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PM मोदी बोले- आत्मनिर्भर भारत में शिक्षा का अहम रोल, नई शिक्षा नीति से मिलेगी नई ऊर्जा

पीएम मे कहा कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में नए भारत के निर्माण में समृद्ध और खुशहाल भारत के निर्माण में शिक्षा का बहुत बड़ा महत्व है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sat, 15 Aug 2020 11:51 AM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2020 12:17 PM (IST)
PM मोदी बोले- आत्मनिर्भर भारत में शिक्षा का अहम रोल, नई शिक्षा नीति से मिलेगी नई ऊर्जा
PM मोदी बोले- आत्मनिर्भर भारत में शिक्षा का अहम रोल, नई शिक्षा नीति से मिलेगी नई ऊर्जा

नई दिल्ली, एएनआइ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लाल किले से दिए गए अपने संबोधन में नई शिक्षा नीति का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर, आधुनिक, नए और समृद्ध भारत के निर्माण में शिक्षा की अहम भूमिका है और नई शिक्षा नीति से नया आत्मविश्वास पैदा होगा। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में, नए भारत के निर्माण में, समृद्ध और खुशहाल भारत के निर्माण में देश की शिक्षा व्यवस्था का बहुत बड़ा महत्व है। उन्होंने कहा कि इसी सोच के साथ देश को एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति मिली है। इस नई शिक्षा नीति से देश को एक नया आत्मविश्वास और एक नई उर्जा मिलेगी।

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अपने भाषण में पीएम मोदी ने यह भी कहा कि सरकार जल्द ही एक नई साइबर सुरक्षा नीति का अनावरण करेगी। उन्होंने कहा कि अगले 1000 दिनों के भीतर, 6 लाख से अधिक गांवों को फाइबर-ऑप्टिक नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। हम जल्द ही एक नई साइबर सुरक्षा नीति का अनावरण करेंगे।

पीएम ने बताया कि कोरोना के समय में हमने देख लिया है कि डिजिटल भारत अभियान की क्या भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि अभी पिछले महीने ही करीब-करीब 3 लाख करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन अकेले BHIM UPI से हुआ है। साल 2014 से पहले देश की सिर्फ 5 दर्जन पंचायतें ऑप्टिल फाइबर से जुड़ी थीं. बीते पांच साल में देश में डेढ़ लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा गया है।

गौरतलब है कि करीब साढ़े तीन दशकों की लंबी प्रतीक्षा के बाद देश को नई शिक्षा नीति (NEP) की सौगात मिली है। मौजूदा 10+2+3+2 ढांचे के स्थान पर 5+3+3+2 की मल्टी एंट्री और एग्जिट वाली नई रूपरेखा नवाचारी एवं महत्वाकांक्षी होने के साथ तमाम चुनौतियों से भी भरी है।

कौशल मापन, व्यावसायिक शिक्षा, समानता, गुणवत्ता, विभिन्न धाराओं की शिक्षा, स्थानीय एवं वैश्विक मिश्रण, समावेशी एवं द्विपक्षीय समझ, विश्लेषणात्मक समझ का विकास, बस्ते का हल्का बोझ, शिक्षा जोन, कम पाठ्यक्रम, अन्वेषण पर जोर, चर्चा, विमर्श, शोध एवं नवाचार पर ध्यान, कॉलेजों को स्वायत्तता और शुरुआती दौर में बेहतर पढ़ाई के लिए मातृभाषा में अध्ययन वास्तव में बहुत अच्छे विचार हैं।


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