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प्रधान बनी इंजीनियर श्वेता ने गांव को दिलाया UP की पहली पेपर लेस पंचायत का दर्जा

श्वेता ने मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) की डिग्री ली। जिस वक्त उन्होंने यह कोर्स किया तब नौकरियों की कमी नहीं थी। कई जगह से ऑफर आया।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 09:24 AM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 07:20 AM (IST)
प्रधान बनी इंजीनियर श्वेता ने गांव को दिलाया UP की पहली पेपर लेस पंचायत का दर्जा
प्रधान बनी इंजीनियर श्वेता ने गांव को दिलाया UP की पहली पेपर लेस पंचायत का दर्जा

राजीव बाजपेयी, लखनऊ। दशहरी आम के लिए मशहूर लखनऊ के मलिहाबाद तहसील की लतीफपुर ग्राम पंचायत डिजिटल इंडिया के सपने को साकार कर रही है। इस मुश्किल काम को मुकाम तक पहुंचाया है इंजीनियरिंग कर चुकीं युवा प्रधान श्वेता सिंह ने। उन्होंने कागज पर लिखा पढ़ी के बिना ही स्मार्ट गांव की इबारत लिख दी। उनकी इस कोशिश को सरकार ने भी सराहा है और लक्ष्मीबाई अवॉर्ड देकर उत्साह बढ़ाया।

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गांव की भलाई के साथ ही श्वेता नौजवानों के लिए प्रेरणा बन गई हैं। खासकर वे जो नौकरी की तलाश में शहरों की अंधी दौड़ में व्यस्त हैं। श्वेता ने मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) की डिग्री ली। जिस वक्त उन्होंने यह कोर्स किया, तब नौकरियों की कमी नहीं थी। कई जगह से ऑफर आया। परिजनों और दोस्तों ने भी बड़े शहर की तरफ रुख करने की सलाह दी, लेकिन श्वेता कुछ अलग करना चाहती थीं।

रिकॉर्ड मतों से जीतकर कम उम्र की महिला प्रधान

आखिर में उन्होंने अपने किसान परिवार और बदहाल गांव की तकदीर बदलने की ठानी। धीरे-धीरे कोशिश शुरू कर दी। वह विकास संबंधी सुझाव देतीं। लोगों की मदद करतीं। धीरे-धीरे लोग उनकी बातों को गंभीरता से लेने लगे। इस बीच 2008 में उनकी शादी हो गई, लेकिन अपने सपनों से समझौता नहीं किया। उनका जज्बा देख पेशे से किसान और खुद का व्यापार करने वाले पति अखिलेश सिंह ने भी उनका साथ दिया। 2015 के प्रधान चुनाव में उन्हें उम्मीदवार बनाया। श्वेता पढ़ाई छोड़ने के बाद से ही गांव में सक्रिय थीं। अवसर मुखिया चुनने का आया तो वह लोगों की पहली पसंद बन गईं। रिकॉर्ड मतों से जीतकर कम उम्र की महिला प्रधान बनीं।

पढ़ाई का मिला फायदा

श्वेता इंजीनियर होने के चलते तकनीक को भली भांति समझती थीं। इसीलिए गांव के विकास के लिए उन्होंने इसका भरपूर प्रयोग किया। डिजिटल इंडिया मुहिम का फायदा उठाकर सारे काम कंप्यूटराइज्ड किए। प्रस्ताव बनाने से लेकर शिकायत, भुगतान तक सब कुछ कंप्यूटर पर ही होता है। इसी का नतीजा है कि एक साल के भीतर ही उत्तर प्रदेश की पहली पेपर लेस पंचायत होने का दर्जा हासिल किया। लतीफपुर का पंचायत भवन पूरी तरह से वातानुकूलित है।

ऐसा है लतीफपुर गांव

  • उत्तर प्रदेश के पहले डिजिटल गांव का दर्जा मिला
  • जिले में ई स्पर्श योजना पाने वाला पहला गांव बना
  • 1600 परिवारों के इस गांव में सभी पात्रों को पेंशन
  • 100 फीसद लोगों के पास राशन कार्ड, गैस कनेक्शन
  • गांव की सभी समस्याएं ऑनलाइन दर्ज होती हैं
  • गांव में डोरस्टेप बैंकिंग की सुविधा। बैंक कर्मचारी खुद घर पहुंचते है

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