नई पीढ़ी के गैजेट्स को बिजली सप्लाई करेंगे इलेक्ट्रॉनिक टैटू, प्रिंटर से किया गया तैयार
किफायती होने के अलावा इस टैटू की और भी कई खासियत हैं। जैसे इसे झुकाने, मोडऩे, घुमाने और खींचने पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
नेशनल डेस्क, नई दिल्ली। दुनियाभर के वैज्ञानिक अगली पीढ़ी के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तैयार करने में प्रयासरत हैं। ये पहने जा सकने वाले उपकरण आकार में बेहद छोटे होंगे।
यही वजह है कि इनके लिए बिजली सप्लाई का सिस्टम भी अलग होगा। इसी दिशा में अमेरिका के वैज्ञानिकों को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। उन्होंने सर्किट जैसे बेहद लचीले और बहुत महीन टैटू विकसित किए हैं, जिनसे अगली पीढ़ी की वेयरेबल डिवाइसों (पहने जाने वाले उपकरणों) को बिजली सप्लाई की जा सकेगी। वैज्ञानिकों ने इन्हें एक प्रिंटर से तैयार किया है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस टैटू को तरल मिश्रित धातु से बनाया गया है, ताकि इससे विद्युत का प्रभाव हो सके। इसे हम आसानी से अपनी त्वचा पर एक टैटू की तरह लगा सकते हैं और यह पूरी तरह से सुरक्षित है। इसकी एक बड़ी खासियत इस पूरी प्रक्रिया का किफायती होना है।
बच्चों के टैटू की तरह लगेगा
वैज्ञानिकों ने इसे लगाने के लिए बच्चों वाले टैटू के तरीके का ही चुनाव किया है। यानी इसे बेहद आसानी से पानी से स्किन पर लगाया जा सकेगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक, टैटू जैसे अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए जटिल निर्माण तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। साथ ही यह अलग-अलग स्थान के अनुरूप काम करते हैं। यानी इनसे अच्छा आउटपुट प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष परिस्थितियों की जरूरत होती है। इसके चलते इनका क्षेत्र सीमित हो जाता है।
इस तरह किया तैयार
अमेरिका स्थित कार्नेगी मेलॉन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर कर्मेल मजीदी कहते हैं, इसे तैयार करने के लिए हमने एक डेस्कटॉप इंकजेट प्रिंटर का प्रयोग किया। इस प्रिंटर की मदद से हमने अस्थायी टैटू पेपर पर सिल्वर नैनोकणों के निशान प्रिंट किए। इसके बाद इन कणों को हमने गैलियम इंडियम मिश्र धातु की परत से कोट किया। यह मिश्र धातु प्रिंटेड सर्किट की विद्युत चालकता बढ़ाने के साथ उसे यांत्रिक रूप से मजबूती भी प्रदान करती है। इस बेहद लचीले और बहुत पतले टैटू को तैयार करने में बहुत कम खर्च आता है।
ये हैं खासियत
वैज्ञानिकों के मुताबिक, किफायती होने के अलावा इस टैटू की और भी कई खासियत हैं। जैसे इसे झुकाने, मोडऩे, घुमाने और खींचने पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। खराब से खराब परिस्थितियों में भी इसका प्रदर्शन हमेशा समान रहता है।