अार्थिक सर्वेक्षण 2016 : आयकर से छूट की सीमा में अधिक वृद्धि के आसार नहीं
खजाना भरने की कोशिश में वित्त मंत्री अरुण जेटली आम बजट 2016-17 में आयकर से छूट की सीमा बढ़ाने से परहेज कर सकते हैं। वहीं सोना और एटीएफ जैसी चीजों पर टैक्स बढ़ाया जा सकता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। खजाना भरने की कोशिश में वित्त मंत्री अरुण जेटली आम बजट 2016-17 में आयकर से छूट की सीमा बढ़ाने से परहेज कर सकते हैं। वहीं सोना और एटीएफ जैसी चीजों पर टैक्स बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही पीपीएफ जैसी बचत योजनाओं पर टैक्स रियायत वापस लेने की दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं। इस बात के संकेत आर्थिक सर्वे 2015-16 में दिए गए हैं जिसे वित्त मंत्री ने शुक्रवार को लोक सभा में पेश किया।
राजकोषीय क्षमता बढ़ाने को आयकर की छूट में वृद्धि न करने की सलाह देते हुए सर्वे में कहा गया है कि भारत में फिलहाल सिर्फ 4 प्रतिशत व्यक्तिगत करदाता हैं जबकि यह आंकड़ा 23 प्रतिशत होना चाहिए। इसलिए आयकर से छूट की सीमा में वृद्धि से बचना चाहिए ताकि आय में स्वाभाविक वृद्धि होने से करदाताओं की संख्या बढ़ सके। सर्वे में एक उदाहरण देते हुए कहा गया है कि अगर 2012-13 में आयकर से छूट की सीमा डेढ़ लाख रुपये होती तो अब तक 1.65 करोड़ नए करदाता जुड़ जाते और कर राजस्व में 31,500 करोड़ रुपये की वृद्धि हो जाती। इससे भारत का टैक्स-जीडीपी अनुपात भी 0.32 प्रतिशत बढ़ जाता।
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उद्योग जगत से कारपोरेट टैक्स रियायतें वापस लेने की सरकार की पहल की सराहना करते हुए सर्वे में बचत पर टैक्स छूट को भी चरणबद्ध तरीके से वापस लेने की वकालत की गई है। इसमें कहा गया है कि पीपीएफ जैसी बचत योजनाओं में धनराशि निकालने पर कर लगना चाहिए। सर्वे में कहा गया है कि बचत पर कर या तो शुरुआत में लगना चाहिए या निकासी के समय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बचत पर निकासी के समय टैक्स लगाने की प्रणाली सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
फिलहाल पीपीएफ में जमा करने, धनराशि जमा रहने की अवधि और निकासी- तीनों स्तर पर कर से छूट प्राप्त है। सर्वे में अमीरों के काम आने वाली सोना और एटीएफ जैसी चीजों पर भी टैक्स बढ़ाने की जरूरत रेखांकित की है। सर्वे में कहा गया है कि विमानन ईधन यानी एटीएफ पर फिलहाल 20 प्रतिशत टैक्स लगता है जबकि पेट्रोल पर 61 प्रतिशत और डीजल 55 प्रतिशत टैक्स लगता है। इसी तरह सोने पर भी मात्र 1 से 1.6 प्रतिशत टैक्स ही लगता है जबकि सामान्य वस्तुओं पर 26 प्रतिशत तक टैक्स लगता है। सोने पर केंद्र सरकार का उत्पाद शुल्क शून्य है जबकि सामान्य वस्तुओं पर यह 12.5 प्रतिशत होता है। इस तरह इन दोनों वस्तुओं पर सामान्य की तुलना में काफी कम टैक्स लगता है।
सर्वे में प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ाने की वकालत करते हुए कहा गया है कि इससे स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही धनाढ्य लोगों की कृषि आय को भी आयकर के दायरे में लाने की बात भी इसमें कही गई है।
जीएसटी से रुकेगी 3.3 लाख करोड़ रुपये परोक्ष कर हानि
जीएसटी को अद्वितीय कर सुधार करार देते हुए सर्वे में कहा गया है कि इससे 3.3 लाख करोड़ रुपये की परोक्ष कर हानि रुकेगी। सर्वे में कहा गया है कि भारतीय कर प्रणाली में आश्चर्यजनक परिवर्तन होने जा रहे हैं। पहला बदलाव जीएसटी है जिससे 20 से 25 लाख उत्पाद एवं सेवा कर प्रदाता प्रभावित होंगे और कर वसूली के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर जोर दिया जाएगा। नया कर लागू करना संभवत: ऐसा सुधार है जो आधुनिक वैश्रि्वक कर इतिहास में अद्वितीय है।
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