MeToo का असर: सीआइसी ने कहा-जिन संस्थानों में नहीं है निवारण तंत्र, उन पर हो कार्रवाई
सीआइसी ने राष्ट्रीय महिला आयोग से कहा है कि जिन संस्थानों ने अभी तक यौन उत्पीड़न के मामलों के लिए निवारण तंत्र नहीं बनाया है, उन पर कार्रवाई की जाए।
नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत में मी टू अभियान शुरू होने के बाद महिलाओं के यौन उत्पीड़न की बड़ी संख्या में सामने आई शिकायतों का केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) ने संज्ञान लिया है। सीआइसी ने राष्ट्रीय महिला आयोग से कहा है कि जिन संस्थानों ने अभी तक यौन उत्पीड़न के मामलों के लिए निवारण तंत्र नहीं बनाया है, उन पर कार्रवाई की जाए।
सीआइसी ने कहा है कि उत्पीड़न की शिकार जो महिलाएं महिला आयोग या संस्थान की आंतरिक शिकायत कमेटी या संस्थान के प्रमुख से शिकायत करती हैं, उनकी और उनके हितों की सुरक्षा की जानी चाहिए। देखा जाना चाहिए कि शिकायत करने के बाद उनका उत्पीड़न तो नहीं किया जा रहा। यह बात सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने कही है।
फिल्म अभिनेत्री तनुश्री दत्ता के यौन उत्पीड़न मामले की चर्चा करते हुए सूचना आयुक्त ने कहा कि कई संस्थानों और उद्योगों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामलों की सुनवाई का कोई तंत्र नहीं है। ऐसे ही उद्योगों में फिल्म उद्योग भी शामिल है। यहां भी इस तरह के मामलों की कहीं पर शिकायत नहीं की जा सकती। तनुश्री ने फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर पर कई साल पहले यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है।
केंद्रीय सूचना आयोग ने दामोदर वैली कॉर्पोरेशन (डीवीसी) में कार्य करने वाली एक महिला की शिकायत का जिक्र किया है। इस महिला की शिकायत पर कृत कार्रवाई से उसे अवगत नहीं कराया गया और उसने आरटीआइ के जरिये कार्रवाई का ब्योरा मांगा है। इस मामले में सूचना आयोग ने डीवीसी पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। आचार्युलू ने इस मामले में डीवीसी को पीडि़ता को एक लाख रुपये का हर्जाना देने का भी आदेश दिया है जिससे उसके उत्पीड़न की भरपाई हो सके।