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असम में वन विभाग ने एक माह में पांच को कुचलने वाले 'लादेन' को पकड़ा

एक माह में पांच लोगों को कुचल कर मारने वाले हाथी लादेन को आखिरकार वन विभाग ने पकड़ लिया। खासबात यह रही कि इस दल का नेतृत्व वहां के विधायक ने किया।

By Jagran News NetworkEdited By: Published: Thu, 14 Nov 2019 06:28 PM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 07:34 PM (IST)
असम में वन विभाग ने एक माह में पांच को कुचलने वाले 'लादेन' को पकड़ा
असम में वन विभाग ने एक माह में पांच को कुचलने वाले 'लादेन' को पकड़ा

गोवाहाटी, जेएनएन। असम में महीनेभर में पांच लोगों को कुचलकर मारने वाले जंगली हाथी को पकड़ लिया गया है। स्थानीय लोग इसे लादेन कहने लगे थे। हाथी पकड़ने वाले दल का नेतृत्व सूतिया विधायक पदम हजारिका ने किया। असम के मुख्यमंत्री सरबानंद सोनोवाल ने खूंखार हो चुके हाथी को पकड़ने वाले दल व विधायक हजारिका को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि एक सच्चे जनप्रतिनिधि के तौर पर हजारिका ने वन अधिकारियों की जंगल में मदद की, जिससे लोगों को राहत मिली। विदित हो कि जंगली हाथी के हमलेे के डर से लोगों ने घर से निकलना बंद कर दिया था। लादेन दो साल पहले अपने झुंड के साथ लड़ाई कर अलग हो गया था।

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हाथी पर ही सवार हुए विधायक 

सुतिया से भाजपा विधायक पदम हजारिका अपने प्रशिक्षित हाथियों में से एक की पीठ पर बैठकर दल का हिस्सा बने। उन्होंने हाथी को खोजने में वन विभाग की मदद की।

लादेन निगरानी में और स्वस्थ्य है

चीफ फॉरेस्ट कंजवेर्टर आकाशदीप बरुआ ने बताया कि सोमवार अलसुबह हाथी को पकड़ने का अभियान शुरू किया था और दोपहर में उसे पकड़ लिया गया। लादेन को निगरानी में रखा गया है और अब वह पूरी तरह से स्वस्थ्य है। 

अनुभवी हैं विधायक हजारिका 

पिछले सप्ताह चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन टीवी रेड्डी ने मदद के लिए विधायक हजारिका से अनुरोध किया था। इसके बाद लोगों के हितों को ध्यान में रखते विधायक दल का हिस्सा बने और हाथी पकड़ा गया, जिसके बाद से लोगों ने राहत की सांस ली है।

प्रदेश में अनेक मामले

लोगों को जंगली हाथियों द्वारा कुचलने के अनेक मामले प्रदेश में सामने आए हैं। अक्सर हाथी जब अपने दल से भटक जाते हैं तो इस तरह की वारदात को अंजाम देने लगते हैं। जिसका शिकार जंगल से जुड़े गांवों के लोग होते हैं। वन विभाग इन्हें पकड़ने का अभियान चलाते हैं। इसमें स्थानीय लोग भी सहयोग करते हैं, लेकिन कई बार हाथी की लगातार लोकेशन बदलने से वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी भी परेशान होते हैं।


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