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चुनावी तैयारियों के लिए दी जा रही अंधाधुंध पर्यावरण मंजूरी

पर्यावरण मंत्रालय की ओर से औद्योगिक परियोजनाओं को दी जा रही अंधाधुंध मंजूरी का सामाजिक संगठनों ने जोरदार विरोध किया है। दो सौ से ज्यादा सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली को इस मंत्रालय का अतिरिक्त जिम्मा दिए जाने को हितों का टकराव भी बताया है। गैर सरकारी संगठन ग्रीन पी

By Edited By: Published: Mon, 03 Feb 2014 09:03 PM (IST)Updated: Mon, 03 Feb 2014 09:04 PM (IST)
चुनावी तैयारियों के लिए दी जा रही अंधाधुंध पर्यावरण मंजूरी

नई दिल्ली। पर्यावरण मंत्रालय की ओर से औद्योगिक परियोजनाओं को दी जा रही अंधाधुंध मंजूरी का सामाजिक संगठनों ने जोरदार विरोध किया है। दो सौ से ज्यादा सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली को इस मंत्रालय का अतिरिक्त जिम्मा दिए जाने को हितों का टकराव भी बताया है।

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गैर सरकारी संगठन ग्रीन पीस के कार्यकारी निदेशक समित अइच ने कहा, 'ऐसा तो किसी कानून व्यवस्था विहीन राज्यों में भी नहीं होता कि पेट्रोलियम मंत्री को ही पर्यावरण मंजूरी की जिम्मेवारी भी दे दी जाए। यह सीधे-सीधे हितों का टकराव है।' पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने भी कहा, 'चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में लगता है कि सरकार चाहती है कि पर्यावरण मंजूरी की व्यवस्था में भी तेल पड़ता रहे। इसीलिए पेट्रोलियम मंत्री को ही यह काम दे दिया गया।'

पर्यावरणविद आशीष कोठारी ने इतनी तेजी से दी जा रही पर्यावरण मंजूरी पर हैरानी जताई है। उन्होंने कहा, 'खास कर मोइली के आने के बाद से जिस तेजी से मंजूरी दी जा रही है, वह मंत्रालय के ही नियमों के खिलाफ है। लोगों को बताया जा रहा है कि आर्थिक विकास के लिए यह जरूरी है, जबकि वास्तव में यह विकास नहीं सिर्फ मुनाफे के लिए किया जा रहा है।'

मोइली ने पिछले दिनों दावा किया कि तीन हफ्ते के अंदर उन्होंने डेढ़ लाख करोड़ रुपये की 70 योजनाओं को मंजूरी दे दी। उन्होंने 15 फरवरी तक बाकी बची योजनाओं को भी मंजूरी मिल जाने का दावा किया। गांधी के मुताबिक अगर यह सब नियमों के मुताबिक हुआ है तो सरकार इनसे जुड़ी सारी फाइलें सार्वजनिक कर दे।

अरुणा राय, मेधा पाटकर और पीवी राजगोपाल सहित सिविल सोसायटी के 212 प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस पूरे मामले की कड़ी निंदा की है। पत्र में कहा गया है, पर्यावरण मंत्रालय को बनाया ही इसलिए गया था कि वह देश के हर नागरिक को स्वस्थ्य और सुरक्षित पर्यावरण उपलब्ध करवाए।

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लेकिन, पेट्रोलियम मंत्री को इसका जिम्मा दे कर सरकार ने साबित कर दिया कि उसकी प्राथमिकता सिर्फ उद्योगों के अनुकूल सरकार देने की है।

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