स्पाइनल कैंसर व ट्यूमर में कारगर है स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी, जानें- क्या होती है ये सर्जरी
स्पाइन सर्जन डॉ. सुदीप जैन ने बताया कि के उपचार की विधियों में शामिल स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी तकनीक ने इस बीमारी के मरीजों में स्वस्थ होने की उम्मीद का प्रतिशत बढ़ा दिया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। बदले परिवेश में स्पाइनल कैंसर (रीढ़ का कैंसर) व ट्यूमर के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है। इस बीमारी का नकारात्मक पहलू यह है कि अब इसकी चपेट में सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं, युवा और बच्चे भी आ रहे हैं। इसके उपचार की विधियों में शामिल स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी तकनीक ने इस बीमारी के मरीजों में स्वस्थ होने की उम्मीद का प्रतिशत बढ़ा दिया है। फिर भी, वर्तमान स्थितियों में चिकित्सकों की मानें तो, यह समय कोरोना संक्रमण का है इसलिए रोग की स्थिति और चिकित्सक की सलाह पर ही सर्जरी कराना उचित रहेगा। जानें क्या कहते है नई दिल्ली के स्पाइन सर्जन डॉ. सुदीप जैन।
स्पाइनल ट्यूमर और स्पाइनल कैंसर में क्या है अंतर: आइए पहले समझते हैं कि यह दोनों बीमारियां क्या हैं और इनमें क्या अंतर है। स्पाइनल ट्यूमर व स्पाइनल कैंसर में एक अंतर है कि स्पाइनल ट्यूमर केवल रीढ़ की हड्डी तक ही सीमित रहता है, जबकि स्पाइनल कैंसर शरीर के विभिन्न भागों को प्रभावित करता है, इसे मेटास्टेसिस कहते हैं। स्पाइनल ट्यूमर और स्पाइनल कैंसर, स्पाइन के अलग-अलग भागों को गिरफ्त में लेते हैं। स्पाइनल ट्यूमर रीढ़ की नसों पर दबाव बनाता है, जिससे लकवा मारने का खतरा बढ़ जाता है। स्पाइनल कैंसर की वजह से स्थायी अपंगता हो सकती है व कई बार उपचार में देरी होने से यह मौत का कारण बनता है। इसमें समझने वाली बात यह होती है कि रोग की स्थिति क्या है और उपचार कब शुरू हुआ। यदि समय रहते उपचार शुरू हो जाता है तो समस्या से निजात मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
इन दोनों बीमारियों के लक्षण लगभग समान होते हैं। जैसे गर्दन, कमर के ऊपरी और निचले भाग, जांघ और कूल्हे में लंबे समय से दर्द रहना, नसों में दबाव के कारण हाथ-पैरों में अचानक दर्द उत्पन्न होना या हाथ-पैर का ठंडा पड़ना। हाथों में कंपन, चलने में लड़खड़ाना आदि स्पाइनल ट्यूमर व स्पाइनल कैंसर के प्रमुख लक्षण हैं, हालांकि यह बात जांच से सामने आती है।
क्या है इंट्रामेडुलरी ट्यूमर: स्पाइनल ट्यूमर और स्पाइनल कैंसर कई प्रकार के होते है और हर आयु वर्ग में अलग तरह के होते हैं। इसमें उपचार के लिए मुख्य रूप से स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी का उपयोग होता है। इसी तरह इंट्रामेडुलरी ट्यूमर एक ऐसा ट्यूमर है, जिसकी शुरुआत स्पाइनल कॉर्ड के मध्य से होती है और इसे हटाना चिकित्सकों के लिए अभी चुनौती भरा है। इस ट्यूमर को भी हटाने में स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी का ही प्रयोग किया जाता है। सर्जरी के दौरान लीनियर एक्सेलरेटर या गामा नाइफ मशीन के माध्यम से बड़ी मात्रा में रेडिएशन किरणों के द्वारा स्पाइनल ट्यूमर को नष्ट किया जाता है।
हालांकि कोविड-19 के बढ़ते खतरे को देखते हुए चिकित्सक अभी सर्जरी की सलाह नहीं दे रहे हैं। अस्पतालों में भी फोकस कोविड-19 के उपचार पर अधिक है। ऐसे में जरूरी है कि आप चिकित्सक की सलाह पर दवाओं का नियमित सेवन करें और उनके संपर्क में रहें। वे ही बता सकते हैं कि आपको अभी सर्जरी की आवश्यकता है अथवा नहीं।