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Earthquake Today: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में महसूस किए गए भूकंप के झटके, 4.5 रही तीव्रता

नेशनल सेंटर फार सीस्मोलाजी के मुताबिक अंडमान और निकोबार में डिगलीपुर से 137 किमी उत्तर में यह भूकंप के झटके महसूस किए गए। बताया गया कि शनिवार सुबह 850 बजे यह भूकंप आया। द्वीप समूह में आए इस भूकंप की तीव्रता 4.5 रही।

By Nitin AroraEdited By: Published: Sat, 11 Sep 2021 10:00 AM (IST)Updated: Sat, 11 Sep 2021 10:00 AM (IST)
Earthquake Today: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में महसूस किए गए भूकंप के झटके, 4.5 रही तीव्रता
Earthquake Today: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में महसूस किए गए भूकंप के झटके, 4.5 रही तीव्रता

डिगलीपुर, एएनआइ। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। नेशनल सेंटर फार सीस्मोलाजी के मुताबिक, अंडमान और निकोबार में डिगलीपुर से 137 किमी उत्तर में यह भूकंप के झटके महसूस किए गए। बताया गया कि शनिवार सुबह 8:50 बजे यह भूकंप आया। द्वीप समूह में आए इस भूकंप की तीव्रता 4.5 रही। हालांकि, इस भूकंप में किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है। इससे पहले उत्तराखंड में भी आज भूकंप के झटके महसूस किए गए। लोगों का कहना है कि झटके काफी तेज थे। आज सुबह करीब पांच बजकर 58 मिनट पर उत्‍तराखंड में भूकंप आया। भूकंप का केंद्र चमोली जिले के जोशीमठ में रहा। यह धरती के पांच किमी अंदर आया। साथ ही इसकी तीव्रता रिक्‍टर स्‍केल पर 4.7 दर्ज की गई। हालांकि, भूकंप से किसी तरह के नुकसान की कोई सूचना नहीं मिली थी।

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क्यों आता है भूकंप?

धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत, वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं लेकिन जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप आ जाता है। ये प्लेट्स क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है।

क्यों टकराती हैं प्लेटें?

दरअसल ये प्लेंटे बेहद धीरे-धीरे घूमती रहती हैं। इस प्रकार ये हर साल 4-5 मिमी अपने स्थान से खिसक जाती हैं। कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट जाती है तो कोई दूर हो जाती है। ऐसे में कभी-कभी ये टकरा भी जाती हैं।

भूकंप के केंद्र और तीव्रता का क्या मतलब है?

भूकंप का केंद्र वह स्थान होता है जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।

भूकंप की गहराई से क्या मतलब है?

मतलब साफ है कि हलचल कितनी गहराई पर हुई है। भूकंप की गहराई जितनी ज्यादा होगी सतह पर उसकी तीव्रता उतनी ही कम महसूस होगी।

कौन से भूकंप खतरनाक होते हैं?

रिक्टर स्केल पर आमतौर पर 5 तक की तीव्रता वाले भूकंप खतरनाक नहीं होते हैं, लेकिन यह क्षेत्र की संरचना पर निर्भर करता है। यदि भूकंप का केंद्र नदी का तट पर हो और वहां भूकंपरोधी तकनीक के बगैर ऊंची इमारतें बनी हों तो 5 की तीव्रता वाला भूकंप भी खतरनाक हो सकता है।

ऐसे करें बचाव

-सुरक्षित स्थान पर भूकंपरोधी भवन का निर्माण कराएं।

-समय-समय पर आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण लें व पूर्वाभ्यास करें।

-आपदा की किट बनाएं जिसमें रेडियो, जरूरी कागज, मोबाइल,टार्च, माचिस, मोमबत्ती, चप्पल, कुछ रुपये व जरूरी दवाएं रखें।

-संतुलन बनाए रखने के लिए फर्नीचर को कस पकड़ लें। लिफ्ट का प्रयोग कतई न करें।

-खुले स्थान पर पेड़ व बिजली की लाइनों से दूर रहें।

-मकान ध्वस्त हो जाने के बाद उसमें न जाएं।

-कार के भीतर हैं तो उसी में रहें, बाहर न निकलें।


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