Move to Jagran APP

Elimination of Poverty in India: गरीबी उन्मूलन की योजनाएं, मिटेगी विपन्नता आएगी संपन्नता

एक रिपोर्ट ने बताया है कि भारत में गरीबी घट रही है। केंद्र सरकार ने गरीबी उन्मूलन को कई योजनाओं को लागू किया है। इन योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 11:32 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 11:39 AM (IST)
Elimination of Poverty in India: गरीबी उन्मूलन की योजनाएं, मिटेगी विपन्नता आएगी संपन्नता
Elimination of Poverty in India: गरीबी उन्मूलन की योजनाएं, मिटेगी विपन्नता आएगी संपन्नता

अभिषेक पारीक। Elimination of Poverty in India: भारत की बड़ी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है। आजादी के बाद से ही गरीबी हटाओ का नारा सुनाई देने लगा था और आज भी यह नारा हर चुनाव में अलग-अलग रूपों में सामने आ ही जाता है। वोट बैंक की राजनीति करने वाले जानते हैं कि इस नारे का कब और कैसे इस्तेमाल करना है। हालांकि इन सारी नकारात्मकता के बीच यह कहना होगा कि सरकारों ने कोशिशें तो की, लेकिन यह उतनी कामयाब नहीं हुई। फिर भी उम्मीदों का जिंदा रहना जरूरी है। यह उम्मीदें इसलिए भी जिंदा है कि हाल के दिनों में सामने आई एक रिपोर्ट ने बताया है कि भारत में गरीबी घट रही है। केंद्र सरकार ने गरीबी उन्मूलन को कई योजनाओं को लागू किया है। इन योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है।

loksabha election banner

दीन दयाल अंत्योदय योजना

इस योजना का उद्देश्य कौशल विकास के माध्यम से स्थायी आजीविका के अवसरों को बढ़ाकर शहरी गरीब लोगों के उत्थान के लिए काम करना है। दीन दयाल अंत्योदय योजना को आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय के तहत शुरू किया गया था। यह योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) का एकीकरण है। राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) का नाम बदलकर दीन दयाल अंत्योदय योजना रखा गया है। यह फिलहाल 790 शहरों को कवर करता है। इसके साथ ही शहरी गरीबो को अनळ्दान और रहने के लिए छत भी उपलब्ध कराई जाती है।

आयुष्मान भारत योजना

एक गरीब के लिए बीमार होना सबसे बड़ा सदमा होता है। जब वो बीमार होता है तो न उसके पास पैसे होते हैं और न रोजगार के लिए वह जा पाता है। ऐसी स्थिति के लिए अब उसे चिंतित नहीं होना पड़ेगा। इस योजना के तहत देश के 10 करोड़ परिवारों को 5 लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा मिलता है। इसमें सभी गंभीर बीमारियों का इलाज कवर होगा।

स्वच्छ भारत मिशन

केंद्र सरकार ने 2 अक्टूबर 2014 को इस मिशन को लांच किया। इसके तहत स्वच्छता का लक्ष्य तय किया गया है। ग्रामीण परिवारों को घर में शौचालय बनाने के लिए 12 हजार प्रदान किए जाते हैं। देखने में यह योजना बहुत ही साधारण दिखती है, लेकिन इस योजना के जरिए बीमारियों में कमी आती है और रोजगार भी बना रहता है। ऐसे में यह गरीबों के लिए अप्रत्यक्ष रूप से काफी लाभदायी है।

प्रधानमंत्री बीमा सुरक्षा योजना

केंद्र सरकार की इस योजना के तहत दुर्घटना के कारण मृत्यु या आंशिक रूप से होने वाली शारीरिक समस्याओं के लिए बीमा किए जाने पर जोर रहता है। जिन लोगों का किसी भी तरह का बीमा नहीं है, उन लोगों के लिए यह योजना शुरू की गई है। सरकारी स्तर पर इसका सब्सक्रिप्शन चार्ज 12 रुपए रखा गया है।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम

इस कार्यक्रम के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय वर्ष में गारंटी से रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। जिसमें अकुशल शारीरिक कार्य के लिए कम से कम सौ दिन का रोजगार दिया जाता है। इसका उद्देश्य निर्धन व्यक्ति के जीविका संसाधन को सुदृढ करना है।

काम के लिए भोजन कार्यक्रम

काम के लिए भोजन कार्यक्रम 2000-01 में शुरू किया गया था। यह पहली बार छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तरांचल के आठ सूखा प्रभावित राज्यों में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य रोजगार के माध्यम से खाद्य सुरक्षा को बढ़ाना है। खाद्यान्न की आपूर्ति राज्यों को मुफ्त में की जाती है।

और भी हैं योजनाएं

इसके अतिरिक्त सरकार की ऐसी बहुत सी योजनाएं हैं, जिनमें प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में काफी मदद की है। इन योजनाओं में सस्ता खाद्यान्न उपलब्ध कराने और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने वाली कई योजनाएं हैं, जिनके कारण लोग गरीबी रेखा के बाहर आ पाते हैं।

उम्मीदों की रिपोर्ट

दुनिया में गरीबों की संख्या काफी तेजी से घटी है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2005-06 में करीब 64 करोड़ लोग (55.1 फीसद) गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे थे। यह संख्या 2015- 16 में घटकर 36.9 करोड़ (27.9 फीसद) रह गई है।

दक्षिण एशिया में भारत बेहतर

बहुआयामी गरीबी को कम करने में भारत की ओर से उल्लेखनीय प्रयास हुए हैं। दक्षिण एशिया में मालदीव इकलौता देश है, जिसकी स्थिति भारत से बेहतर है। इसके उलट नेपाल में 35.3 फीसद, बांग्लादेश में 41.1 फीसद और पाकिस्तान में 43.3 फीसद गरीबों की संख्या है। बहुआयामी गरीबी इंडेक्स के तीन मुख्य पहलू हैं। इनमें स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर आते हैं। इसके अन्य पहुलओं में पोषण, शिशु मृत्यु दर, स्कूली शिक्षा वर्ष, स्कूल उपस्थिति, स्वच्छता, खाना पकाने का ईंधन, पेजयल, बिजली, आवास जैसे संकेतक आते हैं। बहुआयामी गरीबी को कम करने की दिशा में काफी काम हुआ है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.