ईडी ने इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना कोष से हेराफेरी मामले में 2.02 करोड़ रुपये जब्त किए
ED ने इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना के लिए धन के गबन से संबंधित एक मामले में पीएमएलए के तहत 2.02 करोड़ रुपये की बैक राशि अस्थायी रूप से अटैच की है।
नई दिल्ली, एएनआइ। इंदिरा गांधी मातृत्य सहयोग योजना (IGMSY) के कोष में हेराफेरी से जुड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate, ED) ने 2.02 करोड़ की बैंक में जमा राशि प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत अस्थायी रूप से जब्त कर ली है। ईडी के मुताबिक, जब्त की गई राशि गुवाहाटी स्थित भारतीय स्टेट बैंक में पवन कुमार अग्रवाल के स्वामित्व वाली ग्लोबल इंडिया फर्म के खाते में जमा थी।
ईडी की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, असम के विजिलेंस और एंटी करप्शन विभाग द्वारा सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारियों और पवन कुमार अग्रवाल के खिलाफ दायर आरोपपत्र के आधार पर उसने पीएमएलए के तहत जांच शुरू की गई थी। अटैच बैंक राशि ग्लोबल इंडिया के नाम से है जो पवन कुमार अग्रवाल की स्वामित्व वाली फर्म है जिसका अकाउंट भारतीय स्टेट बैंक गुवाहाटी में है।
ईडी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पीएमएलए के तहत जांच समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों और पवन कुमार अग्रवाल के खिलाफ असम के विजिलेंस और एंटी करप्शन विभाग द्वारा दाखिल चार्जशीट के आधार पर शुरू की गई थी। चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि पवन कुमार अग्रवाल के साथ SWD के अधिकारियों ने इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना के तहत लाभार्थियों को दी जाने वाली रकम को निकालने के लिए आपराधिक साजिशें रची।
जांच में पाया गया कि असम के दो जिलों कामरूप और गोलपारा को चुना गया था जिसमें योजना के तहत लाभार्थियों को सीधे तीन किस्तों में 4,000 रुपये का भुगतान किया जा रहा था। छानबीन में पाया गया कि योजना के तहत धन अवैध रूप से सिलाई मशीनों की खरीद के लिए डायवर्ट किया गया। यही नहीं इस खरीद के लिए निविदा गैर-कानूनी दरों पर ग्लोबेल इंडिया को अवैध रूप से जारी की गई।
इससे इतर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोलकाता स्थित एक ज्वेलरी हाउस को 7,220 करोड़ रुपये का विदेशी मुद्रा विनियम अधिनियम (फेमा) के तहत नोटिस जारी किया है। ईडी की तरफ से इस तरह के मामले में कार्रवाई का यह अब तक का सबसे बड़ा केस है, जो बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़ा है। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी जानकारी दी है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने श्री गणेश ज्वेलरी हाउस लिमिटेड और उसके प्रमोटरों के खिलाफ कोलकाता में फेमा के सहायक प्राधिकारी द्वारा जारी एक आदेश के तहत यह नोटिस जारी किया है।
सूत्रों की मानें तो आरबीआइ के अनुसार, देश के शीर्ष 100 विलफुल बैंक लोन डिफॉल्टर्स (जानबूझ कर कर्ज नहीं चुकाने वाले) में श्री गणेश ज्वेलरी हाउस एक है। इसके तीन प्रमोटर भाइयों - नीलेश पारेख, उमेश पारेख और कमलेश पारेख के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) और राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआइ) भी जांच कर रहा है। निलेश पारेख को 2018 में डीआरआइ ने गिरफ्तार किया था।