सिगरेट बट को मिट्टी में गलने वाला बताने पर केंद्र को फटकार
एनजीटी ने यह ऐतराज तब जताया जब मंत्रालय की पैरवी कर रहे एक वकील ने ट्रिब्यूनल से कहा कि सिगरेट बट स्वाभाविक रूप से मिट्टी में मिलकर घुल जाते हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सिगरेट के टोंटे (बट) को स्वाभाविक तरीके से मिट्टी में गल जाने वाला (बायोडिग्रेडेबल) बताने पर पर्यावरण और वन मंत्रालय को कड़ी फटकार लगायी है। उसे इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। इस मामले की सुनवाई अब 27 जुलाई को होनी है।
एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय से कहा है कि वह एक हफ्ते के अंदर सिगरेट और बीड़ी के बट को विषाक्त कचरा करार देने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश लेने को कहा है। खंडपीठ ने कहा कि सिगरेट और बीड़ी के बट प्रकृति के लिए बहुत ही खतरनाक हैं। फिर केंद्र सरकार का यह मंत्रालय उन्हें 'बायोडिग्रेडेबल' कैसे कह सकता है।
उल्लेखनीय है कि एनजीटी ने यह ऐतराज तब जताया जब मंत्रालय की पैरवी कर रहे एक वकील ने ट्रिब्यूनल से कहा कि सिगरेट बट स्वाभाविक रूप से मिट्टी में मिलकर घुल जाते हैं। जब खंडपीठ ने पूछा कि उन्होंने यह निष्कर्ष किस आधार पर निकाला है, इस पर मंत्रालय के वकील ने कहा कि मुख्य अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष पेश होने में व्यस्त हैं, इसलिए उन्होंने इस मामले की सुनवाई के लिए स्थगन आदेश मांगा है।
इस पर खंडपीठ ने कहा कि संविधान पीठ या किसी और पीठ ने उन्हें यहां पेश होने के लिए नहीं कहा है। इसलिए वकील को कहें कि वह उनके समक्ष उपस्थित हों। इससे पहले एनजीटी ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस देकर सार्वजनिक स्थलों पर तंबाकू का सेवन बंद करने और उसके कचरे के उपयुक्त निस्तारण की बात कही थी।
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