने भी इसी तरह की संभावना जताई थी, जैसा की अब नेतन्याहू ने जताई है। उस वक्त दैनिक जागरण से बात करते हुए पाशा ने कहा था इसी तरह का समझौता इजरायल दूसरे देशों के साथ भी कर सकता है। इसके कुछ ही समय बाद इजरायल और बहरीन के बीच समझौता हुआ था।
पाशा का कहना था कि इन समझौतों की सबसे बड़ी वजह ईरान का डर बनेगा। उनके मुताबिक ईरान इस पूरे क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बढ़ाना चाहता है। इसके लिए वो अपने परमाणु कार्यक्रम को चालू रखना चाहता है। वहीं इस क्षेत्र का कोई भी देश नहीं चाहता है कि वो ऐसा करे। इन देशों का डर ईरान के प्रति असुरक्षा की भावना है। वही बातें इस आम महासभा में सुनाई भी दी हैं। अरब जगत के कई देशों ईरान को अपना बड़ा दुश्मन बताते हुए उससे खतरा बताया है। सऊदी अरब के शाह ने अपने संदेश में कहा कि ईरान यमन की सरकार का तख्ता पलट करने के लिए वहां पर हूती विद्रोहियों की मदद कर रहा है। इसकी वजह वहां पर राजनीतिक, आर्थिक और मानवीय संकट खड़ा हो गया है जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। आम महासभा में यूएई ने इजरायल के साथ हुए समझौते को शांति के लिए किए जा रहे प्रयासों की तरफ बड़ा कदम बताया है। उन्होंने इस दौरान ये भी कहा कि ईरान सुनियोजित साजिश के तहत अपने पड़ोसी देशों पर उकसावेपूर्ण कार्रवाई करता है। वह इराक, सीरिया, यमन, गाजा और लेबनान में सीधे तौर पर हिंसा में शामिल है।
आम महासभा सत्र के समापन वाले दिन दिए अपने संबोधन में नेतन्याहू ने ये भी आरोप लगाया कि हिज्बुल्लाह लेबनान की राजधानी बेरूत में हथियारों का जखीरा जमा कर रहा है। यहां पर रिहायशी इलाके में वो इस काम को अंजाम दे रहा है। आपको बता दें कि कोरोना काल में आयोजित आम महासभा के 75वें सत्र को दुनियाभर के राष्ट्राध्यक्ष पहले से रिकॉर्ड किए गए वीडियो मैसेज के तहत संबोधित कर रहे हैं। यूएई और बहरीन से हुए समझौतों के बाबत इजरायली पीएम ने कहा कि मिडिल ईस्ट से अच्छी खबरें कम ही सुनाई देती हैं, लेकिन हाल में हुए दो समझौतों के जरिए वहां के लोगों ने क्षेत्र में शांति बहाली को लेकर अपना आशीर्वाद दिया है। इसके बाद इस क्षेत्र में व्यापार, निवेश और वाणिज्य को बढ़ावा मिलने की भी उम्मीद है। हालांकि माशा मानते हैं बीते पांच वर्षों में इजरायल और यूएई कई क्षेत्रों में साथ आकर आगे बढ़े हैं।
पीएम नेतन्याहू ने कहा कि इन समझौतों की खबर इसलिए भी सुखद है क्योंकि पूर्व में इस ओर की गई सभी कोशिशें विफल रही थीं और इससे शांति की बहाली के प्रयासों को धक्का लगा था, इसकी बड़ी वजह फिलीस्तीन की वो मांगें थीं जो अवास्तविक थीं। इन मांगों पर इजरायल की कोई भी सरकार आगे नहीं बढ़ सकती थी। वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का रास्ता यथार्थ पर आधारित था। इसमें येरुशलम को इसरायल की राजधानी के रूप में और गोलन पहाड़ियों पर इसरायली संप्रभुता को मान्यता दी गई है। इसमें इजरायल के अधिकारों को सही मानते हुए एक पीस प्रोसेस सामने रखा गया था। इसमें इजरायल की सुरक्षा जरूरतों को ध्यान रखा गया और साथ ही फिलीस्तीन के लिए भी एक गरिमामय वास्तविक मार्ग प्रशस्त किया गया। प्रोफेसर पाशा का तो यहां तक कहना है कि भविष्य में मुमकिन है कि ईरान से भी अमेरिका का एक बड़ा समझौता सामने आ जाए।