अब गडकरी पर कस सकता है ईडी का शिकंजा
भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। पहले कंपनी मामलों के मंत्रालय, उसके बाद आयकर विभाग की जांच के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय [ईडी] भी गडकरी के कंपनी की जांच कर सकता है।
नई दिल्ली। भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। पहले कंपनी मामलों के मंत्रालय, उसके बाद आयकर विभाग की जांच के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय [ईडी] भी गडकरी के कंपनी की जांच कर सकता है।
एक अंग्रेजी दैनिक के मुताबिक भाजपा अध्यक्ष की कंपनी पूर्ति पावर एंड शुगर लिमिटेड ने उन कंपनियों को जमकर लोन बांटे जिसने उसमें निवेश कर रखे हैं। खबर के मुताबिक, अब ईडी भी मनी लांड्रिंग के तहत मामले की जांच कर सकता है।
दस्तावेजों से यह खुलासा हुआ है कि गडकी ने पूर्ति में निवेश करने वाली कई कंपनियों को असुरक्षित लोन दिया है। अपडेट मर्केटाइल के पास पूर्ति ग्रुप के 29 लाख शेयर हैं। इस कंपनी को 2009-10 में 80 लाख रुपये से ज्यादा का असुरक्षित लोन दिया गया था जिसमें 14 लाख रुपये का लोन खुद गडकरी ने दिया था।
ऐसे ही रजेंसी इक्वीफिन के पास पूर्ति ग्रुप के 43 लाख शेयर हैं। इसे 2008-09 में गडकरी ने 26 लाख का लोन दिया था। इनमें से 10 लाख रुपये अगले साल लौटा दिए गए। इसी तरह इस कंपनी को 2011 में फिर 95 लाख का लोन दिया गया।
इस पूरे मामले को देखने के बाद अब ईडी ने लांड्रिंग की आशंका जताई है। वह शीघ्र ही इसकी जांच शुरू कर सकता है। खबर के मुताबिक पूर्ति में निवेश करने वाली कंपनियों के फर्जी पतों की सूची बढ़ती ही जा रही है। पाच निवेशक कंपनियों ने दिल्ली के मुनिरका गांव का पता दिया है। जब इस पते की पड़ताल की गई तो मालूम चला कि यहा किसी कंपनी का दफ्तर नहीं है। हालाकि मकान बलवान सिंह टोकस का ही है। टाकस ने इस मामले में फर्जीवाड़े का केस दर्ज कराया है। जिन पाच कंपनियों ने मुनिरका का पता दिया है उनके नाम किंग बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड, न्यू एज इंफ्रावेल प्राइवेट लिमिटेड, निर्माण इंफ्राटेक, एडवेंट आईटी सॉल्यूशस और फास्ट बिल्डवेल हैं। इन सभी कंपनियों ने पूर्ति पावर एंड शुगर पावर लिमिटेड में निवेश कर रखा है।
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