गुजरात के पूर्व IAS अफसर पर ईडी का छापा, 36 करोड़ से ज्यादा की संपत्तियां जब्त, पत्नी के नाम कई कंपनियां
IAS के 1985 बैच के अधिकारी रहे गुप्ता ने वर्ष 2002 में नौकरी छोड़कर आतिथ्य सेवा (हॉस्पिटैलिटी) का कारोबार शुरू किया था जिसका नाम नीशा ग्रुप ऑफ कंपनीज है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने मनी लांड्रिंग मामले में गुजरात कैडर के पूर्व आइएएस अधिकारी संजय गुप्ता (ex-IAS officer Sanjay Gupta) व उनके परिवार की 36 करोड़ से ज्यादा की संपत्तियां जब्त की हैं। केंद्रीय एजेंसी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के 1985 बैच के अधिकारी रहे गुप्ता ने वर्ष 2002 में नौकरी छोड़कर आतिथ्य सेवा (हॉस्पिटैलिटी) का कारोबार शुरू किया था, जिसका नाम नीशा ग्रुप ऑफ कंपनीज है। ईडी ने उनके खिलाफ मेट्रो लिंक एक्सप्रेस फॉर गांधीनगर एंड अहमदाबाद कंपनी लिमिटेड (एमईजीए) से संबंधित गबन तथा आपराधिक कदाचार के मामले में मुकदमा दर्ज किया है। गुप्ता अप्रैल 2011 से अगस्त 2013 के बीच एमईजीए के चेयरमैन थे।
मुखौटा कंपनियां बनाने का आरोप
ईडी के बयान के अनुसार, 'जांच में पाया गया कि गुप्ता ने एमईजीए के चेयरमैन रहते हुए विभिन्न पदों पर अपने करीबियों की नियुक्ति की। गुप्ता ने वर्ष 2012-13 में कई मुखौटा कंपनियां बनाईं और इन कर्मचारियों को उनका निदेशक बना दिया।'
पत्नी के नाम कई संपत्तियां
केंद्रीय एजेंसी ने गुप्ता, उनकी पत्नी नीलू गुप्ता, नीशा ग्रुप की कंपनियों- नीशा लेजर लिमिटेड, नीशा टेक्नोलॉजी, नीशा एग्रीटेक एंड फूड्स की संपत्तियों की जब्त करने के लिए आदेश जारी किया था। जब्त संपत्तियों में अहमदाबाद के धनंजय टॉवर में स्थित फ्लैट, इसी इलाके की कुछ अचल संपत्तियां, थलतेज में स्थित कैंबेज होटल, विशालपुर, चांगोदर और दसकरोई स्थित प्लॉट्स एवं फैक्टि्रयां तथा जोधपुर का कैसेला टॉवर शामिल हैं।
नियमों की अनदेखी
जांच एजेंसी के अनुसार, 'गुप्ता ने एमईजीए के ठेकों के लिए किसी नियम का अनुपालन नहीं किया। सामग्री और सेवा की आपूर्ति के लिए मुखौटा कंपनियों को ठेके दिए गए और फर्जी बिल बनाए गए।' इस मामले में राज्य पुलिस की तरफ से मुकदमा दर्ज होने और गुप्ता व अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद ईडी ने मामले को अपने हाथ में ले लिया।