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Earthquake: लद्दाख से लेकर हिमाचल तक कांपी धरती, 5.3 त‍ीव्रता के भूकंप से दहशत में लोग

लद्दाख में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। रिक्टर स्कैल पर इसती तीव्रता 5.3 दर्ज की गई है।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 12:20 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 01:31 PM (IST)
Earthquake: लद्दाख से लेकर हिमाचल तक कांपी धरती, 5.3 त‍ीव्रता के भूकंप से दहशत में लोग
Earthquake: लद्दाख से लेकर हिमाचल तक कांपी धरती, 5.3 त‍ीव्रता के भूकंप से दहशत में लोग

 लद्दाख, एएनआई। लद्दाख की जमीन रविवार को भूकंप के झटकों से दहल गई। भूकंप की तीव्रता 5.3 दर्ज की गई। शुरुआती जानकारी में किसी के भी हताहत होने की खबर नहीं है। इससे पहले शनिवार देर रात 2.20 बदे भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे। हालांकि, रिक्टर स्कैल पर इसकी तीव्रता आज के भूकंप के मुकाबले कम थी।  रिक्टर स्कैल पर इसकी तीव्रता 4.1 मापी गई थी। वहीं दूसरी तरफ हिमाचल में 3.4 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। मौसम विभाग के अनुसार ये झटके सुबह 11:55 आए थे।  

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लद्दाख में आया भूकंप का केंद्र भारत-चीन सीमा के पास था। कुछ समय तक भूकंप के झटके सीमित रहे थे। कश्मीर आपदा प्रबंधन सेल के प्रभारी आमिल अली ने कहा था कि भूकंप के केंद्र लेह के पूरब में 209 किलोमीटर दूर लद्दाख और चीन के झिनझियांग के बीच सीमा पर था। इसी के साथ पहाड़ी क्षेत्र में ग्लेशियर गिरने की आशंका बढ़ गई है।

वहीं दूसरी ओर मौसम विभाग ने हिमाचल के कुल्लू और लाहुल स्पीति में पांच जगह पर बर्फ गिरने की चेतावनी जारी की थी। इसी बीच भूकंप के झटकों से लोगों की चिंता बढ़ गई है। जिला प्रशासन सहित पुलिस ने लोगों को घरों से बाहर ना निकलने की सलाह दी है। साथ ही पर्यटकों को भई ऊंचाई वाले ज्यादा बर्फबारी वाले क्षेत्र में न जाने सलाह दी गई है। 

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश के इलाकों में तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान राज्यभर में अधिक बारिश व बर्फबारी होने की बात कही गई है। मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सोमवार तक राज्य में बड़े पैमाने पर बारिश और हिमपात हो सकती है। 

जानकारी के लिए बता दें कि हाल ही में 10 जनवरी  बृहस्पतिवार को भी लद्दाख में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। तब भूकंप 8:22 बजे आया था। जिसका आधा केंद्र लेह से 63.6 किमी उत्तर और कारगिल से 193.1 किमी दूर पूर्व में था। हालांकि, तब भी किसी तरह के जानमाल की क्षति नहीं हुई थी।


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