मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग का निर्देश, फीस जमा न हुई तो बच्चों को अगली कक्षा में न करें प्रमोट
स्कूल शिक्षा विभाग ने अधिकारियों को आदेश जारी कर कहा है कि अभिभावक फीस जमा न करें तो बच्चों को अगली कक्षा में प्रमोट न करें। 9वीं से 12वीं तक शुरू हुई नियमित कक्षाओं में शिक्षण शुल्क के साथ अन्य गतिविधियों की भी फीस देनी होगी।
भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग ने मंगलवार को सभी जिलों के कलेक्टर्स, संभागीय संयुक्त संचालक और जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी किया है कि अगर अभिभावक निजी स्कूलों में शिक्षण शुल्क जमा नहीं कर रहे हैं, तो उनके बच्चे को अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाए। आदेश में कहा है कि हाईकोर्ट जबलपुर ने निजी स्कूलों की फीस के संबंध में शिक्षण शुल्क जमा करने के आदेश दिए हैं। इसके बाद भी अभिभावक फीस जमा नहीं कर रहे हैं, तो यह सही नहीं है। फीस जमा नहीं होने के कारण निजी स्कूलों के शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है।
सरकार ने कोरोना संक्रमण काल में निजी विद्यालयों को केवल शिक्षण शुल्क लेने की अनुमति दी थी। हाईकोर्ट ने भी यही आदेश दिया है। आदेश में यह भी कहा गया है कि फीस जमा न करने की स्थिति में स्कूल विद्यार्थी का नाम नहीं काट सकेंगे। साथ ही निजी विद्यालय अभिभावकों से इस सत्र की बकाया फीस किस्तों में या एकमुश्त ले सकेंगे। वहीं नौवीं से बारहवीं की जिन कक्षाओं का संचालन नियमित शुरू हो गया है, उनमें जनवरी से सत्र के अंत तक शिक्षण शुल्क के अतिरिक्त अन्य गतिविधियों की भी फीस ली जा सकेगी।
वेतन में 20 प्रतिशत से अधिक कटौती नहीं करेंगे
निजी स्कूल संचालक सत्र 2020--21 की सभी कक्षाओं का बकाया शिक्षण शुल्क सत्र के अंत तक अभिभावक की सुविधा के अनुसार एकमुश्त या किस्तों में ले सकेंगे। वहीं सत्र 2020-21 के लिए आगामी आदेश तक निजी विद्यालय कोई शुल्क वृद्घि नहीं कर सकेंगे। इसके साथ ही विद्यालय में कार्यरत शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक स्टाफ को नियमित रूप से वेतन का भुगतान किया जाएगा। यदि वेतन कम किया जाता है तो 20 प्रतिशत से अधिक कम नहीं किया जा सकेगा। कम किया गया वेतन स्थिति सामान्य होने पर सामान्य किस्तों में छह माह में लौटाया जाएगा।