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प्रख्यात हस्तियों ने लिखा खुला खत, पूछा- क्या संविधान महज प्रशासनिक नियमावली

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ.एसवाई कुरैशी और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस जे.चेलमेश्वर समेत आठ प्रख्यात हस्तियों ने एक खुला पत्र लिखा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 13 Jan 2020 12:26 AM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 12:45 AM (IST)
प्रख्यात हस्तियों ने लिखा खुला खत, पूछा- क्या संविधान महज प्रशासनिक नियमावली
प्रख्यात हस्तियों ने लिखा खुला खत, पूछा- क्या संविधान महज प्रशासनिक नियमावली

 नई दिल्ली, एजेंसियां। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ.एसवाई कुरैशी और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस जे.चेलमेश्वर समेत आठ प्रख्यात हस्तियों ने एक खुला पत्र लिखा है। इसमें भारत के गणतंत्र की 70वीं वर्षगांठ पर नागरिकों से अपील की है कि संविधान को केवल प्रशासनिक दस्तावेज न समझें और भविष्य में उसका आत्मविश्लेषण और समीक्षा करें। साथ ही वह डॉ. भीमराव अंबेडकर के संविधान के लक्ष्यों को पूरा करें।

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जनता से पूछे संविधान को लेकर सवाल 

इन हस्तियों ने रविवार को जनता से पूछा है कि क्या संविधान महज प्रशासनिक नियमावली है। जिससे निर्वाचित सरकार को सत्ता का दुरुपयोग करने की छूट मिल जाती है। क्या यह साधारण लेखन है जिसे स्याही से लिखा गया है? या फिर यह पवित्र ग्रंथ है, जिसे अनगिनत शहीदों के खून से लिखा गया है। इसमें जाति, धर्म, क्षेत्र, प्राचीनता और भाषा की सीमाओं को खत्म किया गया है?

इन हस्तियों ने जनता से यह अपील ऐसे समय में की है जब नए नागरिकता कानून के विरोध में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस कानून के आलोचकों का कहना है कि यह धर्म के आधार पर किया गया भेदभाव है, जो संविधान का उल्लंघन है। कुरैशी ने ट्वीट में कहा कि हर तरह की परिस्थिति के विपरीत लोकतंत्र के मूल्यों को स्थापित किया है।

आठ हस्‍तियों के हैं वक्‍तव्‍य पर हस्‍ताक्षर

इस वक्तव्य पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जे.चलमेश्वर, सेना के पूर्व कमांडर ले.जनरल हरचरनजीत सिंह पनाग, यूजीसी के पूर्व आयुक्त सुखदेव थरोट, योजना आयोग की पूर्व सदस्य सईदा हमीद, प्रख्यात फिल्मी हस्तियां शर्मिला टैगोर, अदूर गोपालकृष्णन, टीएम कृष्णा के हस्ताक्षर हैं। वक्तव्य में कहा गया है कि 70वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जन्मदिन (23 जनवरी) को भी मनाने की आवश्यकता है। चुनाव आयोग के स्थापना दिवस और राष्ट्रीय मतदाता दिवस (26 जनवरी) भी मनाने की आवश्यकता है।


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