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संरक्षित वन क्षेत्रों में अब शुरू होगा इको-टूरिज्म, अस्थाई निर्माण के लिए नहीं लेनी होगी अनुमति

पर्यटकों से जुड़ी दूसरी सुविधाएं जैसे बिजली सोलर लाइट मोबाइल कनेक्टिविटी बढ़ाई जाएंगी। साथ ही संरक्षित वन क्षेत्रों की परिधि में या फिर आसपास सटे गांवों के लोगों को इको-टूरिज्म की बारीकियों को समझने सहित आत्मनिर्भरता से जुड़े विषयों को लेकर प्रशिक्षित भी किया जाएगा।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Mon, 04 Oct 2021 08:38 PM (IST)Updated: Mon, 04 Oct 2021 08:38 PM (IST)
संरक्षित वन क्षेत्रों में अब शुरू होगा इको-टूरिज्म, अस्थाई निर्माण के लिए नहीं लेनी होगी अनुमति
संरक्षित वन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले ग्रामीणों को जंगल से जोड़ने और रोजगार मुहैया कराने की पहल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वन्यजीव अभयारण्य सहित संरक्षित वन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले लोगों का अब किसी तरह का विस्थापन या फिर पलायन नहीं होगा, बल्कि सरकार अब इन्हें बसाएगी। इनके लिए रोजगार के साधन भी जुटाएगी। फिलहाल इस दिशा में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने जो बड़ी पहल की है उसके तहत संरक्षित वन क्षेत्रों के आस-पास अब इको-टूरिज्म से जुटी गतिविधियां तेज की जाएंगी। इसकी शुरुआत सबसे पहले देश के ऐसे संरक्षित वन क्षेत्रों या वन्य जीव अभयारण्यों से की जाएगी जहां हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक आते है।

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जारी की गाइडलाइन

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इसे लेकर एक गाइडलाइन भी जारी की है, जिसमें इको-टूरिज्म की राह की कई बड़ी बाधाओं को भी दूर किया गया है। इनमें सबसे अहम इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण का था। फिलहाल गाइडलाइन के तहत अब इन क्षेत्रों में अस्थाई निर्माण के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी नहीं होगी। इसके साथ ही उन क्षेत्रों में सड़क और संपर्क मार्गो के निर्माण आदि से जुड़े कार्यो की मंजूरी प्राथमिकता से दी जाएगी। पर्यटकों से जुड़ी दूसरी सुविधाएं जैसे बिजली, सोलर लाइट, मोबाइल कनेक्टिविटी बढ़ाई जाएंगी। साथ ही संरक्षित वन क्षेत्रों की परिधि में या फिर आसपास सटे गांवों के लोगों को इको-टूरिज्म की बारीकियों को समझने सहित आत्मनिर्भरता से जुड़े विषयों को लेकर प्रशिक्षित भी किया जाएगा।

मंत्रालय के जुड़े अधिकारियों का मानना है कि स्थानीय लोगों को जंगल से जोड़ने से वन क्षेत्र भी सुरक्षित होगा, क्योंकि उन्हें पता है कि जो लोग यहां घूमने आ रहे हैं और जिससे उनका रोजगार भी जुड़ा हुआ है, वे जंगल की सुंदरता को ही देखने आ रहे है। ऐसे में वे इसे और बेहतर बनाने में योगदान देंगे। इसके साथ ही वन्य जीवों व आसपास के ग्रामीणों के साथ होने वाले संघर्ष की रफ्तार भी थमेगी। मौजूदा परिस्थितियों में तो वे अभयारण्य या फिर संरक्षित वन क्षेत्रों को खुद के लिए अभिशाप समझते है, क्योंकि उससे उन्हें कोई फायदा नहीं है, बल्कि बंदिशें ज्यादा हैं। यही वजह है कि सरकार ने अब उन्हें पूरा संरक्षण देने की योजना बनाई है। वहीं गाइडलाइन के तहत इको-टूरिज्म की पहल से होने वाली आय की करीब आधी आय ग्रामीणों को सीधे दी जाएगी। बाकी पैसे उसके इन्फ्रास्ट्रक्चर और मेंटिनेंस पर खर्च किया जाएगा। इसका संचालन स्थानीय स्त पर गठित कमेटी के जरिये किया जाएगा।


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